22/07/2025
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मुहब्बत और अक़्लमंदी की मिसाल। Mohabbat aur Aqlmandi ki misal.

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Mohabbat aur Aqlmandi ki misal.
Mohabbat aur Aqlmandi ki misal.

सुबकतगीन बादशाह अपनी एक बीवी से बहुत ज़्यादा मुहब्बत करता था। एक बार दूसरी बीवियों ने उससे कहा कि आप अपनी बीवी फलाँ से ज़्यादा मुहब्बत रखते हैं हालाँकि हुस्न में हम उससे ज़्यादा हैं, समझदारी में भी हम उससे ज़्यादा हैं।

आख़िर उसमें कौन सी ऐसी ख़ास बात है, हमें तो उसके अंदर कुछ नज़र नहीं आता मगर आप की मुहब्बत की निगाह जो उस पर उठती है वह किसी दूसरी बीवी पर नहीं उठती, आख़िर क्या वजह है? बादशाह ने कहा अच्छा मैं कभी इस बात का जवाब दे दूँगा। उसके बाद उसकी बीवियाँ यह बात भूल गयीं।

एक दिन सुबकतगीन ने अपने घर के सहन में बैठकर कहा कि आज मैं अच्छे मूड में हूँ, इसलिए मैं चाहता हूँ कि मैं तुम में से हर एक को अच्छे अच्छे ईनाम से नवाजूँ। वे यह बात सुनकर खुश हुईं कि आज हमें शाही ख़ज़ाने से ईनाम मिलेगा। सहन में सोने चाँदी और जवाहरात के ढेर लगा दिए गए।

बादशाह ने सबको बुलाकर कहा कि इस सहन में जो चीजें पड़ी हुई हैं उनमें से जिस चीज़ पर जो बीवी भी हाथ रख लेगी उसको वह चीज़ ईनाम के तौर पर दे दी जाएगी। चुनाँचे जिस वक़्त मैं इशारा करूं तुम दौड़कर अपनी पसंद की चीज़ पर हाथ रख लेना। बीवियाँ तैयार हो गयीं और उन्होंने अपनी-अपनी पसंद की चीज़ों पर निगाह जमा लीं। किसी ने याकूत के ऊपर, किसी ने हीरें के ऊपर, किसी ने सोने के ऊपर, किसी ने चाँदी के ऊपर।

बादशाह ने इशारा किया तो बीवियों ने दौड़कर अपनी अपनी पसंदीदा चीज़ों पर हाथ रख लिए लेकिन वह बीवी जिस पर उसकी मुहब्बत की ख़ास नज़र रहती थी वह अपनी जगह खड़ी रही। जब सबने देखा कि हमने कीमती चीज़ों पर हाथ रख लिए मगर इसने किसी चीज़ पर हाथ नहीं रखा तो वे हँसने लगीं और बादशाह से कहने लगीं बादशाह ! सलामत हम कहा करती थीं कि यह बेवकूफ है और इसके अंदर अक़्ल की कमी है और आज इसकी अक़्ल की कमी खुलकर सामने आ गई।

यह तो बस सोचती रही लिहाज़ा आज इसके पल्ले कुछ नहीं आएगा। बादशाह ने उससे पूछा कि ऐ अल्लाह की बंदी! तूने किसी चीज़ पर हाथ क्यों नहीं रखा। वह कहने लगी बादशाह सलामत ! मैं पूछना चाहती हूँ कि आपने यही कहा है न कि आज जो जिस चीज़ पर हाथ रखेगी वह चीज़ उसकी हो जाएगी। बादशाह ने कहा हाँ यही तो मैंने कहा है।

खूबसूरत वाक़िआ:-एक बहन और बरहूत का कुआँ।

उसने यह सुना तो आगे बढ़ी और बादशाह के कंधे पर हाथ रख दिया और कहने लगी बादशाह सलामत ! जब आप मेरे हो गए तो सारा ख़ज़ाना मेरा बन गया। बादशाह ने उसकी यह बात सुनकर अपनी दूसरी बीवियों से कहा कि देखो इस की अक्लमंदी और मुहब्बत की वजह से मैं इसके साथ ज़्यादा मुहब्बत करता हूँ। इसी तरह जब इंसान मुहब्बते इलाही को थाम लेता है तो काएनात की चीजें उसके लिए काबू में हो जाती हैं।

इश्क की दीवानगी तय कर गई कितने मकाम,
अक़्ल जिस मंज़िल पे थी अब तक उसी मंज़िल पे है।

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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