इन्सान की दस (10) ख़सलतें। Insaan ki das khaslaten.

 Insaan ki das khaslaten.

फितरते इंसानी की इन दस ख़सलतों का हर आदमी को इख़्तियार करना ज़रूरी है, इन दस ख़सलतों में से पांच का ताल्लुक सर से है और पांच बाकी सारे जिस्म से मुताल्लिक है।

सर से मुताल्लिक ख़सलतें यह हैं:-

(1) कुल्ली करना ।
(2) नाक में पानी डाल कर उसको साफ करना ।
(3) मिस्वाक करना ।
(4) मूंछें कतरवाना ।
(5) दाढ़ी रखना।

सारे जिस्म के मुताल्लिक ख़सलतें यह हैं:-

(1) ज़ेरे नाफ के बाल साफ करना ।
(2) बग़लों के बाल साफ करना ।
(3) नाखुन कटवाना ।
(4) पानी से इस्तिनजा करना ।
(5) खतना कराना।

मूंछें और दाढ़ी :-

मूंछें तरशवाने की असल वह हदीस है जो हजरत इब्ने उमर रज़ियल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुज़ूरे अक्दस सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया लबें (गहरी) कटवाओ और दाढ़ी बढ़ाओ। हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहो अन्हो से मरवी हदीस में आया है कि लबें कतराओ और दाढ़ी बढ़ाओ। दोनों रिवायतों के मानी एक ही हैं, लफ़्ज़ “क्स” यानी काटने या तरशवाने का मतलब कैंची की मदद से बालों को जड़ से काटना है लेकिन मूंछों को उस्तुरे से मूंढना मकरूह है।

हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने उमर रज़ियल्लाहो अन्हो से मरवी है कि रसूले करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि वह शख़्स हम में से नहीं जो अपनी मूंछें मुंडाता है, इसकी वजह यह है कि मूंछें मूंडना एक किस्म की ख़िलक़त बदलनी है इससे चहरे की रौनक और खूबसूरती जाती रहती है सहाबा कराम से मरवी है कि वह अपनी मूंछों को कतरवाते थे ।Insaan ki das khaslaten.

दाढ़ी :-

दाढ़ी रखने से मुराद दाढ़ी के बालों का वाफिर और ज़्यादा करना है, हक़ तआला के इरशाद यानी यहाँ तक कि ज्यादा हो गए, के यही मानी है। रिवायत में आया है कि हज़रत अबू हुरेरा रज़ियल्लाहो अन्हो दाढ़ी को मुट्ठी में पकड़ कर मुट्टी से बाहर निकले हुए बालों के हिस्से को कतर देते थे, हजरत उमर रज़ियल्लाहो अन्हो फरमाते थे कि मुट्ठी के नीचे का हिस्सा काट दो।

बालों की मीआद :-

हज़रत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहो अन्हो ने आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से रिवायत की है कि चालीस दिन गुज़रने से कब्ल मूंछें कतरवाओ, नाखून कटवाओ, बगल के बाल उखड़वाओ और शर्मगाह के बाल मूंडो, हमारे बाज असहाब का कौल है कि यह इजाजत मुसाफिरों के लिए है, मुकीम के लिए बीस रोज से आगे बढ़ना अच्छा नहीं है।

इमाम अहमद रहमतुल्लाहि तआला अलैहि से इस हदीस के सही और गलत होने के मुताल्लिक मुखतलिफ रिवायात आई हैं। किसी में इस की सेहत का इनकार है और किसी में तय्युने वक़्त के लिए इस हदीस को हुज्जत करार दिया गया है।

मूए जेरे नाफ की सिलसिले में इख़्तियार है चाहे नौरा यानी चूना और हड़ताल का मुरक्कब से सफ करें चाहे चूने या उस्तुरे से साफ करें, इमाम अहमद रहमतुल्लाह अलैह से रिवायत है कि वह नौरा इस्तेमाल करते थे, मन्सूर बिन हबीब बिन अबी साबित रज़ियल्लाहो अन्हो की रिवायत हुज़ूरे अकदस सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बारे में यही है कि हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहो अन्हो ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के लिए लेप तैयार किया और हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपने दस्ते मुबारक से उसे अपने जेरे नाफ लगाया।

हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहो अन्हो से इसके ख़िलाफ मरवी है, उन्होंने फरमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने कभी चूने का लेप इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि जब बाल बढ़ जाते तो हुज़ूर उन्हें मूंड दिया करते थे। मूए जेरे नाफ के सिवा दूसरी जगह के बाल दूसरे शख़्स से भी साफ कराये जा सकते हैं। इसके सबूत में हज़रत उम्मे सलमा रज़ियल्लाहो अन्हा कि रिवायत है कि रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के जेरे नाफ तक पहुंचते तो हुज़ूर इस काम को अन्जाम देते।Insaan ki das khaslaten.

