जिस तरह दुनिया में औरत की ख़्वाहिश होती है कि माल इतना ज़्यादा हो कि मैं मन मर्ज़ी की ज़िन्दगी गुज़ार सकूँ। ऐसे ही आपको सोचना चाहिये कि मेरे पास नेकियाँ इतनी हों कि मैं आख़िरत में मन मर्ज़ी की ज़िन्दगी गुज़ार सकूँ।
और यह नेकियाँ कमानी बड़ी आसान हैं। किसी को मीठा बोल-बोल दें तो यह सदका है । औरत किसी दूसरी औरत को खुश होकर मिल ले तो यह सदका है। किसी की बात सुनकर कोई तसल्ली के दो बोल बोल दें तो यह सदका है। इतनी छोटी-छोटी बातों पर नेकियाँ मिलती हैं।
अपने बच्चों को प्यार दें तो यह सदका है। अपने मियाँ के साथ प्यार मुहब्बत की जिन्दगी गुज़ारें, झगड़े करने, दलीलें देनी ज़िद करनी छोड़ दें। मानने वाली आदत डाल लें तो आपको सदके का अज्र मिलेगा।Allah ki Apne Bando par Rahmat.
माँ-बाप सास-ससुर को खुश रखें, उनकी ख़िदमत करें आपको नेकियाँ मिलेंगी। अपने घर को साफ-सुथरा रखें तो नेकियाँ मिलेंगी। घर के अन्दर जो खाने वगैरह बनवाती हैं उनमें आप नीयत करें कि मैं अल्लाह की रिज़ा के लिए बना रही हूँ तो मेहमानों को खाना खिलाने का अज्र पायेंगी। मुहब्बत हो तो ऐसी।
अपने बच्चों पर जो वक्त खर्च करेंगी नीयत करें कि यह मेरी | ज़िम्मेदारी है, तो आपको इस पर अज्र (बदला और सवाब ) मिलेगा।
मियाँ के साथ जो वक़्त गुज़ारें यह नीयत करें कि मैं उसके दिल को खुश करूँगी अल्लाह इसके बदले में मेरे दिल को खुश फ़रमायेंगे, तो आपको अज्र मिलेगा। हर सुन्नत पर अमल करें कि मैं सुन्नत पर अमल करूँगी तो मुझे अज्र मिलेगा।
औरत के लिए अपने आपको बख़्शवाना तो बहुत आसान है, हर-हर नेक काम पर उसको नेकियाँ मिलती हैं। अगर अल्लाह ने आपको माल पैसा दिया है तो मस्जिद बनवायें, मदरसे बनवायें, नेक कामों में ख़र्च करें। आख़िरत में आपके लिए महल तैयार हो जायेंगे।Allah ki Apne Bando par Rahmat.
नबी करीम अलैहिस्सलाम ने फरमायाः तर्जुमाः जो दुनिया में अल्लाह का घर बनाता है अल्लाह तआला उसके बदले आख़िरत में उसका घर बना देते हैं।
अब दुनिया के घर बनाने के लिए लोगों को देखा है कि दो लाख, चार लाख लगाना उनको कोई मुश्किल नहीं होती, लेकिन आख़िरत के लिए उनको बड़ी मुश्किल होती है।
तो हम आख़िरत की ज़रूरत को भी अपनी ज़रूरत समझें और दुनिया में रहते हुए आख़िरत की तैयारी कर लें। फिर हमारे लिए सब मामलात आसान हो जायेंगे, और जो गुनाह अब तक कर चुके हम उनकी माफी माँगें । ताकि अल्लाह रब्बुल्- इज्जत हमारे उन गुनाहों को माफ़ फ़रमा दें। हम चाहें तो हमारे सारे गुनाह हमारी नेकियों में तब्दील हो सकते हैं। अल्लाह की मुहब्बत बन्दो पर।
बनी इस्राईल का एक आदमी था, निन्नानवे कत्ल किये थे। किसी एक सूफी से पूछने लगा कि क्या मेरी तौबा की कोई सूरत है? उस सूफी ने कहा: तौबा तौबा निन्नानवे आदमियों को कत्ल किया ऐसे जानवर इतने ख़ूख़ार की कोई तौबा नहीं। सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली, जैसे हम कहते हैं, उसने भी इसी किस्म का कोई कोरा-सा जवाब दे दिया।Allah ki Apne Bando par Rahmat.
