23/06/2025
तहज्जुद के वक़्त फरिश्तों की तीन जमातें। 20250623 104112 0000

तहज्जुद के वक़्त फरिश्तों की तीन जमातें। Tahajjud ke waqt farishton ki teen jamate.

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Tahajjud ke waqt farishton ki teen jamate.
Tahajjud ke waqt farishton ki teen jamate.

जब रात का आख़िरी पहर होता है तो अल्लाह तआला फरिश्तों की तीन जमातें बना देते हैं।

(1) थपकियाँ देकर सुलाने वाले फरिश्ते :-

एक जमात को हुक्म देते हैं कि देखो, यह मेरे करीबी लोगों के जागने का वक़्त है, यह मेरे चाहने वालों के लिए मुझसे राज़ व नियाज़ करने का वक़्त है। तुम दुनिया में जाओ। फलां-फलां मेरे नाफरमान बंदे हैं, उन्होंने मुझे नाराज़ किया हुआ है, तुम उनके सरहाने जाकर खड़े हो जाओ और थपकियों दे दे कर उनको सुला दो ताकि ये सोए रहें और उनकी आंख न खुले। मैं चाहता ही नहीं कि ये इस मौके पर मेरे सामने खड़े हों।

फरिश्ते आते हैं और उन लोगों को थपकियाँ देकर मीठी नींद सुला देते हैं। लिहाजा आप देखेंगे कि अगर अक्सर लोग इशा के बाद गप्पें मारना शुरू कर देते हैं। गप्पे मारते मारते जब तहज्जुद और कुबूलियत का वक़्त शुरू होता है तो सोए पड़े होते हैं बल्कि मोए पड़े हुए होते हैं। शादी ब्याह पर इसकी अक्सर मिसालें आप देखते हैं कि इशा के बाद खूब गहमा गहमी होती हैं कहते है। कि जी हम सारी रात जागते रहेंगे लेकिन रात के आख़िरी पहर में उन्हीं लोगों को देखेंगे, सब सोए, मोए पड़े होते हैं। क्यों?

इसलिए कि यह करीबी लोगों के उठने का वक़्त है। अल्लाह तआला ऐसे वक़्त में उनको जागने नहीं देते। हम सोचते हैं कि हम नहीं जागते लेकिन हकीकत यह होती है कि ऊपर से तौफीक ही नहीं होती। बहाना थकावट और कामों का बनाते हैं।

अल्लाह तआला उस वक़्त में उनका जागना भी पसंद नहीं करते क्योंकि यह ऐसी बरकत का वक़्त होता है कि हमारे मशाइख ने लिखा है कि जो औरतें रात के आख़िरी पहर में उठकर अपने घर में झाडू देती है या कुछ बनाती है तो जैसे कि दस्तूर है हमारे इलाकों का, उस वक्त कोई काम करने वाली औरत भी अल्लाह की रहमत से महरूम नहीं रहती। जब रहमत का यह हाल है तो ऐसे वक़्त में जो भी जागे वह हिस्सा पाएगा। इसीलिए जागने ही नहीं देते। हुक्म होता है कि सुला दो ताकि फहरिस्त में नाम ही न आए। हम उनको कुछ नहीं देना चाहते।

(2) पर मारकर जगाने वाले फरिश्ते :-

फिर फरिश्तों की एक दूसरी जमात को हुक्म होता है कि जाओ फलां-फलां बंदे मेरे पसंदीदा बंदे है, जाओ और उनको जगाओ ताकि वे मेरे सामने खड़े होकर इबादत करें, मुझ से राज व नियाज़ की बातें करें। वे मुझ से मांगेगे और मैं उनकी झोलियाँ भर दूंगा। लिहाज़ा कई लोगों को देखते हैं कि बावजूद इसके कि थके हुए होते हैं, तहज्जुद के वक़्त में ऐसे अचानक आँख खुल जाती है कि जैसे किसी ने उठा दिया हो।

उनके अंदर घड़ी फिट हो जाती है। जैसे कि आज हम में से हर एक के पेट की घड़ी होती है। कहते हैं कि यह पेट की घड़ी हमेशा ठीक टाईम पर अलार्म बजा देती है और हर बंदे को पता चल जाता है कि भूख लगी हुई है। तो जैसे हमारे पेट की घड़ी ठीक काम करती है अल्लाह वालों के दिल की घड़ी ठीक काम कर रही होती है। वे तहज्जुद के वक़्त अलार्म बजा देती है। कितना ही थके हुए क्यों न हों आख़िर पहर में उनकी आँख खुल जाती है और वे अपने रब के आगे खड़े होकर अपने रब को मनाते हैं।

