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01/10/2025
शुक्रे इलाही में पत्थर भी रो पड़ा। 20250525 130429 0000

शुक्रे इलाही में पत्थर भी रो पड़ा।Shukre ilahi me paththar bhi ro pade.

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Shukre ilahi me paththar bhi ro pade.
Shukre ilahi me paththar bhi ro pade.

एक बुजुर्ग किसी रास्ते पर जा रहे थे। उन्होंने एक पत्थर को रोते हुए देखा। उन्होंने पत्थर से पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो? वह कहने लगा, मैंने किसी कारी साहब को पढ़ते हुए सुना है कि इंसान और पत्थर जहन्नम का ईंधन बनेंगे।

जब से मैंने सुना मैं रो रहा हूँ कि क्या पता मुझे भी जहन्नम का ईंधन बनाकर जला दिया जाए। इन बुजुर्ग को उस पर बड़ा तरस आया। लिहाजा उन्होंने खड़े होकर दुआ मांगी, ऐ अल्लाह! इस पत्थर को जहन्नम का ईंधन न बना, जहन्नम की आग से माफ़ और बरी फरमा देना।

अल्लाह तआला ने उनकी दुआ कुबूल फरमा ली। वह बुजुर्ग आगे चले गए। कुछ दिनों के बाद वापस उसी रास्ते से गुज़रने लगे तो देखा कि वह पत्थर फिर रो रहा है। वह फिर खड़े हो गए। पत्थर से बात की तो पत्थर से फिर पूछा कि अब क्यों रो रहा है?

तो पत्थर ने जवाब दिया कि ऐ अल्लाह के बंदे ! जब आप पहले आए थे तो उस वक़्त रोना तो ख़ौफ का रोना था और अब मैं शुक्र और सुरूर की वजह से रो रहा हूँ कि मेरे परवरदिगार ने मुझे जहन्नम की आग से माफी अता फरमा दी है।

जैसे बच्चे का रिज़ल्ट अच्छा निकले तो खुशी की वजह से आँखों से आँसू आ जाते हैं। इसी तरह अल्लाह के नेक बंदों को जब उसकी मगरिफ़त मिलती है, जब सीनों में नूर आता है, सकीना नाज़िल होती है और रब्बे करीम की रहमत और बरकत नाज़िल होती है तो अल्लाह के कामिल बंदे फिर अल्लाह के शुक्र से रोया करते हैं।मलिका जुबैदा खातून का वाक़िआ।

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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