अबूल अब्बास नसाई कहते हैं कि हमने अबू अब्दुल्लाह के चूने का लेप किया लेकिन ज़ेरे नाफ की हद पर उन्होंने खुद चूने का इस्तेमाल किया गरज़ जब ज़ेरे नाफ, रानों व पिंडलियों की सफाई का जवाज़ चूने से साबित है तो उस्तुरे से भी मूंडना जायज़ है। इस क्यास की ताईद हज़रत अनस रज़िअल्लाहु अन्हु की मजकूरा बाला रिवायत से होती है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने चूने का इस्तेमाल कभी नहीं किया, बाल ज़्यादा होते तो मूंड देते थे।  इस्लामी अख्लाक व तहज़ीब की फज़िलत।

सफेद बालो का उखाड़ना :-

सफेद बालों का चूनना मकरूह है, हज़रत अम्र बिन सुयैव रज़ियल्लाहो अन्हो ने अपने वालिद से और उन्होंने अपने दादा से रिवायत की है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सफेद बाल उखाड़ने (चुनने) से मना फरमाया है और फरमाया सफेदी इस्लाम का नूर है, एक और हदीस में आया है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः सफेद बालों को न निकालो (उखाड़ो) कयोंकि जिस मुसलमान को बहालते इस्लाम लिबासे पीरी पहनाया गया कियामत के दिन (बालों की सफेदी) उसके लिए नूर होगी।

यहया की रिवायत में आया है कि अल्लाह तआला उसके हर बाल के बदले एक नेकी लिखेगा और एक गुनाह साकित कर देगा बाज़ तफसीरों में अल्लाह तआला के इस फरमान को व जा अकुम अन्नज़ीर इसी बात की ताईद में पेश किया गिया है और कहा है कि नज़ीर से मुराद शैब यानी बुढ़ापा है।

सफेद बाल मौत से डराते हैं, मौत की याद दिलाते हैं, ख़्वाहिशाते नफ़्सानी और दुनिया की लज़्ज़तों से रोकते हैं, आख़िरत की तैयारी और दारेबक़ा की सामान फराहम करने पर तैयार करते है। फिर किस तरह ऐसी चीज़ का दूर करना जायज़ हो सकता है?

सफेद बाल चुनने वाला तकदीर से मुकाबला करना चाहता है, अल्लाह के कामों में दखल दे कर उसकी ना खुशी हासिल करता है, जवानी की ताज़गी और नौ उमरी को हमेशा की ताज़गी और बुजुर्गी पर तरजीह देना चाहता है। बुजुर्गी, बुर्दबारी और इस्लाम के नूरानी लिबास और इब्राहीमी शिआरे जिस्मानी से नफ़रत करता है। बाज़ कुतुब में मंकूल है कि सब से पहले हालते इस्लाम में सफेद बाल हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के हुए थे।Insaan ki das khaslaten.

आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की हदीस हैः अल्लाह तआला बूढ़े आदमी से शर्म करता है यानी उसे अज़ाब देने में हया फरमाता है।

नाखुन तराशना :-

जुमा के दिन ऊंगलियों की तरतीब के खिलाफ नाखूनों को तराशना मुस्तहब है तरतीब के ख़िलाफ तराशने से मुराद यह है कि छोटी ऊंगली से अंगूठे तक तरतीब वार न तराशे जाएं हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि जो कोई मुर्काररा तरतीब के खिलाफ नाखून काटता है वह अपनी आँख में आशोब व रम्द की बीमारी नहीं दिखेगा।

हमीद बिन अब्दुर्रहमान ने अपने वालिद से रिवायत नक़्ल की है कि जो शख़्स जुमा के दिन नाखून तराशेगा उसके बदन के अंदर शिफा दाखिल होगी और बीमारी निकल जाएगी, जुमेरात के दिन असर के बाद नाखून तराशने की भी यही फजीलत और बुजुर्गी है।