तीन घंटों की नींद तीन मिनट में :-

हमारे हज़रत मुर्शिद आलम रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि फरमाने लगे कि एक दफा मैं बहुत ही थका हुआ था। कई दिन से लगातार काम कर रहा था। मग़रिब की नमाज़ का वक़्त करीब था, थकावट इतनी ग़ालिब थी कि मैं आजिज़ आ गया और मैंने अपने दोस्तों से कहा कि बस अब सब लोग यहाँ से चले जाएं। वे कहने लगे हज़रत ! नमाज़ में सिर्फ दस पंद्रह मिनट बाकी हैं। आप बाद में सो जाना। मैंने कहा कि बस आप जाएं। मैंने उन सबको कमरे से बाहर निकाल दिया। फ़रमाते हैं कि मैंने कुंडी लगा दी और आकर बिस्तर पर सो गया।

मैं सोता रहा, सोता रहा यहाँ तक कि मेरी नींद पूरी हो गई। मैंने ख़्वाब में देखा कि कोई कहने वाला कह रहा है, ‘हम ही सुलाते हैं और हम ही जगाते हैं। इस बात को सुनकर मेरी आँख खुल गई। फ़रमाते हैं कि मेरी तबियत ताज़ा दम थी। मैंने कहा अच्छा उठकर वुज़ू करता हूँ और नमाज़ पढ़ता हूँ। जब मैं उठा और कुंडी खोली तो देखा कि जिन लोगों को बाहर निकाला था वह दरवाज़े पर ही खड़े थे। दरवाज़ा खोला, बाहर निकला तो वे कहने लगे हज़रत ! आपने सोने का इरादा छोड़ दिया?

मैंने कहा नहीं, मेरी तो नींद पूरी हो गई। इस पर उन्होंने घड़ी देखी और कहने लगे कि अभी हमें कमरे से बाहर निकले हुए सिर्फ तीन मिनट ही गुज़रे हैं। अल्लाह तआला अपने प्यारों को तीन मिनट में इतना सकून दे देता है कि जैसे उनको तीन घंटे की नींद नसीब हो गई और हम सारी रात भी सोकर ताज़ा दम नहीं होते।

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(3) मुकर्रिबीन की करवट बदलने वाले फरिश्ते :-

फरिश्तों की एक तीसरी जमात होती है। अल्लाह तआला उनसे फरमाते हैं कि जाओ जो लोग मेरे करीबी लोगों में से हैं उनकी जाकर करवट बदल दो। वे चाहेंगे तो उठकर नमाज़ पढ़ेंगे, तिलावत करेंगे और मुझसे मांगेगे और चाहेंगे तो लेटे रहेंगे। मैं जिस तरह उनकी इबादत से राज़ी हूँ उसी तरह उनके सो जाने पर भी राज़ी हूँ। ये वे उलमा होते हैं कि जो साहिबे मारिफ़त होते हैं और उनका सोना भी अल्लाह तआला के नज़दीक इबादत शुमार कर लिया जाता है।

नौजवानों की बदहाली

आज इबादत का शौक निकलता जा रहा है। लिहाज़ा नौजवानो में से आज मुश्किल से ही कोई नौजवान नज़र आएगा जिसके दिल में यह तड़प हो कि मैं जागूं और अपने रब को मनाऊँ और मुझे तहज्जुद की तौफीक हमेशा के लिए नसीब हो जाए। अजीब बात तो यह है कि अब इसके लिए दुआएं भी नहीं करवाते हैं।

दुआओ के लिए आते है। तो कौन सी दुआएं करवाते हैं? नौकरी की दुआएं, कर्जे की दुआएं, कारोबार की दुआएं, मकान की दुआएं, अपनी शादी की दुआए, अपनी बीमारी की दुआएं, इल्ला माशाअल्लाह किस्मत से कोई होगा जो आकर कहेगा कि हज़रत ! दुआ कीजिए कि अल्लाह तहज्जुद की पाबंदी अता फरमा दे।

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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