नमाज़े फज्र की दो सुन्नत की निय्यत :-
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त फ़ज्र का, मुंह मेरा काबे शरीफ की तरफ़, अल्लाहु अकबर।
नमाज़े फज्र के दो फ़र्ज़ की नियत :-
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त फ़ज्र का, पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
नमाज़े ज़ोहर की चार सुन्नत की नियत :-
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त जोहर का, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर।
नमाज़े ज़ोहर के चार फ़र्ज़ की नियत :-
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त ज़ोहर का, पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर।
ज़ोहर की दो सुन्नत की नियत :-
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त ज़ोहर का, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर।
ज़ोहर की दो नफ़्ल की नियत :-
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त जोहर का, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर।
अस्र की चार सुन्नत की नियत :-
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त अस्र का, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर।
अस्र की चार फ़र्ज़ की नियत :-
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त अस्त्र का पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
मग़रिब के तीन फ़र्ज़ की नियत :-
नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त मग़रिब का, पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
मग़रिब की दो सुन्नत की नियत :-
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त मग़रिब का मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
मग़रिब की दो नफ़्ल की नियत :-
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त मग़रिब का, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
इशा की चार सुन्नत की नियत :-
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त इशा का, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
इशा के चार फ़र्ज़ की नियत :-
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त इशा का पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
इशा की दो सुन्नत की नियत :-
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त इशा का, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
इशा की दो नफ़्ल की नियत :-
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त इशा का मुंह, मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
तीन वित्र वाजिब की नियत :-
नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ वित्र वाजिब की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त इशा का, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
इशा के दो नफ़्ल की नियत :-
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त इशा का, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।
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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।
खुदा हाफिज…
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