खुलफाए राशिदीन की ख़िलाफत। Khulfaye Rashideen ki Khilafat.

Khulfaye Rashideen ki Khilafat.
Khulfaye Rashideen ki Khilafat.

खुलफाए राशिदीन ने खिलाफत बज़ोर शमशीर या जब्र के जरिया हासिल नहीं की थी न अपने फ्ज़्ल से छीनी थी बल्कि मुआसरीन पर उन को फज़िलत हासिल थी और सहाबा किराम के इत्तेफाक व इन्तेख़ाब और रज़ामन्दी से उन को खिलाफत मिली थी।

हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफत:-

हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफत के मनसब पर मुहाजरीन व अंसार के इत्तेफाके आरा से फायज हुए थे। रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के विसाल के बाद अंसार से चन्द मुकर्ररीन ने अपनी तकरीरों में कहा कि एक अमीर हम में से और एक तुम में से हो लेकिन हज़रत उमर ने उस के जवाब में फरमाया ऐ गरोहे अंसार क्या तुम वाक़िफ नहीं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहो अन्हो को इमामत करने का हुक्म दिया था?

अंसार ने बयक जबान हो कर कहा हां यह सच है हज़रत उमर ने कहा कि बताओ अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहो अन्हो से बेहतर आगे बढ़ने को किस का जी चाहता है कौन है जो अबू बकर से आगे बढ़े? अंसार ने कहा मआजल्लाह कि हम अबू बकर से आगे बढ़ें।

एक दूसरी रिवायत में इस तरह है कि हज़रत उमर रज़ियल्लाहो अन्हो ने फ़रमाया कि तुम में से किस का जी चाहता है कि हज़रत अबू बकर को जिस मकाम पर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने खड़ा किया था वहां से उनको हटा दे, सब ने बिल इत्तेफाक कहा कि हम यह नहीं चाहते हम अल्लाह से माफी चाहते हैं उसके बाद अंसार व मुहाजिरीन मुत्तफिक हो गए और सबने हजरत अबू बकर सिद्दीक रज़ियल्लाहो अन्हो से बैअत कर ली।

बैअत करने वालों में हज़रत अली रजियल्लाहु तआला अन्हु भी थे। एक सहीह रिवायत में है कि बैअत मुकम्मल हो जाने के बाद हज़रत अबू बकर सिद्दीक तीन रोज तक लोगों की तरफ मुतवज्जेह होकर फरमाते रहे लोगों! मैं तुम्हारी बैअत वापस करता हूं क्या तुम में से कोई मेरी वैअत को न पसंद करता है और उसके जवाब में हज़रत अली रज़ियल्लाहो अन्हो सबसे आगे खड़े हो कर फ़रमाते थे न हम आप से बैअत वापस लेते हैं न कभी हम बैअत लेने की ख्वाहिश करेंगे इस लिए कि आप को रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने आगे किया है अब आप को पीछे कौन कर सकता है।

मोतबर असहाब और रावियों ने कहा कि हज़रत अली रज़ियल्लाहो अन्हो हज़रत अबू बकर सिद्दीक रज़ियल्लाहो अन्हो की इमामत के हक़ में सब सहाबा से सख्त थे। एक रिवायत है कि जंगे जमल के बाद अब्दुल्लाह बिन अलअकूअ ने हज़रत अली रजियल्लाहु तआला अन्हु से दरयाफ़्त किया कि क्या आप से इस तरह अम्र (खिलाफत) के सिलसिले में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने कोई अहद किया था?

आप ने जवाब दिया कि मैंने इस बारे में बहुत गौर व खोज़ किया और इस नतीजा पर पहुंचा कि नमाज़ इस्लाम का बाजू है पस हम ने अपनी दुनिया के लिए उस चीज़ को पसन्द किया जो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हमारे दीन के लिए पसंद फरमाई थी इस लिए हम ने हज़रत अबू बकर सिद्दीक रज़ियल्लाहो अन्हो को अपना रहबर बना लिया और यह इस लिये कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपनी अलालत के दौरान अपनी जगह उन्हें इमाम बनाया। हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहो अन्हो हर नमाज़ के वक़्त हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हो कर नमाज़ की इत्तेला देते थे तो हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम फरमाते कि अबू बकर रज़ियल्लाहो अन्हो से कहो कि वह नमाज़ पढ़ा दें।