ऊंगलियों की तरतीब के खिलाफ का मतलब यह है कि अव्वल सीधे हाथ की छंगली से तराशना शुरू करे फिर बीच की उंगली, फिर अंगूठा, अंगूठे के बाद छंगली के बराबर वाली उंगली फिर अंगुश्ते शहादत के नाखुन तराशे, बायें हाथ के नाखूनों की तराश इस तरह करे कि पहले अंगूठा फिर दर्मियानी उंगली फिर छंगली और उसके बाद अंगुश्ते शहादत और अंगुश्ते शहादत के छंगली के बराबर वाली उंगली के नाखून तराशे।

हमारे अकाबेरीन यानी उलमाए हंबली से अब्दुल्लाह बिन बत्ता की रिवायत इसी तरह है। हज़रत वकी हज़रत आएशा रज़ियल्लाहो अन्हा से रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने मुझसे इरशाद फ़रमाया ऐ आएशा! जब तू नाखुन तराशे तो बीच की उंगली से शुरू कर फिर छंगली फिर अंगूठा, फिर छंगली के पास वाली उंगली फिर अंगुश्ते शहादत के नाखून काट, यह अमल तवंगिरी पैदा करता है।

नाखून, कैची या चाकू से काटे जायें, दांतों से नाखून काटना मकरूह है, नाखून तराश कर उनको मिटटी में दबा देना चाहिए। सर और बदन के बालों, भरी हुई सेंगी और फस्द के खून का भी यही हुक्म है। रिवायत है कि रसूलूल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने खून, बाल और नाखूनों को मिट्टी में दबाने का हुक्म दिया है।

सर मुंडाना

इमाम अहमद बिन हंबल रहमतुल्लाहि तआला अलैहि की एक मरफू रिवायत के बमौजिब हज और उमरा और ज़रूरत के अलावा सर मुंडाना मकरूह है। हजरत अबू मूसा और उबैद बिन उमर रज़ियल्लाहो अन्हो से रिवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमायाः जिसने सर मुंडाया वह हममें से नहीं।

दारे कुतनी ने हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह से रिवायत की है कि आंहजरत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : हज और उमरा के सिवा बाल न मुडाये जाएं। इसी बिना पर हुज़ूर ने ख़्वारिज की मज़म्मत फरमाई और उनकी पहचान सर मुंडाना बतलाया, हज़रत उमर ने सब्बीग से फरमाया “अगर मैंने देखा कि तुमने सर के बाल मुंडाए हैं तो उसी सर को पिटूंगा।Insaan ki das khaslaten.

हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहो अन्हो रिवायत करते हैं कि “अगर किसी का सर मुंडा हुआ देखो तो समझो उसमें शैतान की सिफत है क्योंकि सर मुंडवाने वाला अपने को अजमियों को हम शक्ल बनाता है और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया है कि जो किसी कौम की शक्ल इख्तियार करेगा वह उसी में से होगा।

जब सर मुंडाने की मुमानिअत ऊपर की रिवायतों से साबित है तो फिर बालों को कतरवाना चाहिए। इमाम अहमद बिन हंबल रहमतुल्लाहि तआला अलैहि ऐसा ही करते थे, इख्तियार है कि बाल जड़ों से कतरवाए या ऊपर से यानी बालों की नोकें कटवा दे।

इमाम अहमद की दूसरी रिवायत है कि सर मुंडाना मकरूह है क्योंकि अबू दाऊद ने अपनी असनाद के साथ नकल किया है कि हजरत अब्दुल्लाह बिन जाफर रज़ियल्लाहो अन्हो ने फरमाया कि हजरत जाफर की शहादत के बाद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने जाफर के घर वालों के पास हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहो अन्हो को भेजा फिर खुद भी तशरीफ ले आए और इरशाद फरमाया कि आज के बाद मेरे भाई पर न रोना फिर फरमाया मेरे भतीजों (उसके लड़कों) को मेरे पास लाओ, हम को आपकी खिदमत ले जाया गया,

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया नाई को बुलाओ नाई बुलाया गया हुक्म दिया गया कि उनके सिर मुंड दो, नाई ने हमारे सर मुंड दिये। यह भी रिवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बाल कंधों तक लटकते थे, आपने ज़िन्दगी के आवाख़िर जमाने में अपने सरे मुबारक के बाल मुंडवा दिये थे।

हज़रत अली रज़ियल्लाहो अन्हो फरमाते हैं कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बाल कानों की लौ तक थे। उस ज़माने में बाज अफराद कभी कभी सर मुंडा लिया करते थे और किसी ने उन पर एतराज नहीं किया, इस बिना पर मकरूह नहीं है कि इस में सख्ती और तंगी है जो माफ कर दी गई है। जिस तरह कि बिल्ली और दूसरे हशशतुल अर्ज का झूठा माफ कर दिया गिया है।Insaan ki das khaslaten.

