हज़रत उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि हम नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मजलिस में बैठे थे कि आपके पास एक आदमी आया और कहने लगा या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ईमान क्या चीज़ है?
आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः
तर्जुमाः यह कि तू ईमान लाए अल्लाह तआला पर, उसके फरिश्तों पर, उसकी किताबों पर, उसके रसूलों पर, मौत पर, मौत के बाद ज़िन्दा होकर उठने पर, हिसाब व किताब पर, जन्नत पर, दोज़ख पर और हर तरह की अच्छी और बुरी तक़दीर पर।(मुस्लिम जिल्द 1 पेज 38)
फायदाः इस हदीसे पाक में दूसरे अकीदों के साथ-साथ जन्नत को ईमान का हिस्सा करार दिया है। इसलिए जो आदमी जन्नत का इनकार करे वह मुसलमान नहीं हो सकता। (शहर अकीदा तहाविय जिल्द 2 पेज 161)
और कुरआन पाक में या मज़बूत मुबारक हदीसों में जन्नत और उसके हालात के बारे में जो कुछ मौजूद है वह भी ईमान का एक हिस्सा है, उससे इनकार भी कुफ्र है। कुछ पश्चिमी ज़ेहन रखने वाले नाम के खोजकर्ता जन्नत का और उसकी नेमतों का इनकार करते हैं उनको अपने ईमान की फिक्र करनी ज़रूरी है।
जन्नत के हालात में जो-जो इरशादात कुरआन करीम या मुबारक हदीसों में आए हैं, मैंने उनको एक जगह जमा करने की बहुत ज़्यादा कोशिश की है। इस मजमूए में जन्नत के लिए ईमान की ज़रूरियात को अच्छे ढंग से देखा जा सकता है।
जन्नत का इच्छुक जन्नत की मेहनत करे:
हदीस :- हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः मैंने जन्नत की मिसाल नहीं देखी, जिसका चाहने वाला सो गया है, और न दोज़ख जैसी अज़ाब और मुसीबत देखी है जिससे भागने वाला भी सो गया है।
(सिफतुल्-जन्नत अबूनुऐम जिल्द 1 पेज 57)
फायदा :- इसमें भी जन्नत के चाहने की खूब तरगीब दी गयी है।
जन्नत की उम्मीद रखने वाला जन्नत में जाएगा :-
हदीस :- हज़रत उमर फारूक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैंः नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः जन्नत में वही दाखिल होगा जो उसकी उम्मीद रखेगा इस लिए हम सब मुसलमानों को इसका उम्मीदवार रहना चाहिये। (सिफतुल्-जन्नत अबू नुऐम जिल्द 1 पेज 59)
फायदाः एक हदीस में हज़रत अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से यह नक़ल फरमाया है कि जन्नत में उसके हरीस यानी उम्मीद रखने वाले और कोशिश करने वाले के सिवा कोई नहीं जाएगा। (सिफतुल्-जन्नत अबू नुऐम जिल्द 1 पेज 60)
खूबसूरत वाक़िआ:जन्नत और दोज़ख का राज़ |
इसलिए जन्नत में जाने की खूब-खूब हिर्स करनी चाहिये।
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….
