31/05/2025
शैतान के दोस्त और दुश्मन। 20250513 015311 0000

शैतान के दोस्त और दुश्मन। Shaitan ke dost aur Dushman.

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Shaitan ke dost aur Dushman.
Shaitan ke dost aur Dushman.

एक बार अल्लाह तआला ने शैतान को हुक्म दिया कि मेरे महबूब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हो, और वह जो कुछ तुम से पूछे उनका जवाब दो, चुनाँचि शैतान एक बुडदे की शकल में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाजिर हुआ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा तू कौन है?

कहा मैं शैतान हूँ फ़रमाया क्यों आए हो? खुदा ने मुझे हुक्म दिया है कि मैं आप के पास आउँ और आप जो पूछें उसका जवाब दूँ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मेरी उम्म्त में से तुम्हारे दुश्मन कितने हैं?

शैतान ने जवाब दिया पन्द्रह फरमाया कौन कौन से? शैतान ने कहा, सब से पहले तो मेरे दुश्मन आप हैं दूसरे मेरा दुश्मन इंसाफ करने वाला हाकिम है तीसरा मुतवाज़े दौलत मंद, चौथा, सच बोलने वाला ताजिर, पांचवाँ खुदा से डरने वाला आलिम, छटा दामन नासेह, सातवाँ रहम दिल मोमिन, आठवाँ तौबा करने वाला, नौवां हराम से बचने वाला, दसवाँ हमेशा बा वुजू रहने वाला, ग्यारह सदका खैरात करने वाला, बारहवाँ नेक अख़लाक़ रखने वाला, तेरह लोगों को न पहुँचाने वाला, चौदहवाँ कुर्भान पढ़ने वाला, पन्द्रहवाँ रात को उठ कर नमाज पढ़ने वाला,

हुजूर अलैहिस्सलाम ने फरमाया और तुम्हारे दोस्त कितने हैं? कहने लगा दस ! ज़ालिम, हाकिम, मुतकब्बिर, ख्यानत करने वाला, दौलत मंद, शराब पीने वाला, चुंगल खोर, रिया कार, सूदखोर, यतीम का माल खाने वाला, ज़कात न देने वाला और लम्बी आरजूओं वाला।(रूहुल-ब्यान जिः1, सः290)

हुज़ूर अलैहिस्सलाम के दरियाफ़्त करने पर शैतान ने अपने दोस्तों और दुश्मनों की फिहरिस्त ब्यान कर दी है, अब हर शख़्स को यह फिहरिस्त मुलाहिजा करके देखना चाहिए कि उसका नाम शैतान के दोस्तों की फिहरिस्त में नज़र आता है या नहीं हम में से हर शख़्स का दवा तो यही है कि हम शैतान के दुश्मन हैं, लेकिन अमल उस के खिलाफ होता है देखिए एक भरे मजमा में पूछता हूँ कि आप शैतान के दोस्त हैं या दुश्मन? तो सारे मजमा से आवाज़ आएगी, दुश्मन ! मैं कहूँगा ठीक है, वाही उसका दुश्मन ही होना चाहिए खुदाने फ़रमाया कि वह तुम्हारा दुश्मन है।

“फत्तख़िजूहु अदूव्वन” तुम उसके दुश्मन बनो” अच्छा साहब ! शैतान आप का दुश्मन है। और आप शैतान के, और खुदा के आप दोस्त हैं या दुश्मन जवाब मिलेगा दोस्त! अच्छा साहिब ! खुदा के आप दोस्त हैं, अब यह बात भी समझ लीजीए कि सिनेमा और थेटर शैतान के घर हैं यअनी दुश्मन का घर और मस्जिद खुदा का घर है,ज़िना और बदकारी का अज़ाब। Zina aur badkari ka azaab.

यअनी दोस्त का घर, और सब जानते हैं कि दुश्मन के घर कोई नहीं जाता, और दोस्त के घर हर शख्स खुशी से जाता है दुश्मन के घर तो लोग कहते हैं मैं पेशाब करने भी न जाउँगा, कितने अफ़सोस की बात है कि आप दुश्मन के घर सिनेमा वगैरह में तो पैसे खर्च करके जाते हैं और दोस्त के घर मुफ़्त भी नहीं आते दोस्त के घर कभी आप आये नहीं और दुश्मन के घर से कभी निकले नहीं।

फरमाईए यह कैसी दुश्मनी है और कैसी दोस्ती खुदा से दुआ है कि वह हमें शैतान का सच्चा दुश्मन बनाये और उसकी दोस्ती से बचाए आमीन !

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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