हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से बहुत ज़्यादा मुहब्बत थी। एक बार नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम घर में मौजूद थे। हज़रत फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा तशरीफ लायीं।
आका ने आप से पूछा कि कैसे आई हो? आपने अपने दुपट्टे का पल्लू खोला। उसके अंदर आधी रोटी थी। आपने वह रोटी नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में पेश की और कहा अब्बा जान! मैं आपके लिए अपनी तरफ से तोहफा लाई हूँ। पूछा, फातिमा! क्या बात बनी ? अर्ज किया, ऐ अल्लाह के नबी हम कई दिनों से भूखें थे, हज़रत अली ने कुछ काम किया और आटा लेकर आए।
मैंने रोटियाँ पकायीं, एक हसन ने खाई, एक हुसैन ने खाई, एक अली रज़ियल्लाहु अन्हु ने खाली। एक रोटी मांगने वाले को दे दी और एक रोटी मेरे लिए बची थी। अब्बा जान जब मैं रोटी खा रही थी तो दिल में ख्याल आया, फातिमा ! तुम बैठी रोटी खा रही हो, पता नहीं कि तुम्हारे अब्बा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को कुछ खाने को मिला या नहीं मिला, इसलिए मैंने बाकी आधी रोटी कपड़े में लपेटी और आपकी ख़िदमत में ले आई हूँ।
अब्बा हुज़ूर मैं आपको यह हदिया पेश कर रही हूँ, इसको क़ुबूल फरमा लीजिए। नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया, फातिमा! मुझे कसम है उस ज़ात की जिसके कब्ज़े में मेरी जान है, आज तीन दिन गुज़र गए तेरे बाप के पेट में खाने का कोई लुक्मा नहीं गया।
खूबसूरत वाक़िआ:हज़रत उमर फ़ारूक़ के दौर की हया। Hazrat Umar Farooq ke Daur ki Hya.
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….
