सय्यिदिना हुसैन(र.अ)का दर्दनाक खुत्बा।Sayyidina Husain (r.a)ka Dardnak Khutba.

Sayyidina hussain ka dardnak khutba

जब दुश्मन की फ़ौज ने पेश क़दमी की तो इस मुजस्समे ईषारो कुरबानी और सब्र व इस्तिक़ामत के पैकर ने उन के सामने ब आवाज़े बलंद मुन्दर्जा ज़ैल ख़ुत्बा इरशाद फ़रमाया :“लोगो ! मेरा हसबो नसब याद करो, सोचो! मैं कौन हूं, फिर अपने गिरेबानों में नज़र डालो और अपने ज़मीर का मुहासबा करो, क्या तुम्हारे लिये मुझे कत्ल करना और मेरी हुरमत का रिश्ता तोड़ना जाइज़ है ?

क्या मैं तुम्हारे नबी (स.व)की लड़की का बेटा, उन के चचेरे भाई अली (र.अ)का फरज़न्द नहीं हूं ? क्या तुमने रसूलुल्लाह(स.व)को मेरे और मेरे भाई के हक में येह फ़रमाते हुए नहीं सुना :

जवानाने जन्नत के सरदार अगर मेरा बयान सच्चा है और ज़रूर सच्चा है, क्यूंकि मैंने अब तक झूट नहीं बोला तो बताओ क्या तुम बरहना तलवारों से मेरा मुकाबला करना चाहते हो ?Sayyidina Husain (r.a)ka Dardnak Khutba.

क्या येह बात भी तुम्हें मेरा ख़ून बहाने से नहीं रोक सकती ? वल्लाह इस वक़्त रूए ज़मीन पर बजुज़ मेरे, किसी नबी की लड़की का बेटा मौजूद नहीं। मैं तुम्हारे नबी (स.व)का बिलावास्ता नवासा हूं ।

क्या तुम मुझे इसलिये हलाक करना चाहते हो कि मैं ने किसी की जान ली है ? किसी का ख़ून बहाया हैं ? किसी का माल छीना है । कहो क्या बात है.. आख़िर मेरा कुसूर क्या है” । आप ने बार बार पूछा मगर किसी ने जवाब न दिया फिर आप ने बड़े बड़े कूफियों को नाम ले कर पुकारना शुरू किया,
अय शीष बिन रबीअ, अय हिज्जाज बिन बजुज़, अय कैस बिन अशअष, अय यज़ीद बिन हारिष क्या तुमने मुझे नहीं लिखा था कि फल पक गए, ज़मीन सरसब्ज़ हो गई, नहरें उबल पड़ी, अगर आप आएंगे तो अपनी जरार फौज के पास आएंगे सो जल्द आ जाएं ।

इस पर उन लोगों ने इन्कार किया तो आप ने चिल्ला कर कहा वल्लाह ! तुम ही ने लिखा था । आखिर में आप ने कहा अगर मुझे पसंद नहीं करते तो छोड़ दो मैं यहां से वापिस चला जाता हूं ।Sayyidina Husain (r.a)ka Dardnak Khutba.

कैस बिन अशअ ने कहा आप अपने आप को अपने अमज़ादों के हवाले कर दें, इस के जवाब में आपने फ़रमाया “ वल्लाह ! मैं जिल्लत के साथ कभी अपने आप को उन के हवाले न करूंगा” ।

जिस वक्त इब्ने साद ने फौज को हरकत दी तो हुर उन से कट कर अलेहदा होने लगा तो जर बिन ओस ने उस से कहा मुझे तुम्हारी हालत मुश्तबा मालूम होती है । हुर ने संजीदगी से जवाब दिया ख़ुदा की कसम ! मैं जन्नत या दोज़ख़ का इन्तिख़ाब कर रहा हूं ।

बख़ुदा मैंने जन्नत मुन्तख़ब कर ली है। येह कहा और घोड़े को ऐड़ लगाकर लश्करे हुसैन में पहुंच गया और निहायत आजिज़ी और इन्किसारी से मुआफी का वास्तगार हुवा, आप ने उसे मुआफ फ़रमा दिया ।Sayyidina Husain (r.a)ka Dardnak Khutba.

इस वाकए के बाद उमरो बिन साद ने कमान उठाई और लश्कर की तरफ येह केह कर तीर फेंका कि गवाह रहो, सब से पेहला तीर मैंने चलाया है ।

मुख़्तसर सी मुबारज़त तलबी के बाद उमरो बिन साद की फ़ौज लश्करे हुसैन पर टूट पड़ी, हर तरफ़ जंग का मैदान गर्म हो गया और ख़ून के फव्वारे उबलने लगे । सय्यिदिना हुसैन(र.अ)के शेर दिल सिपाही जिस तरफ रुख करते, स्फ़ों को उलट देते थे ।

मगर कषीर ता’ दाद दुश्मन ज़रासी देर में फिर हुजूम कर आता था, चन्द घंटों में लश्करे हुसैन के बड़े बड़े नामवर बहादुर मुस्लिम बिन औसजा, हुर और हबीब बिन मज़ाहिर शहीद हो गए। जब दुश्मन के सिपाही सय्यदिना हुसैन (र.अ)के क़रीब पहुंचे तो नमाज़ का वक्त क़रीब था ।

आप ने अबू मामा से फ़रमाया दुश्मनों से कहो कि हमें नमाज़ की मोहलत दें, मगर दुश्मन ने येह दरख्वास्त मंजूर न की और लड़ाई बदस्तूर जारी रही ।Sayyidina Husain (r.a)ka Dardnak Khutba.

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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