अपनी हयाते मुबारका में भी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हज़रत अबू बकर के बारे में ऐसी गुफ़्तगू फरमाया करते थे जिससे सहाबा किराम को यूं मालूम होता था गोया आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बाद हज़रत अबू बकर ही ख़िलाफत के सबसे ज़्यादा मुस्तहिक हैं इब्ने बतहा ने अपनी असनाद से हज़रत अली का कौल नक़्ल किया है कि आंहजरत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की खिदमत में अर्ज़ किया गया कि या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हम हुज़ूर के बाद किस को अपना खलीफा बनायें।

हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया अगर तुम अबू बकर को अमीर बनाओगे तो उनको अमानत दार, दुनिया से बे रग्बत और आख़िरत का तालिब पाओगे और अगर उमर को अमीर बनाओगे तो उनको ‘ताकतवर और ऐसा अमानतदार पाओगे जो अल्लाह के मामले में किसी मलामत करने वाले की मलामत का अन्देशा नहीं करेगा और अगर तुम अली को अमीर बनाओगे तो उन को हिदायत याफ्ता हादी पाओगे।

चुनांचे इन्ही इरशादात की बिना पर हज़रत अबू बकर रज़ियल्लाहो अन्हो खिलाफत पर तमाम सहाबा का इज्मा हो गया। हमारे इमाम हज़रत अबू अब्दुल्लाह अहमद बिन हम्बल ने यह एक रिवायत नक़्ल की है कि हजरत अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफत इशारए इलाही से साबित है और यही मज़हब हज़रत हसन बसरी और सहाबे किराम की एक जमाअत का है कि इस की बिना वह रिवायत है जो हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहो अन्हो ने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के हवाले से बयान की है। शैख फरीदुद्दीन गंज शकर अलैहिर्रमा का अक़ीदा।

हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि जब मुझे मेराज हुई तो मैंने अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल से अर्ज़ किया कि मेरे बाद अली इब्ने अबी तालिब को खलीफा बना दे उस पर फरिश्तों ने कहा ऐ मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह तआला वही करता है जो वह चाहता है आप के बाद खलीफा हज़रत अबू बकर सिद्दीक हैं।

हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हज़रत इब्ने उमर की हदीस में फरमाया कि वह शख़्त जो अबूबकर है मेरे बाद बहुत कम अरसा जिन्दा रहेगा। मुजाहिद से मरवी है कि हज़रत अली रजियल्लाहु तआला अन्हु ने मुझ से फरमाया कि हुज़ूर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम इस दुनिया से उस वक़्त तक तशरीफ नहीं ले गए जब तक आप ने मुझ से अहद नहीं ले लिया कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बाद हज़रत अबू बकर सिद्दीक अमीर होंगे फिर उमर फिर हज़रत उस्मान और फिर मैं यानी अली इब्ने अबी तालिब।

हज़रत उमर रज़ियल्लाहो अन्हो की खिलाफत :-

हज़रत उमर रज़ियल्लाहो अन्हो की खिलाफत इस बिना पर काएम हुई कि उनको हज़रत अबू बकर ने खलीफा मुकर्रर फरमाया। इसके बाद तमाम सहाबा किराम ने हज़रत उमर रज़ियल्लाहो अन्हो से बैअत कर ली और अमीरूल मोमिनीन का खिताब दे दिया हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहो अन्हो कहते हैं कि सहाबा कराम ने हज़रत अबू बकर सिद्दीक रज़ियल्लाहो अन्हो से कहा कि आप ने उमर को खलीफा बनाया है हालांकि आप उन की दुरूश्त मिज़ाजी से वाकिफ हैं कल आप अल्लाह तआला को क्या जवाब देंगे? आप ने फरमाया कि मैं जवाब दूंगा कि तेरे बन्दों में से सब से बेहतर को मैंने लोगों का अमीर बनाया था।

हज़रत उसमान रज़ियल्लाहो अन्हो की खिलाफत :-

हज़रत उसमान रज़ियल्लाहो अन्हो सहाबा किराम के इत्तेफाक राय से खलीफह मुकर्रर हुए। हज़रत उमर ने अपनी औलाद को खिलाफत के इस्तिहकाक से महरूम करके छः असहाब की एक मजलिसे शूरा मुकर्रर कर दी थी कि वह खलीफा का इंतखाब करें वह असहाब यह हैं हज़रत तलहा, हज़रत जुबैर, हजरत सअद बिन अबी वक्कास, हजरत उसमान, हज़रत अली हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ियल्लाहो तआला अन्हुम।

