अब्दुर्रहमान बिन काअब ने अपने वालिद से रिवायत की है कि नबी सल्ल. ने फ़रमाया मोमिन की जान परिन्दे की तरह जन्नत के पेड़ पर रहेगी यहां तक कि अल्लाह फिर उसको कियामत के दिन उसके बदन में पहुंचाएगा।
मुसलमान जब मरने के क़रीब होता है तो कई फ़रिश्ते रोशन चेहरे वाले जन्नत से उसके वास्ते कफन व खुश्बू मुश्क आदि लाकर उसके सामने ? अदब से बैठ जाते हैं फिर मलकुल मौत वहां आकर नर्म आवाज़ से कहते हैं “ऐ जाने पाक निकल ” तो उसकी रूह बड़ी आसानी से निकल कर ? मल-कुल मौत के हाथ आ जाती है।
फिर वह जन्नती फरिश्ता उसे लेकर जन्नती कफन पहनाकर और खुश्बू लगाकर आसमान की ओर ले जाता है जो फरिश्ते आसमान व ज़मीन में सैर करते फिरते हैं वे उनसे पूछते हैं यह पाक रूह किसकी है?Nek aur bure logon kee roohen aur unaka anjaam.
वे फरिश्ते उनके सामने उसकी तारीफ करते हैं फिर आसमान के दरवाज़े खोले जाते हैं और पहले आसमान के फ़रिश्ते उसके साथ हो लेते हैं दूसरे आसमान तक और दूसरे आसमान के फ़रिश्ते तीसरे आसमान तक । यहां तक कि सातवें आसमान तक उसको ले जाते हैं।( अहमद मिश्कात 135 )मोमिन की कब्र और असल ज़िन्दगी।
अल्लाह फ़रमाता है रख दो मेरे बन्दे का आमालनामा अिल्लीय्यीन में और उसकी रूह जमीन पर ले जाओ जहां उसका शरीर दफन होने वाला है और फिर उसके शरीर में उसे डाल दो क्योंकि इससे अल्लाह के कानून के अनुसार सवाल होने वाला है।
जब लाश दफन हो जाती है तब उस रूह को उसके शरीर में डाल देते हैं फिर दो फरिश्ते मुन्किर नकीर नाम के आते हैं और उसे कब्र में बिठाकर पूछते हैं।
मन रब्बुका ? “तेरा रब कौन है?’ मुर्दा जवाब देता है….
रब्बियल्लाहु “मेरा रब अल्लाह है “फिर फ़रिश्ते पूछते हैं-
मा दीनुका ? “तेरा दीन क्या है?” यह जवाब देता है
दीनियल इस्लामु? “मेरा दीन इस्लाम है “फिर पूछते हैं..
“वह कौन आदमी है जिनको तुम्हारे पास खुदा ने भेजा था?” वह कहता है…
हुवा रसूलुल्लाहि वह अल्लाह के पैग़म्बर हैं
फ़रिश्ते पूछते हैं – तूने क्यों कर जाना कि यह ख़ुदा के सच्चे पैग़म्बर हैं वह जवाब देता है कि मैंने अल्लाह की किताब पढ़ी है (और उसका मतलब समझा है) और मैं उस पर ईमान लाया हूं और मैंने उसे सच्चा जाना,Nek aur bure logon kee roohen aur unaka anjaam.
इस समय अल्लाह की ओर से निदा आती है सच्चा है मेरा बन्दा बिछा दो इसके वास्ते उसकी कद्र में जन्नत का बिछौना और पहना दो उसे जन्नत का लिबास और खोल दो उसके वास्ते जन्नत का रास्ता ।एक मोमिन के लिए सोचने वाली बात।
फिर उसे जन्नत की खुश्बूदार हवा आने लगती है और उसकी कब्र बड़ी कर दी जाती है जहां तक उसकी निगाह जाती है फिर एक सुन्दर आदमी अच्छे खुश्बूदार कपड़े पहने हुए आता है और कहता है कि मैं तेरा नेक अमल हूं। उस समय यह आदमी कहता है.. ऐ अल्लाह ! जल्दी से कियामत कायम कर दे ताकि मैं अपनी मुराद को पहुंचूं ।
जब काफिर व मुश्रिक व न फरमान आदमी मरने लगता है तो उसके पास जहन्नुम के फरिश्ते जिनके मुंह काले और डरावनी शक्ल होती है आते हैं और उनके साथ टाट के बदबूदार थैले जहन्नुम के होते हैं और वे फ़रिश्ते मरने वाले के सामने बैठ जाते हैं फिर हज़रत मलकुलमौत आकर कहते हैं। “निकल आ ऐ जाने नापाक खराबी व ज़िल्लत के साथ।” तब वह रूह छिपने लगती है और अल्लाह के अजाब से घबराती है।Nek aur bure logon kee roohen aur unaka anjaam.