क़ज़अ का हुक्म :-

क़ज़अ यानी कुछ बाल मुंडाना और कुछ हिस्से के बाल छोड देना मकरूह है हुज़ूर सरवरे कायनात सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने ऐसा करने से मना फरमाया है। इसी तरह गरदन के बाल मुंडाना भी मकरूह। हुज़ूर ने पचने लगवाने की जरूरत के सिवा गर्दन के बाल मूंडने से मना फरमाया है कि यह मजूसियों का अमल है। ईमान की फज़िलत।

मांग निकालना :-

बडे बाल रखना और मांग निकालना सुन्नत है. एक रिवायत में आया है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने खुद भी मांग निकाली और सहाबा कराम को भी मांग निकालने का हुक्म दिया, यह रिवायत बीस से ज्यादा असहाब से मरवी है जिन में हज़रत अबू उबैदा, हजरत अम्मार और हजरत अबी मसऊद भी शामिल हैं।

तहज़ीफ या जुल्फें निकालना :

अपने रुख़सारों पर यानी औरतों की तरह लंबी जुल्फें छोडना जैसा कि अल्वियों का तरीक़ा है मर्दों के लिए मकरूह है, औरतों के लिए जायज़ है क्योंकि हमारे अकाबेरीन में से अबू बकर जलाद ने हज़रत अली रज़ियल्लाहो अन्हो से नक्ल किया है कि आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि औरतों को जुल्फें रखना जायज़ है मगर मदों के लिए मकरूह है।

मोंची से बाल नोचना :-

मोंची से चेहरे के बाल उखेडना मर्द और औरत दोनों के लिए मकरूह है। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने मोंची के जरिये चेहरे के बाल उखेडने वालों पर लानत फरमाई है। औरतों के लिए पेशानी के बाल शीशे की धार या उस्तुरे से काटना मकरूह है, चेहरे पर अगर बाल निकल आयें तो उन को भी शीशे या उस्तुरे से काटना और मूंडना औरत के लिए मकरूह है इसकी ममानिअत पहले बयान हो चुकी है।

लेकिन अगर शौहर अपनी बीवी को इसका हुक्म दे और अंदेशा हो कि हुक्म न मानने की सूरत में शौहर उससे वे इल्तेफाती बरतेगा और किसी दूसरी औरत से निकाह कर लेगा या इस तरह बिगाड़ और जरर पैदा होगा तो मसलेहतन बाज लोगों के नज़दीक ऐसा करना जाएज है। रंगा रंग कपड़ों से आराइश, तरह तरह की खुशबू का इस्तेमाल, अपने शौहर से शोखी, खूश तबई करना ताकि शौहर का दिल लुभायें और उसको अपनी तरफ मायल करें जायज़ है।Insaan ki das khaslaten.

वह औरतें जो अपने मुंह के बाल मोचने से साफ करके अपने आपको इसलिए खूबसूरत बनाती हैं कि गैरों के साथ अपनी नफ़्सानी ख़्वाहिशात का पूरा करें उन पर आंहजरत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने लानत की है।

बालों को सियाह करना :-

सफेद बालों को सियाह रंग में रंगना मकरूह है, हज़रत हसन रिवायत करते हैं कि बाज लोग अपने सफेद बालों को सियाह में बदल रहे थे, आंहजरत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने देख कर फरमाया “अल्लाह तआला कियामत के दिन उनके मुंह काले करेगा। हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहो अन्हो की रिवायत है कि आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि यह लोग बहिश्त की खूशबू नहीं सूंघेंगे।

सियाह ख़िज़ाब के सिलसिले में जो अहादीस आई हैं उनमें से एक यह है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया सियाह ख़िज़ाब करो इससे बीवी का उन्सियत और जिहाद में दुश्मन को तुम्हारे जवान होने का धोका हो जाता है। इस हदीस में सियाह खिज़ाब का जवाज असल में जंग के लिए है बीवी का ज़िक्र असले मकसूद नहीं है बल्कि बित्तब्बेअ है।

ख़िज़ाब या वसमा :-

मुस्तहब तरीका यह है कि सर के बालों को मेहंदी (हिना) या वसमा के ख़िज़ाब से रंगे। हज़रत इमाम हम्बल रहमतुल्लाहि तआला अलैहि ने तैंतीस बरस की उम्र में मेहंदी वसमा का ख़िज़ाब किया था, उनके चचा ने कहा कि तुमने तो वक़्त से पहले ही ख़िजाब कर लिया, उन्होंने जवाब दिया कि यह रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सुन्नत है।

