तुम्हें क्या मालूम तुम्हारे लिए क्या-क्या इनाम छुपा रखे है
हदीस :- हज़रत सहल बिन सअद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं मैं जनाब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मुबारक मजलिस में हाज़िर हुआ, आपने उसमें जन्नत की तारीफ फरमाई और उसके गुण बताए यहाँ तक कि आपने उसके आखिर में यह इरशाद फरमाया कि जन्नत में वह कुछ है जिसको किसी आँख ने नहीं देखा और किसी कान ने नहीं सुना, और न किसी इनसान के दिल में उसका ख़्याल गुज़रा। फिर आपने यह आयत तिलावत फरमाईः
तर्जुमाः उनके पहलू (करवटें) बिस्तरों से अलग होते हैं (चाहे इशा के फर्जो के लिए या तहज्जुद के लिए भी, और सिर्फ अलग ही नहीं होते बल्कि इस तरह अलग होते हैं कि वे लोग अपने रब को अज़ाब के डर और जन्नत की उम्मीद से पुकारते हैं, यानी उनको जहन्नम से पनाह और जन्नत के हासिल होने की चिन्ता लगी रहती है, और हमारी दी हुई चीज़ों में से खर्च करते हैं। सो किसी आदमी को खबर नहीं, आँखों की ठंडक का सामान ऐसे लोगों के लिए गैब के ख़ज़ाने में मौजूद है। यह उनके (नेक) आमाल का सिला मिला है। (सूरः सज्दा आयत 16.17)
इस आयत में मुसलमानों को नेक आमाल के साथ जन्नत के पाने की तरगीब दी है। खास तौर पर रात को अल्लाह तआला की इबादत करने का ऐसा बड़ा अज्र (फल) बयान फ़रमाया है कि इसकी वजह से अल्लाह तआला तहज्जुद पढ़ने वालों और रात के वक़्त अल्लाह तआला के लिए इबादत और उसके ज़िक्र में जागने वालों के लिए जन्नत के ये बड़े-बड़े इनाम हैं, जैसा कि हदीस में आया है किः
हदीस :- अल्लाह तआला फरमाते हैं कि मैंने अपने नेक बन्दो के लिए वह कुछ तैयार कर रखा है जो किसी आँख ने नहीं देखा, किसी कान ने नहीं सुना और किसी इनसान के दिल में उसका ख़्याल तक नहीं गुज़रा।
हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैः अगर चाहो तो (यह ) पढ़ लोः तर्जुमाः सो किसी इनसान को ख़बर नहीं जो-जो आँखों की ठंडक का सामान ऐसे लोगों के लिए गैब के खज़ाने (जन्नत) में मौजूद है। (बुदूरे साफिरह पेज 477)
खूबसूरत वाक़िआ:एक हकीक़ी वाक़िआ जो सबक सिखा गया
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….
