
चाँद के 2 टुकड़े करना आपका ये मोजिज़ा तो शायद हर उम्मती जानता है कि हमारे नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक इशारे से चांद के 2 टुकड़े कर दिए इसी वाकिये को ध्यान में रखते हुए इमाम अहमद रज़ा खान फ़ाज़िल ए बरेलवी रहमतुल्लाहि ताअला अलैह लिखते हैं कि
सूरज उल्टे पाँव पलटे चाँद इशारे हो चार,
अंधे नज़दी देखले कुदरत रसूल अल्लाह की।
तो बात हो रही है बाबा रतन लाल हिंदी रहमतुल्लाह अलैह की आपके बेटे महमूद हिंदी फरमाते है कि आप एक दिन रात में खुले आसमान के नीचे लेटे थे तभी अचानक से आपने देखा कि चाँद के दो टुकड़े हो गए हैं एक मगरिब में और दूसरा टुकड़ा मशरिक में है। ये वाकिया देखकर आप के मन में इसके बारे में जानने के लिए बेकरारी बढ़ गई।
आपका दिल बेचैन हो उठा कि आखिर चाँद के दो टुकड़े करने वाली शख्सियत कौन है। लेकिन उस वक्त हिन्द में किसी के पास इतना इल्म न था जो आपका ये मसला हल कर सके। फिर आप तिजारत के लिए अरब मुल्क गए और वहाँ पर आपने एक बूढ़े आदमी से अपने वाकिये को बताया तो उन्होंने कहा हां वो मक्का के ही हैं और उन्होंने अपने आप को नबी होने का दावा भी किया है ये सुनकर आप फौरन उनके बताए हुए पते पर गए तो आपने देखा कि प्यारे आक़ा सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम अपने कुछ जानिसार सहाबा क़राम के साथ बैठे हैं जब आप पहुंचे तो सब आपको देखते रह गए क्योंकि आपकी बोली हुलिया सब मुख्तलिफ़ था।
आपको देखते ही आक़ा अलैहिस्सलाम ने फरमाया क्या तुम रतन हिंदी हो ये सुनकर बाबा ने कहा हां मैं रत्न हिंदी हूँ लेकिन आपको किसने बताया तो आक़ा क़रीम ने जवाब दिया जिस रब ने मुझे नबी बनाया है उसी रब ने ये भी बताया है. क्या तुमने मुझे पहचाना–? तो बाबा ने जवाब दिया नही। आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम फ़रमाया की बचपन में जिस बच्चे को आपने अपने कंधे पर बिठा कर रास्ता पार कराया था वो बच्चा में ही हूँ उस दिन तुमने मुझे अपने कंधे पर बिठाया था और खाई पार कराई थी आज मैं तुम्हे कलमा पढा कर जहन्नम की खाई से पार लगाऊंगा ये सुनना था कि बाबा रत्न हिंदी तुरन्त आपके क़दमो में गिर गए और आपने क़लमा शहादत पढ़ कर इस्लाम मे दाखिला लिया और सहाबी होने का शरफ़ पाया।
फिर आप ने बाबा रतन हिंदी को 7 खजूरे दी और आपने क़बूल फ़रमाई जिसके बाद आप की उम्र 700 साल हुई!
खूबसूरत वाक़िआ:- बाबा रतन लाल हिंदी का वाक़िआ।
कुछ जरूरी बातें :-
हज़रत सैयद मखदूम अशरफ जहाँगीर सिमनानी ने आपकी जियारत करके ताबईन होने का शरफ़ हासिल किया है। वही सैयद बदिउद्दीन ज़िंदा शाह मदार रहमतुल्लाह अलैह ने भी आपकी जियारत की है। आप को हिंदुस्तान का पहला मुसलमान भी माना जाता है। आपका मज़ार शरीफ पंजाब के शहर भटिंडा में है। आप का तज़किरा इमाम असकलानी अलैहिर्रहमा ने अलासबा में, हज़रत अलाउद्दीन सिमनानी अलैहिर्रहमा ने किताब फसलुल खिताब में व शाह वलीउल्लाह मुहद्दिस देहलवी अलैहिर्रहमा ने अदरुश समीन में मौलाना अब्दुर्रहमान जामी अलैहिर्रहमा जैसे मुहद्दिसीन ने किया है।
आपका मक़ाम बेशक बहुत ही आला है आप के दर से आज भी लोग फैज पाते हैं, आपकी उम्र करीब 700 साल बताई जाती है वही दूसरी रिवायत में आपकी उम्र 632 साल बताई जाती है। आपके बारे में क़ाज़ी नुरुद्दीन जो की हसन इब्ने मुहम्मद के बेटे है आप खुरासान से हिन्द तिजारत की गरज से आये जहाँ पर आपने क़याम किया था वहां पर देखा कि अचानक से एक शोर पैदा हुआ आप भी जब भीड़ में गये तो लोगो से शोर गुल की वजह पूछी तो लोगो ने बताया कि इस दरख़्त के अंदर बाबा है।
जिन्होंने नबी हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम को देखा है ये सुनकर क़ाज़ी नूरूद्दीन को भी उन्हें देखने की ख्वाहिश हुई तो आपने देखा आप दरख़्त के अंदर रुई में ऐसे लेटे है जैसे चिड़िया अपने घोंसले में उसके बाद आपने उन्हें जगाया तो उन्होंने आंख खोली और फिर अपना तज़किरा बयान किया तो अज़ीज़ों ये थे हिन्द के पहले मुसलमा और हिन्द के पहले सहाबीए रसूल बाबा रतन शाह हिंदी राजिअल्लाहो तआला अन्हू जिनका मक़ाम हर वली से अफ़ज़ल है क्योंकि सहाबा का मक़ाम वलियों से अफ़ज़ल होता है इसलिए इनकी शान में गुस्ताखी करके किसी का ईमान सलामत नही रह सकता तो फिर आक़ा अलैहिस्सलाम की शान में गुस्ताखी अल्लाह अल्लाह !
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….