हमें मालूम होना चाहिए कि फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद सुन्नत और नफ़िल नमाज़ों के पढ़ने का भी बहुत बड़ा सवाब है। जैसे तहज्जुद, इशराक़ चाश्त, सलात उल तस्बीह वग़ैरा पिछली रात को सुबह होने से पहले नमाज़ पढ़ने को तहज्जुद की नमाज़ कहते हैं।
यह नमाज़ अल्लाह तआला को बहुत प्यारी हैं। हमारे रसूल हुज़ूर (स०) पर फ़र्ज़ थी और आपकी उम्मत के लोगों पर सुन्नत है। जो मर्द या औरत इस नमाज को पढ़ेगा, दुनिया में किसी का मोहताज न होगा। क़ब्र के अज़ाब से बचेगा। क़ब्र में रोशनी होगी।Tahjjud ki Namaz padhne ki fazilat.
यह नमाज़ क़ब्र का चाँद है और क़यामत के दिन तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने वाला सत्तर आदमियों को बख्शवायेगा और जब क़ब्र से उठेगा तो उसका चेहरा नूर की रोशनी से चमकता होगा। नबियों ने और वलियों ने और नेकबन्दों ने इस नमाज़ को हमेशा पढ़ा है।
इस नमाज़ का इतना बड़ा सवाब इसलिए है कि आराम और नींद छोड़कर पढ़ी जाती है जो बड़ी हिम्मत का काम है। बस जैसी मेहनत वैसी उजरत ।
हादी-ए-दो आलम (स० ) फ़रमाते है कि जब कोई मर्द या औरत तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने को उठता है, तो अल्लाह तआला फ़रमाता है, ऐ फ़रिश्तो ! देखो मेरे बन्दे की तरफ़ कैसी मीठी नींद छोड़कर मेरी इबादत के लिए उठा है।
तुम गवाह रहो कि हमने इसको बख्श दिया और हम इससे हिसाब नहीं लेंगे और जन्नत में इसको नबियों के साथ रखेंगे और दोज़ख़ इस पर हराम है।Tahjjud ki Namaz padhne ki fazilat.
और इरशाद फ़रमाया हुज़ूर (स०) ने कि- जब आधी रात हो जाती है और एक हिस्सा बाक़ी रहती है तो अल्लाह तआला बड़ी रहमतों और बरकतों वाला उतरता है पहले आसमान तक, फिर फ़रमाता है कि है कोई बन्दा माँगने वाला जो वह माँगे उसको दिया जाये।
कोई है दुआ करने वाला कि उसकी दुआ क़बूल की जाये। कोई है गुनाह बख्शवाने वाला कि उसके गुनाह बख्श दिये जायें। इसी तरह हमेशा सुबह तक ऐलान फ़रमाता है। ( मुस्लिम शरीफ़)
फ़ायदा- अल्लाह तआला जिस्म से पाक है। उतरना चढ़ना उसकी शान-ए-अज़ीम के खिलाफ है। मतलब यह है कि आधी रात के जाने के बाद सुबह तक अल्लाह- तआला की ख़ास रहमतें तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने वाले बन्दों पर बरसती हैं। अब मालूम हो गया होगा कि तहज्जुद का वक़्त बहुत ही आलीशान और बड़ी बरकतों वाला है।Tahjjud ki Namaz padhne ki fazilat.
फ़ायदा- ऐ इन्सान ! कितनी बड़ी नेमत अल्लाह तआला की हर एक रात में है और तू इससे ग़ाफ़िल है। उठ और हिम्मत कर और इस नमाज़ की बरकतें हासिल कर दुनिया में भी इस नमाज़ के पढ़ने वाले का चेहरा नूरानी हो जाता है ।
क़ैलूला- तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने वाला अगर दोपहर में ज़रा आराम कर ले और सो जाया करे तो इसको कैलूला कहते हैं। इसमें सुन्नत के सवाब के अलावा यह भी फ़ायदा है कि दिमाग़ में और अक्ल में ताक़त पैदा होती है।
रात को नमाज़ के लिए उठने में सहूलियत होती है। इस नमाज़ की कम से कम दो रकअत या चार रकअत या ज्यादा से ज़्यादा बारह रकअत है। जितनी ताक़त और फ़ुर्सत हो, उतनी पढ़ें।
तहज्जुद की नमाज़ को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…