दिलचस्पी और मेहनत के साथ कारोबार कीजिए। अपनी रोजी खुद अपने हाथों से कमाइए और किसी पर बोझ न बनिए ।
एक बार नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत में एक अनसारी आए और उन्होंने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से कुछ सवाल किया। आपने पूछा, “तुम्हारे घर में कुछ सामान भी है ?” सहाबी रजियल्लाहु तआला अन्हु ने कहा, “ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम! सिर्फ दो चीजें हैं एक टाट का बिछौना जिसको हम ओढ़ते भी हैं और बिछाते भी हैं और एक पानी पीने का प्याला है।”
आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया- “ये दोनों चीजें मेरे पास ले आओ ।” सहाबी रजियल्लाहु तआला अन्हु दोनों चीजें लेकर हाजिर हो गए। आप ने वे दोनों चीजें दो दिरहम में नीलाम कर दीं और दोनों दिरहम उनके हवाले करते हुए फ़रमाया, “जाओ, एक दिरहम में कुछ खाने-पीने का सामान खरीद कर घरवालों को दे आओ और एक दिरहम में कुल्हाड़ी खरीद कर लाओ।”
फिर कुल्हाड़ी में आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने अपने मुबारक हाथों से दस्ता लगाया और फ़रमाया, “जाओ जंगल से लकड़ियाँ काट-काटकर लाओ और बाज़ार में बेचो । पन्द्रह दिन के बाद हमारे पास आकर पूरी बात सुनाना ।” पन्द्रह दिन के बाद जब वह सहाबी हाज़िर हुए तो उन्होंने दस दिरहम जमाकर लिए थे। आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ख़ुश हुए और फ़रमाया-“यह मेहनत की कमाई तुम्हारे लिए इससे कहीं बेहतर है कि तुम लोगों से माँगते फिरो और क़यामत के दिन तुम्हारे चेहरे पर भीख माँगने का दाग हो ।”
जमकर कारोबार कीजिए और खूब कमाइए ताकि आप लोगों के मुहताज न रहें।
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से लोगों ने एक बार पूछा, “ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम! सबसे बेहतर कमाई कौन-सी है ?” फ़रमाया- “अपने हाथ की कमाई और हर वह कारोबार जिसमें झूठ और खियानत न हो।”
हजरत अबू क़लाबा रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि फ़रमाया करते थे-“बाजार में जमकर कारोबार करो, तुम दीन पर मजबूती के साथ जम सकोगे और लोगों से बेनियाज रहोगे ।”
कारोबार बढ़ाने के लिए हमेशा सच्चाई अपनाईए । झूठी क़समों से सख़्ती के साथ परहेज़ कीजिए ।
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया-“क़ियामत के दिन अल्लाह तआला न उस आदमी से बात करेगा, न उसकी ओर मुँह उठाकर देखेगा और न ही उसको पाक-साफ़ करके जन्नत में दाखिल करेगा, जो झूठी क़समें खा-खाकर अपने कारोबार को बढ़ाने की कोशिश करता है।”(मुस्लिम)
और आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने यह भी फ़रमाया-“अपना माल बेचने के लिए कसरत से झूठी क़समें खाने से बचो। यह चीज़ वक़्ती तौर पर तो बढ़ाने की मालूम होती है, लेकिन आखिरकार कारोबार में बरकत खत्म हो जाती है।”(मुस्लिम)
कारोबार में हमेशा दियानत व अमानत इख़तियार कीजिए और कभी किसी को ख़राब माल देकर या जाने-पहचाने नफ़ा से ज्यादा गैर-मामूली नफ़ा लेकर अपनी हलाल कमाई को हराम न बनाइए ।
ख़ुदा के रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है-“सच्चा और अमानतदार ताजिर क़ियामत में नबियों, सिद्दीकों और शहीदों के साथ-साथ होगा ।” (तिरमिजी)
ख़रीदारों को अच्छे से अच्छा माल देने की कोशिश कीजिए। जिस माल पर आपको इतमीनान न हो, वह हरगिज़ किसी खरीदार को न दीजिए और अगर कोई ख़रीदार आपसे मशवरा तलब करे तो उसको मुनासिब मशवरा दीजिए ।
खरीदारों को अपने एतबार में लेने की कोशिश कीजिए कि वे आपको अपना भला चाहने वाला समझें, आप पर भरोसा करें और उनको पूरा-पूरा इतमीनान हो कि वे आपके यहाँ कभी धोखा न खाएँगे ।
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है-“जिसने पाक कमाई पर गुज़ारा किया, मेरी सुन्नत पर अमल किया और लोगों को अपनी खराबी से बचाए रखा तो यह आदमी जन्नती है, जन्नत में दाखिल होगा ।” लोगों ने अर्ज़ किया, “ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम! इस ज़माने में तो ऐसे लोग कसरत से हैं।” आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, “मेरे बाद भी ऐसे लोग होंगे।”(तिरमिज़ी)
वक़्त की पाबन्दी का पूरा-पूरा खयाल रखिए। वक़्त पर दुकान पहुँच जाइए और जमकर सब्र के साथ बैठिए ।
