31/05/2025
क़त्ल का अज़ाब। 20250516 014837 0000

क़त्ल का अज़ाब।Qatl ka azaab.

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Qatl ka azaab.
Qatl ka azaab.

नबी-ए-करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का मेराज की रात ऐसी क़ौम पर गुज़र हुआ जिनको फरिशते आग की छुरियों से ज़बह कर रहे थे। उनके गले से स्याह खून जारी होता है फिर उनको जिन्दह कर दिया जाता है फिर ज़बह कर दिये जाते हैं यह सिलसिला इसी तरह जारी रहता है।

नबी-ए-करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने पूछा यह कौन लोग हैं तो जिब्रील अमीन ने अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह ! यह वह लोग हैं जो नाहक़ मुसलमानों को क़त्ल करते थे।(रियाजुल अज़हार सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम 371)

अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया और जो किसी मोमिन को जान बूझकर इरादतन क़त्ल करे पस उसकी सज़ा दोज़ख़ है इसमें बहुत रहेगा इस पर अल्लाह का ग़ज़ब है और उसने लानत की और उसके लिये बड़ा अज़ाब तैयार किया ।

अबू नईम ने अपनी सनद से ज़ैद बिन असलम से रिवायत किया कि एक शख़्स कश्ती में जा रहा था कि कश्ती टूट गई तो वह एक तख़्ता से चिमट गया तख़्ता ने उसको एक ऐसे मुक़ाम पर जा फेंका जो जज़ीरा था। उसने देखा कि पानी एक वादी की तरफ जा रहा है यह भी पानी की सिमत पर चला आया। आख़िर में उसने देखा कि एक शख़्स को जंजीरों से जकड़ कर पानी में लटकाया हुआ है लेकिन उसका मुँह बावजूद कोशिश कि पानी तक नहीं पहुंचाता।

वह मुझसे दरखास्त करने लगा कि मुझे पानी पिलाइये। मैंने कहा तेरी हालत यह क्यों है? उसने जवाब दिया कि मैं आदम अलैहिस्साम का लड़का हूँ सबसे पहले मैंने अपने भाई का क़त्ल किया अब जो कोई भी क़त्ल करता है तो मुझे ज़रूर सज़ा मिलती है।

इब्न अबी अददुनिया ने किताब मनआश बादल मौत में अपनी सनद से अब्दुल्लाह नामी एक शख़्स से रिवायत किया कि वह और उसकी क़ौम के चन्द और अफराद समुंद्री सफर पर रवाना हुए। इत्तफाक़न चन्द रोज़ तक समुंद्री रास्ता उन पर तारीक रहा चन्द दिन बाद रौशनी हुई तो एक बस्ती आ गई।

अब्दुल्लाह कहते हैं कि मैं पानी की तलाश में रवाना हुआ तो बस्ती के दरवाज़े बन्द थे मैंने बहुत आवाज़े दीं कोई जवाब ना आया। इसी असना में दो शहसवार ज़ाहिर हुए उनमें से हर एक के नीचे एक सफेद चादर थी वह कहने लगे ऐ अब्दुल्लाह! इस गली में दाखिल हो जाओ तो तुम एक मोमिन के पास पहुंच जाओगे हौज़ में से पानी ले लेना और वहाँ के मंज़र को देखकर ख़ौफ़ ज़दा ना होना तो मैंने उनसे इन बन्द दरवाज़ों के बारे में सवाल किया जिनमें हवायें चल रही थीं तो उन्होंने कहा कि यह मुर्दों की रूहें हैं।

मैं हौज़ पर पहुंचा तो मैंने देखा कि एक शख़्स मुँह के बल पानी पर लटका हुआ है और अपने हाथ से पानी लेना चाहता है लेकिन नाकाम हो जाता है। मुझे देखकर कहने लगा ऐ अब्दुल्लाह मुझे पानी पिलाओ। मैंने बर्तन पकड़कर पानी में डुबो दिया ताकि इसे पानी पिला दूं मगर किसी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया मैंने इससे पूछा कि ऐ बन्दे खुदा! तूने देख लिया कि मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी कि तुझको पानी पिलाऊं लेकिन मेरा हाथ पकड़ा गया तू मुझे अपनी दास्तान सुना वह कहने लगे कि मैं आदम अलैहिस्सलाम का बेटा हूँ जिसने दुनिया में सबसे पहले खूरेज़ी की।

इब्न असाकर ने यज़ीद बिन ज़्याद और अमारह बिन उमैर से रिवायत किया कि जब उबैदुल्लाह बिन ज़्याद और उसके साथी क़त्ल हो गये और उनके सर लाये गये तो एक बहुत बड़ा सांप आया। लोग डरकर एक तरफ हो गये। वह उबैदुल्लाह बिन ज़्याद के नथनों में दाखिल हुआ और मुँह से निकला इस तरह कई मर्तबा किया फिर पता ना चला कि किधर से आया और किधर गया।एक आबिद और शैतान। Ek aabiad aur Shaitan.

