जबकि अल्लाह तआला ने औरतों का रिज़्क और दीन व दुनिया की सहूलियतें व आसानियां शौहर के कब्ज़े में कर दी हैं उन पर खाना, कपड़ा, मकान फ़र्ज़ कर के कितने हुकूक कायम कर दिए हैं, और कैसी-कैसी सहूलियतें पहुंचाई हैं औरत को जन्नत भी उनके हुकूक निभाने पर और उन्हीं को राजी करने पर मिलेगी।
फिर इन के हुकूक की अज़मत का क्या ठिकाना है बस औरत को चाहिए कि अपने आप को एक लौंडी समझे, शौहर को अपना आका, मालिक समझे ऐसे ‘अज़ीम’ वसीले की खुशी हासिल करने को अपना ईमान जाने और अगर शौहर किसी वक्त ज्यादती भी करे तो इतनी बड़ी नेमत के बदले में मिलने वाली ज़्यादती को सब्र से सहे, शिकायतों का पुल न बांधे। यह बहुत बड़ी नाशुक्री है जो औरतों की फितरत है।
जहां तक हो इससे बचना वाजिब है और मर्दों को भी चाहिए कि इनकी नाशुक्री का बुरा न मानें क्योंकि यह आदत इनकी फितरत में है जिसको दूर करना बिल्कुल मुम्किन नहीं है।Mardo ke Huqooq.
हदीसों में है कि हुजूर सल्ल. ने फ़रमाया कि मैंने ज़्यादा औरतों को दोजख में देखा (यानी दोज़ख में औरतें ज़्यादा हैं औरतों ने पूछा वो क्यों या रसूलल्लाह ?
आपने फ़रमाया ‘इनकी नाशुक्री की वजह से अगर मर्द उम्र भर इनके साथ एहसान करे और फिर एक भी बात इनकी मर्जी की न करे’ नाशुक्री से झट बोल उठती है ‘मैंने तुम्हारी तरफ से आज तक कभी ज़रा सी भी भलाई नहीं देखी।’
बुखारी और एक हदीस में है कि बिला वजह मामूली बातो पर झगड़ने वाले अल्लाह के दुश्मन हैं उनसे अल्लाह तआला नाराज़ रहता है।Mardo ke Huqooq.
अल्लाह तआला फ़रमाता है, मर्द औरतों के हाकिम हैं और हुकूमत बगैर सियासत के नहीं रह सकती इसलिए ऐसा न हो कि शरीर औरतें अपने ये हुकूक सहूलियतें और मेहरबानियां देख कर तुम्हारे सर पर चढ़ जाएं और फिर तुमसे जा-बेजा करने और मनवाने पर भी उतारू हो जाएं ,
और तुम्हारे लिए नुक्सान फित्ना और शैतान का जाल बन जाएं और फिर तुम ‘जोरू के गुलाम और वह बे नकेल का ऊंट होकर रह जाए।
आजकल के पढ़े-लिखे आज़ाद नौजवान मर्द और औरतों को देख लो। इसलिए सियासत से काम लो और ऐसा तरीका अपनाओ कि शरीअत के खिलाफ हुक्मों में सख्त बनो और नाजायज़ बातों में सख्त रोकथाम करो और समाजी ज़िन्दगी में बहुत ही नर्म रहो। लिहाज़ा बीच का रास्ता अपनाओ।Mardo ke Huqooq.
हुजूर सल्ल. फ़रमाते हैं कि औरत टेढ़ी पस्ली से पैदा की गई है इसलिए इसी टेढ़ेपन से फायदा उठाया जाये सीधा करने का फिक्र मत करो वरना टूट जाएगी, और न ही बिल्कुल छोड़ दो, वरना और टेढ़ी हो जाएगी।
बुखारी इस हदीस से मालूम हुआ कि औरत का टेढ़ापन पैदाइशी है और इसे दूर करना मुम्किन नहीं और सियासत को भी न छोड़ो वरना और टेढ़ी हो जाएगी जिससे मिलजुल कर रहना दूभर हो जाएगा।
इसलिए हाकिमाना रोब भी रखे और ज़्यादा बेअदब और नाफरमान न होने दे। लेकिन बिल्कुल हव्वा भी न बन जाए। क्योंकि हुजूर सल्ल. ने फ़रमाया है कि शरीफ मर्दों पर औरतें ग़ालिब आती हैं और रज़ील मर्द औरतों पर गालिब होते हैं।
हुजूर सल्ल. ने फ़रमाया कि अगर अल्लाह के सिवाए किसी और को सज्दा जायज़ होता तो मैं औरतों को इनके शोहरों के लिए सज्दे का हुक्म देता। अगर शौहर औरत को पहाड़ उठाने का हुक्म दे तो पहाड़ उठाने के लिए भी तैयार हो जाए।
एक रिवायत है कि अगर मर्द के घावों की पीप और खून, औरत अपनी जवान से चाटे तब भी हक अदा न होगा।Mardo ke Huqooq.
इस हदीस में यह बताया गया है कि मर्द का हक मिलना बड़ा होता है। इसका मतलब बिल्कुल नहीं कि औरत को यह सब कुछ करना चाहिए, बल्कि यह तो सिर्फ मर्दों के हक की बड़ाई बताने के लिए इस्तिमाल किया गया है। बहरहाल औरतों पर अपने मर्दों की इज़्ज़त व फरमाबरदारी वाजिब है।
हुजूर सल्ल. ने फ़रमाया, ‘जिस औरत का शौहर (अपने हुकूक पूरे न होने की वजह से) उससे नाराज हो उसकी नमाज़ कुबूल न की जाएगी।
जो औरत ऐसी हालत में मरे कि उसका शौहर (अपने हक की वजह से उससे खुश रहा तो वह जन्नत में जाएगी।
जो औरत अपने शौहर का कहना न माने यानी अपने किसी काम या ज़रूरत की वजह में, उसके बुलाने पर न आए, उस पर अल्लाह और उसके फ़रिश्तों की लानत बरसती है, जब तक कि उसको खुश न करे। अगरचे तनूर पर हो तब भी हाज़िर हो।
अल्लाह रब्बुल-इज्जत हम सब को सोचने समझने कुव्वत और नबी सल्ल. की सुन्नत पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए आमीन।
इन हदीसों को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…