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16/10/2025
कर्बला की सच्ची दास्तान इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की शहादत और इस्ला 20250703 171658 0000

कर्बला की सच्ची दास्तान इमाम हुसैन। Karbala ki sacchi Dastan imam Husain.

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Karbala ki sacchi Dastan imam Husain.
Karbala ki sacchi Dastan imam Husain.

हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु 4/ हिजरी में तवल्लुद हुए, हज़रत फ़ातिमतुज़्ज़हरा रजियल्लाहु तआला अन्हा, हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु और हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मुबारको मुकद्दस गोदों में परवरिश पा कर सिन्ने शुऊर को पहोचे, आप सात बरस के थे कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इस दारे फानी से आलमे जाविदानी की तरफ रेहलत फ़रमाई।

ख़िलाफ़त हज़रत अबू बकर सिद्दीक रजियल्लाहु तआला अन्हु के वक़्त आप रजियल्लाहु तआला अन्हु की उम्र आठ बरस से ज़ियादा न थी। हज़रत सिद्दीक रजियल्लाहु तआला अन्हु आप से वे इन्तिहा मुहब्बत करते थे और हज़रत उमर फारूक रजियल्लाहु तआला अन्हु को भी आप से बे इन्तिहा उल्फ़त थी ।

हज़रत उमर रजियल्लाहु तआला अन्हु ने बदरी सहाबा के लड़कों का वज़ीफा दो हज़ार दिरहम सालाना मुकर्रर किया था मगर हज़रत हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु को पांच हज़ार दिरहम सालाना मिलते थे। हज़रत उषमान रजियल्लाहु तआला अन्हु के ज़मानाए खिलाफत में मुफिसदीन की शोरिश के वक़्त आप हज़रत उषमान रजियल्लाहु तआला अन्हु (की करने ख़िलाफ़त) के मुहाफ़िज़ थे ।

जंगे जमल और जंगे सिफ़्फ़ीन में आप रजियल्लाहु तआला अन्हु अपने वालिदे माजिद के साथ शरीक हुए । जब 56/हिजरी में अमीर मुआवियाने अहले मदीना से यज़ीद की वली अहदी के हक में बै’त लेनी चाही मगर हज़रत हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु वगैरा इस से मुत्तफिक न हुए। इस पर अमीर मुआविया को भी आइन्दा ख़तरात का एहसास हो गया।

रजब 20/हिजरी में अमीर मुआविया की वफ़ात हूई यज़ीद की बै’त को अक्सरियत ने कुबूल कर लिया । यज़ीद को सय्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु और हज़रत अब्दुल्लाह बिन जुबैर रजियल्लाहु तआला अन्हु से ख़तरा था । उस को यकीन था कि वोह हिजाज़ और इराक के मुसलमानों को उस के मुकाबले में खड़ा कर सकते हैं लिहाज़ा उस ने तख़्ते ख़िलाफ़त पर मुतमक्किन होने के साथ वलीद बिन उतबा (हाकिमे मदीना) को ताकीदी हुकम भेजा कि हज़रत हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु और हज़रत अब्दुल्लाह बिन जुबैर रजियल्लाहु तआला अन्हु दोनों से बैत ली जाए ।

वलीद को मरवान बिन हकम ने मशवरा दिया के अगर ज़रा भी लैत व लअल्ल (आगे-पीछे) करे तो कत्ल कर दो। अगर येह दोनो इस वक़्त निकल गए तो फिर काबू न आएंगे । वलीद ने सय्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु को बुला भेजा। चूंकि अमीर मुआविया की अलालत की ख़बर मदीना में मशहूर थी। इस लिये सय्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु अपनी हिफाज़त के लिये एक जमाअत को अपने साथ लेते गए।

जब मुलाकात हुई तो वलीद ने बैत का मुतालबा किया। आप रजियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया कि मैं छुप कर बै’त नहीं कर सकता, आम लोगों को बुलाओगे तो मैं भी आ जाउंगा। इसी अष्ना मे येह ख़बर अब्दुल्लाह बिन जुबैर रजियल्लाहु तआला अन्हु को भी पहुंच गई और वोह रात ही मक्के कि तरफ निकल गए । चूंकि वलीद दिन भर उन की तलाश में सरगर्दा रहा, इस लिये वोह सख्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु की तरफ मुतवज्जे न हो सका।