इब्न असाकर ने मोहम्मद बिन सईद से रिवायत किया कि मुसलिम बिन अक़बह मरी मदीना आया और लोगों को यज़ीद की बैत की दावत दी और कहा कि तुम सब अल्लाह की अताअत, और ना फरमानी में गुलाम महज़ हो तो लोगों ने की दावत की तरफ रूजुअ किया।

एक शख़्स जो कुरैशी था और उसकी माँ उम्मे वल्द थी उसने कहा सिर्फ अल्लाह की अताअत में। लकिन मुस्लिम बिन अक़बह ने उसकी बात ना मानी और उसे क़त्ल कर दिया तो उसकी माँ ने क़सम खाली कि अगर मुस्लिम ज़िन्दा या मुर्दा मिल गया तो वह उसे जला देगी। जब मुस्लिम मदीना से निकला तो उसकी बीमारी ज़ोर कर आई और वह मर गया तो कुरैशी ज़ादह की माँ अपने गुलामों को साथ लेकर उसकी क़ब्र की तरफ गई और खोदने का हुक्म दिया।

अब अन्दर जो देखा तो एक अज़दहा उसकी गर्दन में लिपटा हुआ है और उसकी नाक को चूस रहा है यह हाल देख कर लोग हट गये।

तमाम बिन राज़ी ने किताबुर्रहबान में ज़िक्र किया और इब्न असाकर ने भी रिवायत किया कि अस्माह बिन ओबाद ने कहा कि मैं किसी जंगल में घूम रहा था कि मैंने एक गिरजा देखा। गिरजा में एक मेहराब के अन्दर एक राहिब था। मैंने इससे कहा कि तुमने जिस मक़ाम पर सबसे अजीब चीज़ देखी वह मुझसे बयान करो।

वह कहने लगा सुनिये मैं एक रोज़ यहाँ था कि मैंने एक परिन्दा जो सफेद रंग का था और शतुरमुर्ग के बराबर था देखा उसने इस पत्थर पर बैठ कर कैय कर दी उसमें से एक सर नमूदार हुआ वह ज्यों ज्यों क़य करता रहा इंसानी अज़ा नमूदार होते रहे और बिजली की सी सुरत के साथ एक दूसरे से जुड़ते रहे यहाँ तक कि वह मुकम्मल आदमी बन गया अब जब उसने उठने का इरादा किया तो परिन्दा ने उसके चोंच लगाई और उसको टुकड़े टुकड़े कर दिया और फिर निगल गया और कई रोज़ तक वह इस अमल में मसरूफ रहा और मेरा यक़ीन खुदा की कुदरत पर बढ़ गया कि अल्लाह तआला मारकर जीलाने पर क़ादिर है।

एक दिन मैं इस परिन्दा की तरफ मुतवज्जा हुआ और उससे पूछा कि ऐ परिन्दा ! मैं तुझे इस ज़ात की क़सम देकर कहता हूँ जिसने तुझको पैदा किया अब जब वह इंसान मुकम्मल हो जाय तो उसको बाक़ी रहने देना ताकि मैं उससे उसके अमल के बारे में दरियाफ़्त कर सकूं? तो फरिश्ते ने बज़बान फसीह अरबी में मुझको जवाब दिया कि मेरे रब के लिये ही बादशाहत है और बक़ा है।

हर चीज़ फानी है और वही बाक़ी है। मैं इसका एक रिश्ता हूँ मैं इस पर मोसल्लत किया गया हूँ ताकि इसके गुनाह की सज़ा देता रहूँ। मैं उस शख़्स की तरफ मोतवज्जह हुआ और दरियाफ़्त किया कि ऐ अपने नफ़्स पर जुल्म करने वाले इंसान ! तेरा क़िस्सा क्या है और तू कौन है? उसने जवाब दिया कि मैं अब्दुर्रहमान बिन मलजम हूँ हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु का क़ातिल ।

मेरे मरने के बाद जब मेरी रूह बारगाह इलाही में हाज़िर हुई उसने मेरा नामाए आमाल मुझको दिया जिसमें मेरी पैदाइश से लेकर क़त्ले अली रज़ियल्लाहु अन्हु तक हर नेकी और बदी लिखी हुई थी फिर अल्लाह ने इस रिश्ता को मेरे अज़ाब देने का क़यामत तक हुक्म दिया। यह कहकर चुप हो गया और परिन्दे ने उस पर ठोंगे मारीं और उसको निगल गया और चला गया।

सदक़ा बिना खालिद ने दमिशक़ के बाज़ मशायख से रिवायत की है कि मशायख का कहना है कि एक मर्तबा हम हज को जा रहे थे कि रास्ते में हमारा एक साथी वफात पा गया हमने किसी से फावड़ा मांगा क़ब्र खोदी और उसको इसमें दफन कर दिया और फावड़ा भी क़ब्र ही में रह गया तो हमने क़ब्र खोदी ताकि फावड़ा निकाल लें अब जो अन्दर देखा तो उस शख़्स के हाथ पैर फावड़े के हलक़ा में दाखिल हैं हमने क़ब्र फौरन बन्द कर दी और फावड़े वाले को कुछ पैसे देकर जान छुड़ाई।

फिर जब हम वापिस आये तो उसकी बीवी से उसके आमाल के बारे में सवाल किया तो उसने बताया कि एक मर्तबा इसके हमराह एक मालदार शख्स ने सफर किया। रास्ते में इसने उसको मार डाला अब यह हज और जेहाद सब कुछ इसी के माल से करता रहा है।(शरहअस्सदूर)

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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