28/08/2025
दौलत की चमक या आख़िरत की बरबादी 20250827 171936 0000

दौलत की चमक या आख़िरत की बरबादी? Daulat ki chamak ya aakhirat ki barbadi.

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Daulat ki chamak ya aakhirat ki barbadi.
Daulat ki chamak ya aakhirat ki barbadi.

दुनियाँ में बे शुमार फित्ने हैं जिसमें सबसे बड़ा फित्ना माल है क्योंकि अगर माल न मिले तो इन्सान की मुहताजी उसे कुफ्र के करीब ले जा सकती है और उसे गुमराह कर सकती है और अगर माल मिल जाये तो सरकशी का खतरा रहता है जिसका नतीजा सिवाय नुकसान के कुछ भी नही है और इसके फायदे निजात देने वाले हैं और इसकी आफत गुनाहों में डालने वाली है और इससे वही फायदा उठाता है जिसे अल्लाह तआला तौफीक़ दे या जिसे दीन, व इल्म और उसकी समझ की तौफीक अता हो और माल के सबब अल्लाह तआला इन्सानों को आज़माइश में डालता है कि मेरे दिये हुये माल को बन्दा किस तरह ख़र्च करता है और कितना मेरी राह में ख़र्च करता है और कितना फिजूल खर्च करता है और उस माल के बाइस वो अपनी आफियत में मेरा शुक्र अदा करता है या नहीं और मेरे अता कर्दा माल पर शुक्र गुजारी के साथ साथ कनाअत करता है या नहीं लेकिन बाज़ लोगों की उम्मीदें और ख़्वाहिशात कभी ख़त्म नहीं होती हत्ता कि मौत का वक़्त आ जाता है और वो कब्र में दफन हो जाते हैं।

हदीस पाक में है नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हर उम्मत के लिये एक फित्ना है और मेरी उम्मत का फित्ना माल है।

कुरान मजीद में अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है-बेशक तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद सब आज़माइश है।
(सू०-तग़ाबुन-15)

सरवरे कौनेन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया मुझे इस बात का डर नहीं कि तुम मेरे बाद शिर्क करने लगोगे बल्कि इस बात का डर है कि माल कि हिर्स में एक दूसरे से आगे बढ़ोगे। (सही बुखारी-2/585)

नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है-कसरते माल की ख़्वाहिश नें तुम्हें ग़ाफिल कर दिया और इन्सान कहता है मेरा माल मेरा माल हालाँकि तेरा माल वही है जो तूने खाकर फना कर दिया पहन कर पुराना कर दिया या सदका करके बाकी रखा। (मुस्नद अहमद-4/24)

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया-
ज़्यादा माल वाले हलाक हुये मगर जिसने अपना माल अल्लाह तआला के बन्दों में इस तरह और उस तरह कर दिया यानी सद्का खैरात किया और ऐसे लोग बहुत कम हैं। (मुस्नद अहमद-2/525)

अल्लाह तआला ने तमाम लोगों के दरमियान इख़्तिलाफ रखा है जो तमाम लोगों के लिये बाइसे रहमत है बाज़ लोग इस इख़्तिलाफ को समझ नहीं पाते या समझने की कोशिश नहीं करते अल्लाह तआला ने किसी को मालदारी दी किसी को तंगी किसी को अमन चैन किसी को मुहताजी मायूसी और किसी को आफियत ऐशो आराम और किसी को तकलीफ़ व परेशानी और किसी को राहत किसी को ताक़त किसी को आजिज़ लेकिन वो हर तरह से इन्सानो को आज़माता है कि कौन ज़्यादा अच्छा अमल करता है और कौन मेरा शुक्र गुज़ार है और कौन मेरी रज़ा पर राज़ी है।

और तमाम इन्सानों का हिसाब क़यामत के दिन होगा और ज़र्रा बराबर भी किसी पर जुल्म नहीं होगा जो लोग दुनियाँ में मसाइबो आलाम से दो चार होते है उनसे हिसाब आसान होगा बशर्ते कि वो सब्र व ज़ब्त पर कायम रहें क्योंकि जो दुनियाँ में मुसीबतो परेशानी उठाता है और सब्र करता है तो क़यामत के दिन अल्लाह तआला उसे दोबारा परेशानी नहीं देगा और मालदारों पर जो ऐशो इशरत में रहे उन पर हिसाब सख़्त होगा अगर उन्होंने कसरत से नेक आमाल न किये।

