15/07/2025
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देहाती के सवाल जन्नत के जवाब। Dehati ke sawal Jannat ke jawab.

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Dehati ke sawal Jannat ke jawab.
Dehati ke sawal Jannat ke jawab.

हज़रत सलीम बिन आमिर रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि कहते हैं कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के सहाबा कहा करते थे कि अल्लाह तआला हमें देहाती लोगों के सवालात से बड़ा नफा पहुँचाते हैं। एक दिन एक देहाती आया और उसने कहा या रसूलुल्लाह ! अल्लाह तआला ने जन्नत में एक ऐसे पेड़ का ज़िक्र किया है जिससे इंसान को तकलीफ़ होती है।

हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने पूछाः वह कौन-सा पेड़ है? उसने कहा बेरी का पेड़ क्योंकि उसमें तकलीफ़ देह कांटे होते हैं। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमायाः क्या अल्लाह तआला ने यह नहीं फरमाया : तर्जुमा : “वहां उन बागों में होंगे जहाँ बेखार बेरिया होंगी।” (सूरह वाकिआ आयत 28)

अल्लाह तआला ने उसके कांटे दूर कर दिए हैं और हर कांटे की जगह फल लगा दिया है। उस पेड़ में ऐसे फल लगेंगे कि हर फल में बहत्तर क़िस्म के ज़ाइक़े होंगे और हर ज़ाइक़ा दूसरे ज़ाइक़े से अलग होगा।

हज़रत उतबा बिन अब्दे सलीमी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मैं हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के पास बैठा हुआ था कि इतने में एक देहाती आदमी आया। उसने कहाः या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम! मैंने आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से जन्नत में एक ऐसे पेड़ का ज़िक्र सुना है कि मेरे ख़याल में उससे ज़्यादा काँटे वाला पेड़ कोई और नहीं होगा यानी बबूल का पेड़।

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अल्लाह तआला उसके हर कांटे की जगह भरे हुए गोश्त वाले बकरे के ख़सिये के बराबर फल लगा देंगे और उस फल में सत्तर क़िस्म के ज़ाइक़े होंगे और हर ज़ाइक़ा दूसरे से अलग होगा।

हज़रत उतबा बिन अब्दे सलीमी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि एक देहाती हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में आया और उसने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से हौज़ के बारे में पूछा और जन्नत का ज़िक्र किया फिर उस देहाती ने कहा क्या उसमें फल भी होंगे? हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया, हाँ उसमें एक पेड़ है जिसे तूबा कहा जाता है।

रावी कहते हैं कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने कितनी और चीज़ का भी ज़िक्र किया लेकिन मुझे मालूम न हो सका कि वह क्या चीज़ थी? उस देहाती ने कहाः हमारे इलाक़े के किस पेड़ की तरह है। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमायाः तुम्हारे इलाक़े के किसी पेड़ की तरह नहीं, फिर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमायाः क्या तुम शाम गये हो? उसने कहा नहीं। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया वह शाम के एक पेड़ की तरह है जिसको अखरोट कहा जाता है।

एक तने पर उगता है और उसके ऊपर वाली शाखें फैली हुई होती हैं फिर उस देहाती ने कहाः गुच्छा कितना बड़ा होगा ? हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमायाः स्याह सफेद दाग़ों वाला कौआ बगैर रुके एक महीने उड़कर जितना फासला तै करता है वह गुच्छा उस फासले के बराबर होगा। फिर उस देहाती ने कहा कि उस पेड़ की जड़ कितनी मोटी होगी? आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम्हारे घर वालों के ऊंटों में से एक जवान ऊंट चलना शुरू करे और चलते-चलते बूढ़ा हो जाये और बूढ़ा होने की वजह से उसकी हंसली टूट जाए फिर भी वह उसकी जड़ का एक चक्कर नहीं लगा सकेगा।

Dehati ke sawal Jannat ke jawab.
Dehati ke sawal Jannat ke jawab.

फिर उस देहाती ने पूछा क्या जन्नत में अंगूर होंगे? हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः हाँ। उसने पूछा अंगूर का दाना कितना बड़ा होगा? हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया क्या तेरे बाप ने कभी अपनी बकरियों में से बड़ा बकरा ज़िब्ह किया है? उसने कहाः जी हाँ किया है। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमायाः फिर उसकी खाल उतारकर तेरी माँ को दे दी हो और उससे कहा हो कि इस खाल को हमारे लिए डोल बना दे? उस देहाती ने कहाः जी हाँ।

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया वह दाना उस डोल के बराबर होगा फिर उस देहाती ने कहा जब दाना डोल के बराबर होगा फिर तो एक दाने से मेरा और मेरे घर वालों का पेट भर जाएगा। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया हाँ, बल्कि तेरे सारे ख़ानदान का पेट भर जाएगा। (हयातुस्सहाबा, हिस्सा 3, पेज 66-67)

खूबसूरत वाक़िआ:- हज़रत ख़दीजा रज़ियल्लाहु अन्हा की दास्ताने वफ़ा।

हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि एक देहाती ने आकर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में अर्ज़ कियाः या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम! क़ियामत के दिन मख़्लूक़ का हिसाब कौन लेगा? हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमायाः अल्लाह तआला। उस देहाती ने कहाः रब्बे कअबा की क़सम ! फिर तो हम नजात पा गये। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमायाः ऐ देहाती कैसे ? उसने कहा क्योंकि करीम ज़ात जब किसी पर क़ाबू पा लेती है तो माफ कर देती है। (हयातुस्सहाबा, हिस्सा. 3, पेज 41)

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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