15/07/2025
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मुनकिर व नकीर की हैबतनाक आमद। Munkir wa nakir ki haibat nak amad.

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Munkir wa nakir ki haibat nak amad.
Munkir wa nakir ki haibat nak amad.

मुर्दे को जब क़ब्र में रख दिया जाता है तो उसके पास दो फरिश्ते आते हैं दोनों के रंग स्याह होंगे दोनों की आँखे नीली होंगी उनमें से एक को मुनकिर और दूसरे को नकीर कहा जाता है अगर मैय्यत से इस्लाम की अलामात ज़ाहिर हो रही होंगी तो वह फरिश्ता सवाल करेगा जिसका नाम मुनकिर होगा और कुफ्र की अलामात ज़ाहिर हो रही होंगी तो सवाल करने वाले फरिश्ता का नाम नकीर होगा।

मुनकिर अनकर से बना है जिसका मतलब नकर वाला यानी अजनबी है इसी तरह नकीर नकर से बना है इसका मतलब भी अजनबी है यानी दोनों लफ़्ज़ों का एक ही मानी है कि वह अजनबी की तरह होगा। इनको कोई नहीं पहचानता होगा मुनकिर और नकीर का माना हुआ ना पहचाना हुआ क्योंकि मैय्यत के सामने उनकी सूरते अजनबी की तरह होंगी इससे पहले मैय्यत ने ऐसी सूरत कभी नहीं देखी होंगी क्योंकि इनको क़ब्र में आने के लिये स्याह रंग क़बीह सूरतें नीली आँखे एक जगह टकटकी बांधकर दूसरों को डराने वाली देखने वाली आँखें दी गई होंगी यह मंज़र यक़ीनन मैय्यत के लिये अजीबो गरीब होगा इनके हुलिये के बारे में हुज़ूर सल्लल्लाहू ताआला अलैहि वसल्लम का इरशाद जैल में है।

तर्जुमा :- हज़रत अबू हुर्ररह रजियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहू ताआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जब मैय्यत को क़ब्र में दाखिल किया जाता है तो उसके पास स्याह रंग के नील गों आँखों वाले दो फरिश्ता आता है एक को मुनकिर और दूसरे को नकीर कहा
जाता है वह दोनों इस मैय्यत से पूछते हैं इस (अज़ीम) शख़्स (रसूल अकरम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) के बारे में क्या कहता था वह शख़्स वही बात कहता है जो दुनिया में कहता था कि वह अल्लाह तआला के बन्दे और रसूल हैं मैं गवाही देता हू कि अल्लाह तआला के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं और बेशक हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम उसके (ख़ास) बन्दे और रसूल हैं।

वह कहते हैं हमें मालूम था तू यही कहेगा फिर उसके क़ब्र को सत्तर सत्तर हाथ कुशादा और मोनव्वर किया जाता है फिर कहा जाता है (आराम से) सो जा वह कहता है मैं वापस जाकर घर वालों को बता आऊं वह कहते हैं नहीं दुल्हन की तरह सो जाओ जिसको घर वालों में से महबूब तरीन शख़्स ही उठाता है यहाँ तक कि अल्लाह तआला उसे उसकी ख़्वाब गाह से उठायेगा और मुनाफिक़ हो तो कहता है मैं लोगों से कुछ सुना करता था और खुद भी कहता था मुझे मालूम नहीं फरिश्ते कहते हैं हमें मालूम था तू यही बात कहेगा फिर ज़मीन से कहा जाता है कि इस पर मिल जा पस वह इस पर इकटठी हो जाती है यहाँ तक कि उसकी पस्लियां एक दूसरी में दाखिल हो जाती हैं वह मुसलसल अज़ाब में मुब्तिला रहता है यहाँ तक कि अल्लाह तआला उसको उसकी ख़्वाब गाह से उठाए।(तिर्मिज़ी)