उस ने दूसरे दिन आप को बुलाया तो आप ने एक दिन की मोहलत मांगी, उसी अष्ना में अहले इराक़ के पै दर पै पैग़ामात पहुंचे के आप ख़िलाफ़्त को कुबूल कीजिए । उसी कश्मकश में मुहम्मद बिन हनफ़ीया रजियल्लाहु तआला अन्हु के मशवरे से आप शाबान 20 हिजरी में मदीना से निकल कर मक्का में तशरीफ ले गए।

मक्का मुकर्रमा पहुंच कर आप रजियल्लाहु तआला अन्हु ने हज़रत मुस्लिम बिन अकील रजियल्लाहु तआला अन्हु को तेहकीके हालात के लिये कूफा भेजा और एक कासिद बसरा की तरफ रवाना किया । जासूसों ने येह ख़बरे उसी वक़्त यज़ीद को पहुंचाईं, उस ने उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद (हाकिमे बसरा) को ताकीदी हुक्म भेजा कि मुस्लिम बिन अकील रजियल्लाहु तआला अन्हु को कूफा से निकाल दो, अगर मज़ाहमत करे तो उसे कत्ल कर दो, बसरा में सय्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु का भेजा हुवा कासिद गिरफ्तार कर के कत्ल कर दिया गया ।

मुस्लिम बिन अकील रजियल्लाहु तआला अन्हु को हानी बिन उर्वा रजियल्लाहु तआला अन्हु ने अपने जनानखाना में ठेहराया और यहीं चंद रोज़ में अट्ठाराह हज़ार अहले कूफा ने सय्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु की बैअत कुबूल कर ली, इब्ने ज़ियाद ने हरचंद मुस्लिम की तलाश की मगर कुछ सुराग न मिल सका । अख़िर कार उस के गुलाम मा’कल ने इस ख़ुफ़िया इन्तज़ाम का सुराग लगाया । इब्ने ज़ियाद ने पेहले हानी बिन उर्वा रजियल्लाहु तआला अन्हु को गिरफ्तार किया और उन से मुस्लिम का मुतालबा किया।

मगर उन्हों ने साफ इन्कार कर दिया के मैं मौत को कुबूल करूंगा मगर अपने मेहमान और पनाहगुज़ी को हवाले नहीं कर सकता, उसी दौरान में येह अफवाह उड़ गई कि हानी कत्ल कर दिया गया। इस पर हानी के कबीले के हज़ारहा लोगो ने करे खिलाफत का मुहासरा कर लिया और मुस्लिम बिन अकील रजियल्लाहु तआला अन्हु अपने अट्ठाराह हज़ार रफ़ीक़ो के साथ हमलावार हो गए।

उस वक़्त इब्ने ज़ियाद के साथ सिर्फ पचास आदमी मौजूद थे, उस ने महल का दरवाज़ा बंद कर लिया और मुअज़्ज़ीने शहर को हुक्म दिया कि छतों पर चढ़ कर लोगो को लालच और ख़ौफ़ से मुन्तशिर होने की तरगीब दी जाए। येह तदबीर कारगर साबित हुई और मुस्लिम के रुफ़्क़ाअ मुन्तशिर होने लगे । शहर के लोग आते थे और अपने अज़ीज़ो को हटा कर ले जाते थे यहां तक कि मुस्लिम बिन अकील रजियल्लाहु तआला अन्हु के हमराह सिर्फ तीस आदमी खड़े रेह गए।