हजरत अबू जर गिफारी रज़ियल्लाहो अन्हो की रिवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया “सफेद बालों का रंग बदलने की बेहतरीन चीज़ मेहंदी वसमा है। रसूलुल्लाह के ख़िजाब के मुताल्लिक मुख्तलिफ रिवायात हैं।

हज़रत अनस रज़िअल्लाहु अन्हु का बयान है कि थोड़े से बालों के सिवा हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बाल सफेद ही नही थे, लेकिन हजरत अबू बकर और हज़रत उमर रज़ियल्लाहो अन्हो ने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बाद मेहंदी वसमा का खिजाब लगाया था ।

यह भी रिवायत है कि हज़रत उम्मे सलमा रज़ियल्लाहो अन्हा ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के चन्द बाल निकाल कर लोगों को दिखाए जो मेहंदी वसमा से रंगे हुए थे, इस हदीस से रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का मेहंदी वसमा का खिजाब लगाना साबित होता है।Insaan ki das khaslaten.

इमाम अहमद रहमतुल्लाहि तआला अलैहि के कौल के मुताबिक ज़ाफ़रान और दरस (एक किस्म की घास) से खिजाब करना रवा है और इसकी दलील यह है कि हज़रत अबू मालिक अश्अरी रज़ियल्लाहो अन्हो की रिवायत में आया है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का खिजाब दरस और जाफरान का था।

पस सर के बालों का खिजाब लगाना साबित है तो इसी तरह दाढ़ी में खिजाब लगाने का भी हुक्म ऐसा ही होगा कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हुक्म उमूमी दिया था कि “सफेद बालों को बदल दो और यहूदियों से मुशबिहत न करो।” हज़रत अबू जर की रिवायत में पहले गुज़र चुका है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया सफेद बालों को बदलने की बेहतरीन चौड़ मेहंदी वसमा है। यह हुक्म भी आम सर के बाल हों या दाढ़ी के सबको शामिल है। तौबा करने की फज़िलत।

फतेह मक्का के दिन हज़रत अबू बकर रज़ियल्लाहो अन्हो अपने वालिद अबू कोहाफा को लेकर रसूले खुदा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की खिदमते गिरामी में हाज़िर हुए हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हज़रत अबू बकर के पासे ख़ातिर से फरमाया “बढे मियाँ को तुम घर पर ही रहने देते हम उनके पास पहुंच जाते, इसके बाद अबू कोहाफा मुसलमान हो गए उस वक़्त उनके सर और दाढ़ी (के बाल) सफेद सफामा की तरह थे,

हुजूर ने फ़रमाया इस रंग को बदल दो मगर सियाही से बचना इस इरशाद में साफ सराहत है कि दाढ़ी का हुक्म सर की तरह है और सियाह खिजाब की मुमानिअत है। हजरत अबू उबैदा रज़ियल्लाहो अन्हो ने कहा है कि सफामा एक किस्म की घास होती है जिसके फूल भी सफेद हाते हैं और फल भी।

सुरमा लगाना :-

ताक बार सुरमा लगाना मुस्तहब है। हज़रत अनस रज़िअल्लाहु अन्हु की रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ताक मर्तबा सुरमा लगाया करते थे। उलमा का इस बारे में इख़्तिलाफ है। हज़रत अनस रज़िअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि नबीए मुकर्रम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम दाहिनी आंख में तीन और बाएं आंख में दो सलाइयाँ (सुरमें की) लगाया करते थे और हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहो अन्हो से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हर आंख में सुरमें की तीन तीन सलाइयाँ लगाया करते थे।

बालों में तेल लगाना :-

मुस्तहब है कि एक दिन छोड़ कर बालों में तेल लगाया जाए और अफज़ल यह है कि रौगन बनफ्शा इस्तेमाल किया जाए जैसा कि हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहो अन्हो की बयान फरमूदा इन दो हदीसों से साबित है।Insaan ki das khaslaten.

(1) हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने मर्द को रोजाना कंघी करने से मना फरमाया है। एक दिन छोड़ कर करे।
(2) हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि रौगन बनफ्शा को तमाम तेलों में ऐसी ही फजीलत है जैसी मुझे तमाम इंसानों में।

अल्लाह रबबूल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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