हज़रत जुबैर और हज़रत सअद रज़ियल्लाहो तआला अन्हुमा ने अपने आप को खिलाफत की उम्मीदवारी से अलग कर लिया सिर्फ चार हज़रात बाकी रह गए थे। हजरत अब्दुर्रहमान बिन औफ ने हज़रत अली और हज़रत उसमान से कहा कि मैं अल्लाह, अल्लाह के रसूल और मुसलमानों के लिए तुम से किसी एक को मुन्तख़ब कर लूंगा फिर आप ने हज़रत अली का हाथ पकड़ कर कहा कि अली तुम पर अल्लाह के अहदे मीसाक, जिम्मेदारी और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की की पासदारी लाज़िम है।

जिस वक़्त मैं तुम्हारे हाथ पर बैअत कर लूंगा उस वक़्त तुम को अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम और तमाम मुसलमानों की खैर ख़्वाही करनी होगी और रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम, हज़रत अबू बक्र सिद्दीक और हज़रत उमर रज़ियल्लाहो तआला अन्हुमा की सीरत पर चलना पड़ेगा। हज़रत अली रजियल्लाहु तआला अन्हु ने अपनी जात में इस काम को पूरा करने की ताक़त नहीं पाई जो कि मजकूरा असहाब में थी इस लिए आप ने उस दावत को कबूल नहीं फरमाया।

आप के इनकार पर हज़रत अब्दुर्रहमान ने हज़रत उसमान का हाथ पकड़ कर यही शर्ते दुहराई वही बातें कही जो हज़रत अली रजियल्लाहु तआला अन्हु से कही थीं। हज़रत उसमान रज़ियल्लाहो अन्हो ने उन बातों को क़बूल कर लिया। हज़रत अबदुर्रहमान रज़ियल्लाहो अन्हो ने हज़रत उसमान का हाथ छोड़ कर बैअत कर ली उसके बाद हज़रत अली ने भी हजरत उसमान की बैअत कर ली फिर दूसरे रोज़ बैअत आम ली गई। इस तरह हज़रत उसमान इत्तफाके आरा से खलीफा मुकर्रर हो गए और शहादत के वक़्त तक इमामे बरहक रहे।

कोई ऐसी बात आप से सरजद नहीं हुई जो तअन का मौजिब या आप के फिरक का सबब हो या उससे आप के कत्ल (शहादत) का जवाज पैदा हो सके। राफजियों का कौल इसके खिलाफ है अल्लाह उन को हलाक करे।

हज़रत अली रजियल्लाहु अन्हु की ख़िलाफत :-

हज़रत अली रज़ियल्लाहो अन्हो की खिलाफत भी जमाअत के इत्तेफाक और सहाबा कराम के इज्मा से हुई। अबू अब्दुल्लाह बिन बुत्तह ने मोहम्मद बिन हनफिया की रिवायत नक़्ल की है। मोहम्मद बिन हनफिया ने फरमाया जिस जमाने में हज़रत उसमान महसूर थे मैं अली के साथ था एक शख़्स ने आकर कहा कि अनकरीब अमीरूल मोमिनीन (हज़रत उसमान) को शहीद कर दिया जाएगा।

हज़रत अली रजियल्लाहु अन्हु यह सुनकर फौरन खड़े हो गए मैंने उस वक़्त आप की हिफाजत की गरज़ से आप की कमर पकड़ ली आप ने फरमाया मुझे छोड़ दो फिर हज़रत अली हज़रत उसमान रज़ियल्लाहो अन्हो के घर पहुंचे मगर उस वक़्त तक अमीरूल मोमिनीन शहीद हो चुके थे हजरत अली वहां से वापस आकर मकान में दाखिल हुए और अन्दर से दरवाज़ा बन्द कर लिया लोगों ने आकर दरवाज़ा खटखटाया और आप के घर में दाखिल होकर आप को खबर दी की हज़रत उसमान शहीद कर दिये गए और मुसलमानों को खलीफा को ज़रूरत है और इस वक़्त आप से ज़्यादा खिलाफत का हकदार हमारी नजर में कोई और नहीं है।

हज़रत अली रजियल्लाहु तआला अन्हु ने जवाब में इरशाद फरमाया मुझे खलीफा बनाने का ख्याल तर्क कर दो मैं अमीर होने से बेहतर तुम्हारे लिए वज़ीर हूं। लोगों ने जवाब दिया खुदा की क़सम आप से ज़्यादा हकदार खिलाफत का हम और किसी को नहीं जानते। फरमाया अगर तुम नहीं मानते तो मेरी बैअत पोशीदा तौर पर नहीं होगी मैं मस्जिद में जाता हूं जो मेरी बैअत करना चाहे वहां आकर मेरी बैअत करे यह फरमाकर आप मस्जिदे नबवी में तशरीफ ले गए और लोगों ने आप की बैअत कर ली पस आप शहादत के वक्त इमामे बरहक थे। हुक़ूक़े वालिदैन ।