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है-“रोजी की खोज और हलाल कमाई के लिए सुबह-सवेरे ही चले जाया करो, क्योंकि सुबह के कामों में बरकत और फैलाव होता है।”
खुद भी मेहनत कीजिए और नौकरों को भी मेहनत का आदी बनाइए । अलबत्ता नौकरों के हक़ों को फैयाजी और ईसार के साथ अदा कीजिए और हमेशा उनके साथ नर्मी और अच्छाई का बरताव कीजिए । बात-बात पर गुस्सा करने और शक करने से परहेज़ कीजिए ।
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है-“खुदा उस उम्मत को पाकीज़गी नहीं देता जिसके माहौल में कमज़ोरों को उनका हक़ न दिलवाया जाए ।”
खरीदारों के साथ हमेशा नर्मी का मामला कीजिए और क़र्ज माँगने वालों के साथ सख़्ती न कीजिए, न उन्हें मायूस कीजिए और न ही उनसे तक़ाज़े में सख़्ती कीजिए ।
खूबसूरत वाक़िआ:-मैय्यत और दफ़न के सुन्नत तरीक़े।
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है-“खुदा उस आदमी पर रहम फ़रमाएगा जो ख़रीदने-बेचने और तक़ाज़ा करने में नर्मी और खुश-अखलाकी से काम लेता है। (बुखारी)
और आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने यह भी फ़रमाया, “जिस आदमी की यह ख़ाहिश हो कि ख़ुदा उसको क़यामत के दिन की घुटन और ग़म से बचाए तो उसे चाहिए कि तंगदस्त क़र्जदार को मोहलत दे या क़र्ज का बोझ उसके ऊपर से उतार दे।”
माल का ऐब छिपाने और खरीदार को धोखा देने से परहेज़ कीजिए । माल की खराबी और ऐब खरीदार पर खोल दीजिए । एक बार नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम गल्ले के एक ढेर के पास से गुज़रे । आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने अपना हाथ उस ढेर में डाला तो उँगलियों में कुछ नमी महसूस हुई। आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने ग़ल्लेवाले से पूछा-“यह क्या है ?” दुकानदार ने कहा, “ऐ अल्लाह के रसूल ! इस ढेर पर बारिश हो गई थी।” आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, “फिर तुमने भीगे हुए ग़ल्ले को ऊपर क्यों नहीं रख दिया कि लोग उसे देख लेते। जो आदमी धोखा दे, उसका मुझसे कोई ताल्लुक़ नहीं ।”
क़ीमतें बढ़ने के इंतिजार में खाने-पीने की चीजें रोककर खुदा की मख़लूक़ को परेशान करने से सख्ती के साथ बचिए ।
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया-“जमाखोरी करने वाला गुनाहगार है।”
एक मौके पर आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया- “जमाखोरी करने वाला बुरा आदमी है। जब ख़ुदा चीज़ों को सस्ता फ़रमा देता है तो वह ग़म में घुलता है और जब क़ीमतें चढ़ जाती हैं तो उसका दिल खुश हो जाता है।”(मिश्कात)
खरीदार को उसका हक़ पूरा-पूरा दीजिए। नाप-तौल में एहतिमाम कीजिए । लेने और देने का पैमाना एक रखिए। नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने नाप-तौलवाले ताजिरों को खिताब करते हुए बताया-“तुम लोग दो ऐसे कामों के ज़िम्मेदार बनाए गए हो जिनकी वजह से तुमसे पहले गुज़री हुई क़ौमें हलाक हुईं ।”
कुरआन में है- तर्जुमा: “नाप-तौल में कमी करने वालों के लिए हलाकत है, जो लोगों से नापकर लें तो पूरा-पूरा लें और जब उनको नाप या तौल कर दें तो कम कर दें। क्या ये लोग नहीं जानते कि ये ज़िन्दा करके उठाए भी जाएँगे ? एक बड़े ही सख़्त दिन में, जिस दिन तमाम इनसान सारे जहानों के पालनहार के हुजूर खड़े होंगे । (83:1-6)
तिजारती कोताहियों का कफ़्फ़ारा जरूर अदा करते रहिए और ख़ुदा की राह में दिल खोलकर सदक़ा व खैरात करते रहा कीजिए ।
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने ताजिरों को हिदायत फ़रमाई- “ऐ कारोबार करने वालो ! माल के बेचने में बेकार की बात करने और झूठी क़सम खा जाने का बहुत इमकान रहता है, तो तुम लोग अपने मालों में से सदक़ा जरूर किया करो।” (अबू दाऊद)
और उस तिजारत को कभी जेहनों से ओझल न होने दीजिए जो दर्दनाक अज़ाब से निजात दिलाने वाली है और जिसका नफ़ा मिटने वाली दौलत नहीं, बल्कि हमेशा की कामयाबी और न खत्म होने वाली जिन्दगी है।
कुरआन में है- तर्जुमा: “ऐ ईमान वालो ! मैं तुम्हें ऐसी तिजारत क्यों न बताऊँ जो तुम्हें दर्दनाक अज़ाब से बचाए । यह कि तुम ख़ुदा पर और उसके रसूल पर ईमान लाओ और खुदा की राह में अपने माल और अपनी जानों से जिहाद करो । यह तुम्हारे हक़ में बहुत बेहतर है, अगर तुम इल्म से काम लो ।” (कुरआन, 61:10-11)
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….