
हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि अल्लाह तआला फरमाते हैं कि मैं बन्दे के गुमान के पास हूँ। यानी जो गुमान वह मुझसे रखे और उसके साथ होता हूँ जब वह मुझको याद करता है। सो अगर वह मुझको तन्हाई में याद करता है तो मैं भी उसको तन्हाई में याद करता हूँ और जब वह मुझको जमाअत में याद करता है तों मैं भी उसको जमाअत में याद करता हूँ जो उसकी जमाअत से बेहतर होती है। (बुख़ारी)
मैं भी उसको तन्हाई में याद करता हूँ” इसका मतलब यह है कि सिर्फ खुद ही उसका ज़िक्र करता हूँ फरिश्तों के सामने उसका ज़िक्र नहीं करता। और यह जो फरमाया कि “जमाअत में याद करता हूँ जो उसकी जमाअत से बेहतर होती है” यानी मुकर्रब फरिश्तों और रसूलों की रूहों में उसका तज़किरा करता हूँ जो सब मिलकर आम इनसानों से बेहतर और अफज़ल हैं। (तय्यिबी)
मैं बन्दे के गुमान के पास होता हूँ” इसका मतलब यह है कि मेरे मुताल्लिक जो बन्दा मग़फिरत और अज़ाब का गुमान करता है तो मैं ऐसा ही करता हूँ। अगर वह गुमान रखता है कि खुदा मुझको बख़्श देगा तो उसको बख़्श देता हूँ और अगर इसके ख़िलाफ गुमान रखता है तो नहीं बख़्शता हूँ। (लमआत)
एक रोज़ हज़रत साबित बनानी रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि कहने लगे कि मुझको मालूम हो जाता है जब मुझको मेरा खुदा याद करता है। लोगों ने पूछा वह कैसे ? फरमाया जब मैं उसको याद करता हूँ तो वह मुझको याद करता है लिहाज़ा जब कोई शख़्स अल्लाह की बारगाह में अपना ज़िक्र चाहे वह खुदा का ज़िक्र शुरू कर दे।
तहज्जुद गुज़ारी के बदले :-
हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का बयान है कि जो शख़्स तुम में से रात को जागकर तकलीफ़ बरदाश्त करने से आजिज़ हो और माल ख़र्च करने में कन्जूसी करता हो और दुश्मन के साथ जिहाद करने से बुज़दिली करता हो उसको चाहिये कि अल्लाह का ज़िक्र बहुत करे । (तिबरानी)
बिना ख़र्च बाला नशीं :-
हज़रत अबू मूसा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि रसूले खुदा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि अगर एक शख़्स की गोद में रुपये हों जिनको वह तक्सीम करता हो और दूसरा शख़्स खुदा का ज़िक्र करता हो तो यह ज़िक्र करने वाला ही अफज़ल रहेगा। (तरगीब)
बिस्तर पर बुलन्द दर्जे :-
हज़रत अबू सईद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का बयान है कि रसूले खुदा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि दुनिया में बहुत-से लोग बिछे हुए बिस्तरों पर ज़रूर बिज़्ज़रूर अल्लाह का ज़िक्र करेंगे और वह ज़िक्र उनको बुलन्द दर्जों में दाखिल करवा देगा। (तरगीब)
दीवाना बन जाओ :-
हज़रत रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि खुदा का ज़िक्र इस कद्र ज़्यादा करो कि लोग तुमको दीवाना कहने लगें। (तरगीब)
रियाकारी की परवाह न करो :-
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया है कि इस कद्र अल्लाह का ज़िक्र करो कि मुनाफिक लोग तुमको रियाकार कहने लगें। (तरगीब)
खूबसूरत वाक़िआ:-जब एक बुढ़िया ने बादशाह को झुका दिया।
एक बार रसूले खुदा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का मक्का शरीफ के रास्ते में जुमदान पहाड़ पर गुज़र हुआ तो आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि चलो यह जुमदान है, आगे बढ़ गये अपने नफ़्सों को तन्हा करने वाले, सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया कि हज़रत तन्हा करने वाले कौन हैं? आपने इरशाद फरमाया कि अल्लाह को कसरत से याद करने वाले मर्द और अल्लाह को कसरत से याद करने वाली औरतें। (मुस्लिम शरीफ)
और एक रिवायत में है कि आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम के जवाब में फरमाया कि हमेशा यादे खुदा की हिर्स करने वाले अपने नफ़्सों को तन्हा करने वाले हैं। खुदा का ज़िक्र उनका बोझ उतार देगा लिहाज़ा वे हल्के-फुल्के मैदाने हश्र में आयेंगे। (तिर्मिज़ी)
अपने नफ़्सों को तन्हा करने वाले” यानी अपने ज़माने के लोगों से बिल्कुल अलग रवैया रखने वाले, कि सब लोग तो दुनियावी बकवास, बेहूदा खुराफात और बेकार की बातों में मशगूल हों मगर वे लोग सिर्फ अल्लाह की याद में वक़्त गुज़ारते हैं।(मिशकात)
हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि जब कुछ लोग अल्लाह का ज़िक्र करने के लिये जमा हो जायें और उनकी गरज़ उससे सिर्फ रिज़ा-ए-ख़ुदा हो तो ख़ुदा का मुनादी आवाज़ देने वाला आसमान से आवाज़ देता है कि उठ जाओ बख़्शे-बख़्शाये और मैंने तुम्हारी बुराइयों को नेकियों से बदल दिया। (तरगीब)
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….