हर मुसलमान के लिये हुस्ने खुल्क की सिफत का रखना उसके लिये बहुत बेहतर और बड़ी फजीलत रखता है और कुर्बे इलाही का सबब बनता है और ये सिफ्त बन्दे के लिये रब तआला की नज़दीकी हासिल करने का बेहतरीन ज़रिया है और अच्छे अखलाक वाले शख़्स अल्लाह तआला के महबूब और पसंदीदा बन्दे हैं अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अच्छे अखलाक (अच्छी आदत) वाले शख़्स से मुहब्बत करते हैं और परहेज़गारी की तकमील वगैर हुस्ने अखलाक से नहीं हो सकती।
इसलिये हमें चाहिये कि हम किसी भी शख़्स को किसी भी तरह की अज़्ज़ियत (तकलीफ) न पहुँचायें और उनसे अज़ियत मिलने पर सब्र करें और खुशी और गम व सख़्ती और मशक्कत सभी हालतों में लोगों को राज़ी रखें और हर शख़्स से हुस्ने सुलूक व नरमी और अच्छे बरताव से पेश आयें और हमेशा अच्छी बात कहें और लोगों पर रहम करें और अपनी नफ़्सानी ख़्वाहिशात और गुस्से पर हमेशा ग़ालिब रहें यही अखलाके हसना है और ईमान की मज़बूती और कमाल हर इन्सान को हुस्ने अखलाक से ही मिलता है।
अख़लाके हसना से मुताअल्लिक चन्द अहादीस :-
नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जो शख़्स लोगों पर रहम नहीं करता अल्लाह तआला उस पर रहम नहीं करता। (मुस्नद अहमद-2/228)
सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है-बेशक अल्लाह तआला नरम दिल और खुश मिज़ाज शख़्स को पसन्द फरमाता है। (शुअबुल ईमान-6/254)
सरवरे कौनेन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया-कयामत के दिन मीज़ान (तराजू) पर जो सबसे ज़्यादा बज़्नी चीज़ रखी जायेगी वो ख़ौफे खुदा और अच्छे अखलाक हैं।(सुनन अबी दाऊद-2/305)
रहमते दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया-मोमिनों में उस शख़्स का ईमान ज़्यादा कामिल है जिसका अखलाक सबसे अच्छा है और वो अपने घर वालों पर ज़्यादा मेहरबान है। (जामअ तिर्मिज़ी-375)
फरमाने रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम है-जो शख़्स तुम्हें महरुम करे तुम उसे अता करो और जो तुमसे ज़्यादती करे तुम उसे माफ करो और जो तुमसे कता तआल्लुक करे तुम उससे सिला रहमी (अच्छा सुलूक) करो (शुअबुल ईमान-6/261) (दुर्रे मन्सूर-3/153)
नबी अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया-उस शख्स पर दोज़ख हराम है जो नरम दिल और खुश मिज़ाज और मिलनसार है। (मजमउज्ज़वाइद-4/75)
सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया-जहन्नुम से बचो अगरचा खजूर के एक टुकड़े से हो और जो न पाये वो अच्छी गुफ्तगू करे। (सही बुखारी-2/890)
सरवरे कौनेन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है-जिस आदमी को ये बात पसन्द हो कि उसकी उम्र में बरकत और रिज़्क में कुशादगी हो तो उसे चाहिये कि सिला रहमी (अच्छा सुलूक) इख़्तियार करे। (मुस्तदरक हाकिम-4/161)
रहमते दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया-बेशक मेरे नज़दीक तुम में से सबसे ज़्यादा महबूब और क्यामत के दिन मेरे ज़्यादा करीब वो लोग होंगे जिनके अखलाक सबसे अच्छे हैं। (मजमउज्ज़वाइद-8/21)
मदीना मुनव्वरा की ज़ियारत का सही तरीक़ा।
फरमाने रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हैं बेशक अच्छे अखलाक गुनाहों को इस तरह पिघला देते हैं जैसे सूरज जमे हुये पानी को पिघला देता है। (शुअबुल ईमान-6/247)
नबी अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया-आदमी का अच्छी बात करना उसे जन्नत में ले जायेगा (मजमउज्ज़वाइद-5/17)
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….