फिर मलकुल मौत उसकी जान को बड़ी तकलीफ के साथ निकालते हैं और वह जहन्नुमी फरिश्ते उसे उनसे ले लेते हैं और इस बदबूदार टाट में लपेट कर आसमान की ओर ले जाते हैं और उस खबीस रूह की बदबू चारों ओर फैल जाती है और फ़रिश्ते पूछते हैं यह रूह नापाक किसकी है?
फ़रिश्ते उसका नाम बुराई से लेकर कहते हैं यह फलां बदबख्त, फलां का बेटा, या बेटी है। जब आसमान के पास पहुंचते हैं तो उसके वास्ते आसमान के दरवाज़े नहीं खुलते फिर हज़रत मुहम्मद सल्ल. ने यह आयत इसके सबूत में पढ़ी-
तर्जुमा :- “बे शक जिन लोगों ने झुठलाया हमारी आयतों को और उनसे बे परवाही की, न खोले जाएंगे उनके वास्ते दरवाज़े आसमान के और न दाखिल होंगे वे जन्नत में यहां तक कि ऊंट दाखिल हो सुई के नाके में और इसी तरह बदला देते हैं हम नफरमानो को, उनके वास्ते बिछौना जहन्नुम का और उनके ऊपर ओढ़ना ( जहन्नुम का) इसी तरह बदला देते हैं हम जालिमों को ।एक बहोत खास नसीहत।
फिर अल्लाह फ़रमाएगा कि उसका आमालनामा सिज्जिय्यीन में लिखो । सिज्जिय्यीन उस जगह का नाम है जहां न फरमानो की रूहें रहती हैं और वे सातवीं ज़मीन के नीचे है। उस समय फरिश्ते उसे ज़मीन की ओर फेंक देते हैं और ये अज़ाब के फ़रिश्ते उसे उचक लेते हैं और कब्र पर ले आते हैं।Nek aur bure logon kee roohen aur unaka anjaam.
कब्र में दफन करने के बाद मुर्दे में रूह डाली जाती है और बिठाया जाता है फिर सवाल किया जाता है-
तेरा रब कौन है ? वह कहता है- ‘हाय हाय मैं नहीं जानता। ”
फिर पूछते हैं तेरा दीन क्या है?वह कहता है ‘हाय हाय मैं नहीं जानता ।’फिर पूछते हैं वह कौन आदमी हैं जो तुम्हारी ओर भेजे गए थे? वह कहता है हाय हाय मैं नहीं जानता।’
फिर आवाज़ आती है झूठा है यह बिछादो इसके लिए आग का बिछौना और खोल दो जहन्नुम की खिड़की। अतएव ऐसा ही किया जाता है और उसे जहन्नुम की आग की लपटें पहुंचती रहती हैं और सांप बिच्छू काटते हैं फिर फ़रिश्ते उसे लोहे के भालों से मारते हैं
जिसके सदमे से मुर्दा चिल्लाता है कि जिन्न व इन्सान के सिवा अल्लाह की हर मखलूक सुनती है फ़रमाया कि यदि तुम पर उनका अज़ाब जाहिर हो जाए तो तुम मुर्दों को दफन करना छोड़ दो। (अहमद अबूदाऊद मिश्कात 18, दारमी मिश्कात) (सूर: आराफ़ रुकू 5 )हज़रत अली रज़ि० का एक क़ब्र पर गुज़र।
फिर मुर्दे को हर ओर से कब्र भींचती है इतना कि उसकी पसलियां इधर से उधर निकल जाती हैं फिर उसके पास उसका अमाल बड़ी बुरी शक्ल बनकर आता है और अपनी बदबू से सड़ा देता है और क़ियामत के बड़े दिन से डराता है। मुर्दा उससे कहता है.. ‘दूर हो तू कौन है?’Nek aur bure logon kee roohen aur unaka anjaam.
वह कहता है मैं तेरा वही अमाल हूं जो तूने किया था मैं दूर कैसे हो सकता हूं। उस समय मुर्दा घबराता है और कहता है ऐ रब! क़ियामत को हरगिज कायम न कीजिए।
रूहें नेक या बुरी, क़ब्रों से उनका एक खास तरह का ताल्लुक रहता है जिसे हम नहीं समझ सकते। खास ताल्लुक के कारण नेक रूह वाला अपने शरीर की राहत मालूम करके खुश रहता है और गुनह गार अपने शरीर की नापाकी व सख्ती और अज़ाब का बोझ उठाता रहता है।
किसी हदीस से साबित नहीं हुआ कि लोगों की रूहें जुमेरात या शबे बराअत आदि के दिनों में आती हों और सदका व खैरात मांगती हों। ये सारी रस्में व बातें पेटू मुल्लाओं ने निकाल रखी हैं।
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…