क़ब्र में फरिश्ते हैबतनाक और ख़ौफ‌नाक शक्ल में आते हैं ताकि उनमें दहशत और हौलनाकी पाई जाय और उनको देख कर कुफ्फार हैरान हो जायें और उनसे डरें इस तरह वह जवाब देने में हैरान होंगे लेकिन मोमिनों की सिर्फ आज़माइश होगी अल्लाह तआला इनको साबित क़दम रखेगा वह किसी क़िस्म का ख़ौफ महसूस नहीं करेंगे इसकी वजह यह होगी कि मोमिन दुनिया में अज़ाबे क़ब्र और मुनकिर नकीर से डरता है तो इस वजह से क़ब्र में अल्लाह तआला उसे मुनकिर नकीर से अमन में रखकर दुनिया के खौफ का बदला अता फरमायेगा।

शैख अब्दुल हक़ मोहद्दिस रहमतुल्लाहि अलैहि फरमाते हैं कि जब मैय्यत को क़ब्र में रखा जाता है तो उसके पास दो फरिश्ते ऐसे आदमी की सूरत में आते हैं जिसका रंग स्याह और आँखें नीली होती हैं स्याह रंग से या तो हक़ीक़तन स्याह रंग ही मुराद है कि स्याह रंग में दूसरे रंगों की निस्बत दहशत व वहशत ज्यादा होती है या स्याह रंग से उनका बदशक्ल होना मुराद है और नीली आँखों से उनके तेज़ आँखों से देखना और नज़र को घुमाना मुराद है जिस तरह दुश्मन, दुश्मन को तेज़ आँखों से देखता और अपनी निगाह घुमाता है कि उसकी स्याही छुप जाती है और सफेदी नुमायां हो जाती है बाज़ कहते हैं कि अरब दुश्मन को नीली आँख से मौसूफ करते हैं कि रूमी लोग अरब के दुश्मन हैं और उनकी आँखें नीली होती हैं।(अशअतुल लमआत जि. 1)

फरिश्तों के बारे में एक रिवायत हज़रत अबूदर्दा रजियल्लाहु अन्हु से यों मरवी है कि एक शख़्स ने हुज़ूर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह मुझे एक ऐसा इल्म सिखाइये कि जिससे आख़िरत में अल्लाह तआला मुझे फायदा अता फरमाये नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ज़रा यह तसव्वुर करो कि जब तुम्हारे लिये ज़मीन चार हाथ लम्बी और दो हाथ चौड़ी जगह होगी तो तेरे वह घर वाले और भाई जो तेरी जुदाई को नापसन्द करते थे यह करेंगे कि वह तुझे इसमें दाखिल करके ऊपर ईंट और मिटटी डाल देंगे फिर तेरे पास नीली आँखों और घुंघरियाले बालों वाले दो फरिश्ते आऐंगे जिनका नाम मुनकिर नकीर है। फिर सवाल व जवाब का ज़िक्र है तो अगर तूने ठीक जवाब दिया तो तुझे नजात हासिल होगी और महज़ अल्लाह की तरफ से अता करदह साबित क़दमी से हो सकती है और तूने कुछ ना कहा तो तू नाकाम हो सकता है (बेहक़ी)

खूबसूरत वाक़िआ:-देहाती के सवाल जन्नत के जवाब।

हज़रत इब्ने अब्बास रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि ऐ इब्ने उमर बताओ तुम्हारा उस वक़्त क्या हाल होगा जब तुम्हारे लिये तीन हाथ और एक बालिश्त लम्बा एक हाथ एक बालिश्त चौड़ा गडढा खोदा जायगा फिर तुम्हारे पास मुनकिर नकीर स्याह शक्ल वाले अपने बालों को घसीटते हुए आएंगे उनकी आवाजें कड़कदार बिजली की मानिन्द होंगी और निगाहें खैरह कर देने वाली बिजली की तरह वह ज़मीन को अपनी दांतों से खोदेंगे और तुझको बैठायेंगे और डरायेंगे तो इब्ने उमर रजियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम क्या मेरी उस वक़्त भी यही हालत होगी? आपने फरमाया हाँ! तो उन्होंने अर्ज़ की कि
तब तो मैं बहुक्मे इलाही उनके लिये काफी हो जाउंगा। (बैहक़ी)

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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