क्योंकि अल्लाह तआला किसी की सूरत या माल नहीं देखता बल्कि वो तो सिर्फ इन्सान के आमाल देखता है क्योंकि तमाम इन्सानों को बनाने वाला और उन्हें नेअमतें अता करनें वाला रब्बुल आलमीन है जो तमाम जहानों को पैदा करने वाला मालिक है और कायनात के निज़ाम को चलाने वाला एक अकेला परवरदिगार है।

कुरान मजीद में अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है- ऐ ईमान वालो तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद तुम्हें अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल न कर दें और जो ऐसा करेगा वही लोग नुक्सान उठाने वाले हैं। (सू०-मुनाफिकून-9)

इरशादे बारी तआला है- तुम्हें ज़्यादा माल पाने की तलब ने आखिरत से गाफिल कर दिया यहाँ तक कि तुम कब्रों में जा पहुँचे हरगिज़ नहीं माल व दौलत तुम्हारे काम नहीं आयेंगे तुम अनक्रीब इस हकीकत को जान लोगे फिर आगाह किया जाता है हरगिज़ नहीं अनक्रीब तुम्हें अपना अंजाम मालूम हो जायेगा हाँ हाँ काश तुम माल व ज़र की हवस और अपनी गफलत के अंजाम को यकीनी इल्म के साथ जानते तो दुनियाँ में खोकर आखिरत को इस तरह न भूलते तुम अपनी हिर्स के नतीजे में दोज़ख को ज़रुर देखोगे फिर तुम उसे ज़रुर यकीन की आँख से देख लोगे फिर उस दिन तुमसे अल्लाह की नेअमतों के बारे में ज़रूर पूछा जायेगा कि तुमने उन्हें कहाँ कहाँ और कैसे कैसे खर्च किया था।(सू०-तकासुर-1-8)

नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया-दो भूके भेड़िये बकरियों के रेवड़ में छोड दिये जायें तो वो उसको इतना तबाह और बर्बाद नहीं करेंगे जितना माल पाने की चाहत दीन को बर्बाद कर देती है। (मुअजम कबीर तिबरानी-19/96) (मिश्कात)

सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है क़यामत के दिन हर फ़कीर और मालदार इस बात को पसन्द करेगा कि काश दुनियाँ में ज़रुरत के मुताबिक रिज़्क मिलता।(मुस्नद अहमद-6/19)

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया-
दो हरीस कभी सेर नहीं होते एक इल्म का हरीस और दूसरा माल की हिर्स रखने वाला। (कंजुल उम्माल-10/179)

ज़्यादा माल पाने की ख़्वाहिश इन्सान को गुनाहों के दलदल में ले जाती है और इन्सान कई तरह के गुनाहों का मुरतकिब हो जाता है ज़्यादा माल के सबब इन्सान के अन्दर तकब्बुर पैदा हो जाता है और वो खुद को मुअज़्ज़ज़ और लोगों को हकीर जानता है और ज़्यादा माल पाने की तलब उसे हिर्स की तरफ ले जाती है क्योंकि उससे ज़्यादा जब किसी दूसरे के पास माल होता है तो वो हसद करता है और उससे ज़्यादा माल हासिल करने की तलब उसे हरीस बना देती है और वो गुनाहगार हो जाता है और लोगों में अपनी तारीफ व वाहवाही और इज़्ज़त पाने के सबब वो ऐसे काम करता है जिसमें दिखावा शामिल होता है और वो इस तरह रियाकारी का गुनाह कर बैठता है हत्ता कि वो अपनी आख़िरत के बजाय दुनियाँ बनाने में लग जाता है और आख़िरत का ख़्याल उसके दिल से निकल जाता है और वो अपनी आखिरत बर्बाद कर लेता है और उसके गुनाह उसे जहन्नुम की तरफ ले जाते हैं।

मोमिन का दिल उसके माल के साथ होता है अगर उसने आगे भेज दिया तो उससे मिलना चाहता है और अगर आगे न भेजा तो उसके साथ रहना चाहता है हज़रत हसन बसरी रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि फरमाते हैं कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की कसम जो शख़्स दिरहम रुपया पैसा की इज़्ज़त करता है अल्लाह तआला उसे ज़लील कर देता है कहा गया है कि जब दिरहम व दीनार तैयार हुये तो शैतान ने उनको उठाकर अपनी पेशानी पर रखा फिर उनको बोसा दिया और कहा जिसने तुम दोनों से मुहब्बत की हक़ीक़त में वही मेरा गुलाम है।