उस बन्दे को बड़ा गुस्सा आया। उसने कहा अच्छा निन्नानवे तो पहले कत्ल हैं फिर सैकड़ा (Century) क्यों न कर लूँ । उसने उसको भी क़त्ल कर दिया। कुछ वक्त के बाद फिर दिल में ख़्याल आया कि मैंने सौ कत्ल किये हैं मैं कितना बुरा इनसान हूँ। मेरी तौबा की कोई सूरत हो सकती है या नहीं?
किसी आलिम से मिला कि तौबा की कोई सूरत बतायें। उसने कहा यक़ीनन तौबा की सूरत है। फलाँ जगह पर अल्लाह के नेक बन्दे रहते हैं, उन बन्दों के पास जाओ, वे तुम्हें तौबा के कलिमात पढ़ा देंगे। अल्लाह तआला तुम्हारी तौबा को कबूल फरमा लेंगे।
यह बुख़ारी शरीफ की रिवायात है, सब लोग पढ़ते हैं मगर उनको यह बात समझ में नहीं आती कि बैअत करनी क्यों जरूरी होती है। अब हदीस में जो फरमाया गया कि उसे नेकों की बस्ती की तरफ भेजा गया, वह बन्दा इतना भी कह सकता था कि मियाँ दिल में तौबा कर लो कबूल हो जायेगी। मगर नहीं!Allah ki Apne Bando par Rahmat.
उसे नेक लोगों की बस्ती की तरफ भेजा गया। वहाँ जाओ, वे तुम्हें तौबा के कलिमात पढ़ायेंगे। फिर तुम्हारी तौबा जल्दी कबूल हो जायेगी।
मालूम हुआ कि तौबा के लिए ये कलिमात किसी अल्ला वाले के पढ़ने पड़ते हैं, उनके पीछे-पीछे ये कलिमात दोहराने पड़ते हैं, सामने तब यह पक्का काम होता है। अल्लाह तआला इस तरह जल्दी तौबा कबूल कर लेते हैं।
बहरहाल ! यह नीयत करके चल पड़ा। अल्लाह की शान देखिये कि उसको रास्ते में मौत आ गयी। जब मौत आई तो जन्नत के भी फरिश्ते आ गये कि इसको हम लेकर जायेंगे यह तौबा की नीयत से निकला था, जहन्नम के फरिश्ते भी आ गये। नहीं नहीं ! इसने तो सौ बन्दों को कत्ल किया,
यह दोज़ख़ में जायेगा। दोनों में आपस में बहस हुई। अल्लाह के दरबार में मामला पेश हुआ, रब्बे करीम ने फ़रमायाः फासले की पैमाईश करो, अगर यह अपने घर के क़रीब है तो जहन्नम की तरफ लेकर जाओ और अगर नेक लोगों की बस्ती के करीब है तो फिर इसे जन्नत की तरफ लेकर जाओ।
फरिश्तों ने पैमाईश की। हदीसों में आता है कि उस आदमी को जिस जगह मौत आई थी वह बिल्कुल दरमियान की जगह थी, आधा-आधा फासला था, लेकिन मरते-मरते लाश नेकों की बस्ती की तरफ गिर गयी थी और वह इतनी ही उस तरफ़ क़रीब हो गयी थी, हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और समन्दर का वाकिआ।
चुनाँचे वह थोड़ी सी नेकों की बस्ती की तरफ़ थी, तो अल्लाह तआला ने उसकी तौबा को क़बूल करके उसको जन्नत अता फरमा दी। सोचने की बात है कि मरते-मरते भी अगर लाश नेकों की तरफ गिर जाये तो अल्लाह इसका भी लिहाज कर लेते हैं।Allah ki Apne Bando par Rahmat.
तो जो बन्दा जीते-जागते अपने होश-व- हवास सही होने की हालत में अल्लाह वालों की महफिल में आकर बैठे और सच्चे दिल के साथ अपने गुनाहों से तौबा करे, और तौबा के कलिमात पढ़ ले तो अल्लाह तआला उसकी तौबा को क्यों नहीं कबूल फरमाते ।
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…