खारजियों का कौल इसके खिलाफ है अल्लाह उनको हलाक करे। वह कहते हैं हज़रत अली रजियल्लाहु अन्हु कभी इमामे बरहक न थे। अब रहा यह मामला कि आप की हज़रत तलहा, हज़रत जुबैर, उम्मुल मोमिनीन हज़रत आइशा और अमीर मुआविया से जंग हुई तो इमामे अहमद ने इस सिलसिले में सराहत फरमाई है कि इस मामले में बल्कि उन तमाम झगड़ों, इखतलाफात और नजाआत के बारे में ख़ामोश रहा जाए जो सहाबा कराम के दर्मियान वाकेअ हुए क्योंकि कयामत के दिन अल्लाह तआला उन के बाहमी तनाज़आत को दूर कर देगा। इरशादे रब्बानी है। उन के दिलो में जो बाहमी रजिंश होगी हम उस को दूर कर देंगे और वह भाई भाई हो जाएंगे यह आमने सामने तख़तों पर बैठे होंगे।

अलावा अजीं यह बात भी है कि अहले हल्लो अक़्द (मदीना) ने हज़रत अली रजियल्लाहु तआला अन्हु की ख़िलाफत पर इत्तेफ़ाक कर लिया था इस लिए आप को खुद अपनी ख़िलाफत के सहीह होने का यकीन था और मुखालफीन से जंग करने में वह हक़ पर थे इस लिए कि जो भी इताअते अमीर से बाहर हुआ और लड़ाई का झन्डा बलन्द किया वह बागी हो गया और बागी से जंग करना जाइज़ था।

रहा अमीर मुआविया और हज़रत तलहा और हज़रत जुबैर रज़ियल्लाहो अन्हुम का मामला तो वह भी हक़ पर थे। इस लिए की वह खलीफए मज़लूम के खून का बदला लेना चाहते थे और कातिल हज़रत अली रज़ियल्लाहो अन्हो के लश्कर में मौजूद थे पस हर फरीक के पास जंग के जवाज़ की एक वजह मौजूद थी लिहाज़ा हमारे लिए सकूत इस सिलसिला में सबसे अच्छी बात है, उनके मामले को अल्लाह की तरफ लौटा देना चाहिए वह सबसे बड़ा हाकिम और बेहतरीन फैसला करने वाला है। हमारा काम तो यह है कि हम अपन ओयूब पर नज़र डालें और दिलों को गुनाहो की चीज़ों से और अपनी ज़ाहिरी हालतों को तबाही अंगेज़ कामों से पाक और साफ रखें।

हज़रत अमीर मुआविया रज़ियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफत :-

हज़रत अमीर मुआविया बिन अबू सुफियान रजियल्लाहो अन्हो की खिलाफत हज़रत अली रजियल्लाहो अन्हो की शहादत और हजरत इमाम हसन इब्ने अली का ख़िलाफत से दस्त बरदार होकर अमरे खिलाफत हज़रत अमीर मुआविया को सौंपने के बाद साबित व सहीह है। इमाम हसन के इस एकदाम से रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का वह फरमान सहीह साबित हो गया जिसमें हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया था कि मेरा यह बेटा सैय्यद है अल्लाह इस के ज़रिये से मुसलमानों के दो बड़े गरोहों में सुलह कर देगा।

इमाम हसन के सुलह करने से अमीर मुआविया की ख़िलाफत वाजिब हो गई। उस साल का नाम सन जमाअत इस लिए रखा गया है कि मुसलमानों का इख़्तिलाफ ख़त्म हो गया और सबने अमीर मुआविया से रूजूअ कर लिया और कोई तीसरा मुद्दई ख़िलाफत बाकी नहीं रहा।

अमीर मुआविया की ख़िलाफत का ज़िक्र आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के इस इरशाद में मौजूद है हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि मेरे बाद 35,36 या 37 साल इस्लाम की चक्की घूमेगी चक्की से मुराद दीन की कुव्वत है, तीस साल से ऊपर की जो पंजसाला मुद्दत है वह अमीरे मुआविया की मुद्दते ख़िलाफ़्त में आती है यह ख़िलाफ्त 3 साल चंद माह बाकी रहीं 30 साल तो हज़रत अली रज़ियल्लाहो अन्हो पर पूरे हो गये थे ख़िलाफते राशिदा की मुद्दत 30 साल है।

अल्लाह रबबुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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