इसलिये हमें चाहिये कि हलाल माल को सही मक्सद के लिये जाइज़ तरीके से हासिल करें और जाइज़ ज़रुरतों पर खर्च करें और फिजूल ख़र्ची से बचें और न कंजूसी करें बल्कि एतदाल पर रहें यानी न हद से ज़्यादा और न हद से कम खर्च करें और अल्लाह तआला की राह में ज़्यादा से ज़्यादा खर्च करें क्योंकि अल्लाह तआला की राह में जो माल खर्च किया जाता है वही माल क़यामत तक हमारा साथी होता है और बाद मौत भी हमारा साथ नहीं छोड़ता और सद्का खैरात भी कसरत से करें और अपने घर वालों पर ख़र्च करें और मेहमानों और मुहताजों गरीबों और मिस्कीनों पर खर्च करें और मुसलमान भाइयों की ज़रुरतों पर खर्च करें और हाजतमंद की हाजत पर उसकी माली मदद करें और मसाजिद और मदारिस में ज़्यादा से ज़्यादा दें और अपने माल की पूरी ज़कात अदा करें।

खूबसूरत वाक़िआ :-आमाल और आज़माइश।

जो शख़्स कसरत से अल्लाह तआला की राह में ख़र्च करता है वो सखी होता है और अल्लाह तआला सखी शख़्स को बहुत ज़्यादा पसंद फरमाता है और ज़रुरत से ज़्यादा माल की तलब और उसका हासिल करना बहुत बड़ी आफत और बवाल है क्योंकि ज़रुरत से ज़्यादा माल अक्सर लोगों को गुनाहों की तरफ ले जाता है और अल्लाह तआला और उसके हबीब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की नाफरमानी का सबब बनता है।

रहमते दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया-अगर इन्सान के पास सोने की दो वादियाँ हों तो वो तीसरी वादी की ख़्वाहिश करता है और इन्सान के पेट को मिट्टी के सिवा कोई चीज़ नहीं भर सकती। (सही मुस्लिम-1/335)

सरवरे कौनेन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है-मुर्दों की मजलिस से बचा करो आप से अर्ज़ किया गया कि मुर्दों से मुराद कौन लोग हैं आप ने इरशाद फरमाया मालदार बुरे लोग (जामऊ तिर्मिज़ी-269)

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से अर्ज़ किया गया कि आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की उम्मत के बुरे लोग कौन हैं आपने इरशाद फरमाया मालदार लोग जो राहे खुदा में खर्च नहीं करते।(शुअबुल ईमान-5/33)

फ़रमाने रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हैं- जिस माल के ज़रिये आदमी अपनी इज्जत की हिफाज़त करता है वो सदका लिखा जाता है (बैहकी-10/244)

नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया-उस शख़्स के लिये खुशखबरी है जिसे इस्लाम की तरफ रहनुमाई हासिल हुई और उसका रिज़्क उससे किफायत करता है और वो उस पर कनाअत करता है। (मुस्नद अहमद-6/19)

अल्लाह तआला और उसके हबीब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के नज़दीक कोई शख़्स मालो दौलत का जखीरा जमा करने से नेक व मुअज़्ज़ज़ और गनी नहीं होता बल्कि कसीर नेकियों को जमा करने और अल्लाह तआला के अहकामात पर अमल पैरा होने से नेक और ग़नी और मुअज़्ज़ज होता है और ज़रूरत से ज़्यादा माल की तलब व हिर्स इन्सान की परेशानियों और गुनाहों में इजाफा करती है और उसकी मसरूफियत उसे अल्लाह तआला से दूर कर देती है और बिल आख़िर उसका माल उससे बेवफाई करता है और एक दिन उसे छोड़ देता है और वो कब्र में पहुँच जाता है फिर उसके पास न तो माल होता है न कसीर नेकियाँ बल्कि अपने गुनाहों के बोझ को क़यामत तक उठाये रखता और सख़्त अज़ाब में मुब्तिला रहता है।

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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