22/07/2025
ज़िना और बदकारी का अज़ाब। 20250511 234142 0000

ज़िना और बदकारी का अज़ाब। Zina aur badkari ka azaab.

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Zina aur badkari ka azaab.
Zina aur badkari ka azaab.

मेराज की रात नबी-ए-करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का गुज़र एक ऐसी क़ौम पर हुआ जिनके सामने एक हंडिया में पका हुआ गोश्त रखा हुआ है और दूसरी हंडिया में कच्चा गोश्त को खा रहे हैं और पका हुआ गोश्त नहीं खाते।

आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने पूछा यह कौन लोग हैं? हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने कहा या रसूलुल्लाह ! यह वह लोग हैं जो अपनी पाकीज़ा और हलाल बीवियों को छोड़ कर दूसरी हराम औरतों के साथ रातें गुज़ारते थे और बुराई के मुरतकिब होते थे।

इसी तरह यह औरतें वह हैं जो अपने ख़ाविंद को छोड़कर दूसरे मर्दों के साथ रंग रेलियां मनाती थीं और बदकारी की मुरतकिब होती थीं इन मर्दों और औरतों के मुतआलिक ही अल्लाह तआला ने इरशाद फरमाया है। तर्जुमा “और तुम ज़िना के करीब ना जाओ क्योंकि यह बहुत बेहयायी का काम और बुरा रास्ता है।(त‌सिर इब्न कसीर जि. 3)

इब्न अदी और बेहक़ी ने हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मेराज की रात मैंने कुछ ऐसे देखे जिनके सर पत्थरों से कुचले जा रहे थे मैंने पूछा यह कौन लोग हैं? वह कहने लगे कि यह वह लोग हैं जिनके सर नमाज़ पढ़ने से बोझल होते थे फिर मैंने ऐसे लोग देखे जिनके आगे पीछे शर्मगाह पर कुछ चिथड़े लिपटे हुए वह जकूम और कांटेदार दरख़्त इस तरह चर रहे थे जैसे ऊंट या गाय, बैल, चरते हैं।

मैंने पूछा कि यह कौन लोग हैं? उन्होंने कहा कि ये वह लोग हैं जो अपने सदक़ात अदा नहीं करते हैं। फिर ऐसे लोगों के पास आया जिनके पास एक हाँडी में कुछ पका हुआ गोश्त था और दूसरी हाँडी में कच्चा गोश्त था तो उन्होंने पका हुआ गोश्त छोड़ दिया और कच्चा खाने लगे।

मैंने पूछा यह कौन लोग हैं? तो वह कहने लगे कि यह उन मर्दों और औरतों की मिसाल है जो पाक बीवीयों और शौहरों के होते हुए गैरों के पास रात गुज़ारते थे। फिर एक शख़्स को देखा जो लकड़ियों का गठा उठा रहा था लेकिन वह उससे उठा नहीं सकता था।

मैंने पूछा यह कौन लोग हैं तो उन्होंने कहा यह शख़्स वह है जिसके पास लोगों की अमानतें हों और वह उनके अदा करने की ताक़त नहीं रखता फिर भी मज़ीद अमानतें लिये जाता है। फिर ऐसे लोग देखे जिनकी ज़बानें लोहे की कँचियों से काटी जा रही थी। मैंने पूछा यह कौन लोग हैं? वह कहने लगे कि यह फितना फैलाने वाले उल्मा हैं।(बैहक़ी)

अबू दाऊद ने हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया की नबी-ए-करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मेराज की रात में ऐसे लोगों के क़रीब से गुज़रा जो लोहे के नाखून रखते थे वह अपने मुँह और सीने नोच रहे थे। मैंने दरियाफ़्त किया यह कौन लोग हैं? जिब्रील ने कहा यह वह लोग हैं जो लोगों की इज्ज़त व आबरू लूट लेते थे।सात आमाल का सवाब। Saat Aamal ka sawab.

तारीख इब्न असाकर में उनकी सनद से उमरू बिन अस्लम दमिश्क़ी से रिवायत है कि हमारे यहाँ सरहद के पास एक शख़्स मर गया और उसको वहीं दफन कर दिया गया। फिर तीसरे दिन जब खोदा गया तो मालूम हुआ कि क़ब्र की ईंटें इसी तरह लगी हुई हैं और वह शख़्स क़ब्र में नहीं है तो उसके बारे में वकीय बिन जराह से मालूम करने पर पता चला कि जो क़ौमे लूत का सा काम करता है उसको उसकी क़ब्र से मुन्तक़िल करके लूतीयों के पास पहुंचा दिया जाता है ताकि इसका हशर उन्हीं के साथ हो।

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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