आप उन रुफ़्क़ाअ के साथ मुहल्ला कन्दा की तरफ हट आए। यहां येह तीस भी आप रजियल्लाहु तआला अन्हु से जुदा हो गए और आप तन्हा खड़े रह गए और एक औरत के हां पनाह ली। इब्ने ज़ियाद ने सुराग लगाने के बाद आदमीयों के साथ उस मकान का मुहासरा कर लिया मगर मुस्लिम बिन अकील रजियल्लाहु तआला अन्हु ख़ौफ़ज़दा न हूए बल्कि इस हिम्मत से मर्दानावार मुकाबला किया कि सब को मकान से बाहर कर दिया। उन्हों ने फिर हमला किया मगर आप ने फिर उन्हें धकेल दिया ।

एक शख़्स ने आप के चेहराए मुबारक पर वार किया जिस से आप रजियल्लाहु तआला अन्हु का उपर का होट कट गया और दो दांत झटका खा गए। बाकी 69 आदमी मकान की छत पर चढ़ कर आ गए और पत्थर बरसाने लगे अब सय्यिदिना मुस्लिम गली में निकल कर मुकाबला करने लगे और लड़ते लड़ते ज़ख़्मो से चूर हो गए, जब कुव्वत ने बिल्कुल जवाब दे दिया तो दीवार से टेक लगा कर बैठ गए । उस वक़्त मुहम्मद बिन अशअष ने उन्हें पनाह का वादा दे कर गिरफ्तार कर लिया ।

इस के बाद आप रजियल्लाहु तआला अन्हु को इब्ने ज़ियाद के सामने पेश किया गया। मुहम्मद बिन अशअष ने कहा कि मैं मुस्लिम को पनाह दे चुका हूं, लेकिन इब्ने ज़ियाद ने उसे तस्लीम न किया और हुक्म दिया की उन्हें क़त्ल कर दिया जाए। आप ने इब्ने ज़ियाद की इजाज़त से उमर बिन साद को वसियत की की सय्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु आ रहे होंगे, उन के पास आदमी भेज कर उन्हें रास्ते ही में वापस कर दिया जाए।

वसियत हो चुकी तो आप रजियल्लाहु तआला अन्हु को महल की बालाई मंज़िल पर ले जा कर शहीद कर दिया गया और आप रजियल्लाहु तआला अन्हु की लाश और सर नीचे फेक दिये गए। इस तरह हज़रत मुस्लिम रजियल्लाहु तआला अन्हु की शहादत की सूरत में सय्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु का एक निहायत क़बी बाजू टूट गया ।

Imam Husain
Imam Husain

मक्का मुकर्रमा से सय्यिदिना हुसैन की रवानगी मुस्लिम बिन अकील रजियल्लाहु तआला अन्हु ने पहला ख़त जो सय्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु की ख़िदमत में भेजा था कि तमाम शहर आप की तशरीफ़ आवरी का मुन्तज़िर है, तशरीफ़ ले आएं । आप येह ख़त देखते ही सफर के लिये तैयार हो गए । जब दोस्तों और अज़ीज़ों को इल्म हुवा तो उन्हों ने आप रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को निहायत शिद्दत से रोका । उमर बिन अब्दुर्रहमान रजियल्लाहु तआला अन्हु ने कहा कि कूफा के लोग रुपिये-पैसे के गुलाम हैं जो लोग आज आप रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को बुलाते हैं, वही कल आप से जंग करेंगे।

सय्यिदिना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने ख़ुदा का वास्ता दे कर कहा कि आप मक्का से हरकत न करें इराकी आप को यकीनन बेयार व मददगार छोड़ेंगे ।

असनाए सफर भी आप रजियल्लाहु तआला अन्हु के बाज़ अहबाब ने बज़रीए ख़ुतूत अर्ज़ की के सफर के इरादे को तर्क कर दीजिये मगर तक़दीर आप रजियल्लाहु तआला अन्हु को कशां कशां मक़सूदिया मैदाने करबला की तरफ ले जा रही थी। इस लिये आप रजियल्लाहु तआला अन्हु पर किसी की अपील या मशवरे का कोई असर न हुवा। आप रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने उमर बिन साद रजियल्लाहु तआला अन्हु के ख़त के जवाब में लिखा है :

“जो शख़्स अल्लाह की तरफ बुलाता है। अमले सालेह करता है और इस्लाम का मोतरिफ है, वोह अल्लाह और उस के रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से क्यूंकर इख़्तिलाफ़ कर सकता है। तुमने मुझे अमान, भलाई और सिलह रहमी की दावत दी है। पस बेहतरीन इमान अल्लाह की अमान है। जो शख़्स दुनिया में ख़ुदा तआला से नहीं डरता, ख़ुदा कयामत के दिन उसे अमन नहीं देगा । इसलिये मैं दुनिया में ख़ुदा का ख़ौफ़ चाहता हूं ताकि क़यामत के दिन में उस की अमान का मुस्तहिक हो जाउं । अगर ख़त से तुम्हारी निय्यत मेरे साथ सिलह रहमी और भलाई की है तो ख़ुदा तुम्हे दुनिया व आख़िरत में जज़ाए खैर दे” ।

इधर अहले बैते किराम का काफिला मनाज़िल तै कर रहा है। उधर इब्ने ज़ियाद ने कादसिया से ले कर ख़फ़ान, कुतकुताना और जबले बअलअ तक जासूस और सवार खाना कर दिये ताकि हज़रत हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु की नकलो हरकत की जुम्ला ख़बरे मिलती रहे ।

सय्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु ने ‘हाजिज’ पहुंच कर कैस बिन मुसहिर के हाथ अहले कूफा को अपनी आमद का ख़त इरसाल किया । लेकिन इब्ने ज़ियाद के तमाम इन्तिज़ाम मुकम्मल थे। कैस को कादसिया में गिरफ्तार कर लिया गया और इब्ने ज़ियाद ने उन्हें छत से गिरा कर शहीद कर दिया ।

खूबसूरत वाक़िआ:- नमाज़ का एहतिमाम।

‘बतने रमला’ मक़ाम पर अब्दुल्लाह बिन मुतीअ से आप रजियल्लाहु तआला अन्हु की मुलाकात हूई, उस ने साफ तौर पर बयान कर दिया है कि आप हरगिज़ हरगिज़ कूफा का कुरद न करें, आप वहां यकीनन शहीद कर दिये जाएंगे।

जब षअलबा में पहुंचे तो आप रजियल्लाहु तआला अन्हु को मुस्लिम बिन अकील रजियल्लाहु तआला अन्हु और हानी बिन उर्वा रजियल्लाहु तआला अन्हु की शहादत की अलमनाक इत्तिलाअ मिली, इस मौकाअ से फाइदा उठा कर खैरख़्वाहों ने फिर अर्ज़ किया कि आप रजियल्लाहु तआला अन्हु यही से वापिस जाएं, लेकिन मुस्लिम के भाईयों ने पेश कदमी की राए दी, इस तरह अहले बैत का काफिला एक मंज़िल और आगे बढ़ गया।

‘जुबार’ पहुंचकर आप रजियल्लाहु तआला अन्हु को अपने कासिद अब्दुल्लाह बिन बकतर के कत्ल की इत्तिलाअ मिली और साथ ही मुस्लिम बिन अकील रजियल्लाहु तआला अन्हु की वसियत के मुताबिक आदमी पहुंचे कि यहां का हाल बदल चुका है। उस मवाअके पर सख्यिदिना हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु ने साथियों को जमा’ कर के एक पुर दर्द तक़रीर फ़रमाई । जिस में आप रजियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया “हमारे दोस्तों ने हमारा साथ छोड़ दिया है। चुनांचे जो शख़्स लौटना चाहे वोह ख़ुशी से अलग हो जाए, हमें कोई शिकायत नहीं” ।

इस पर बेशुमार लोग जो रास्ते में आप के साथ हो गए थे, अलग हो गए और सिर्फ वही वफा शिआर जांनिसार साथ रहे जो मदीना से आप रजियल्लाहु तआला अन्हु के साथ आए थे । ‘बतने उक़बा’ पर आप को फिर वापसी की तरगीब दी गई मगर आप रजियल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया “ख़ुदा के हुक्म के खिलाफ नहीं किया जा सकता ।”बाकी वाकिया आगे आये गा। इन्शाअल्लाह

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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