हुस्ने अख़लाक की अस्ल अल्लाह तआला का यह इरशाद है जो उसने अपने महबूब व बरगुज़ीदा नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की ज़बान में कुरआन में नाज़िल फ़रमाया है यानी बिला शुब्हा आप अज़ीम अखलाक पर फाएज़ हैं।
हज़रत अनस बिन मालिक रजिअल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से दरयाप्त किया गया या रसूलल्लाह किस मोमिन का ईमान अफज़ल है आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जिस का अखलाक सबसे अच्छा है।
हुस्ने अखलाक की अफज़लियत
हुस्ने अख़लाक बन्दे की तमाम सनअतों में अफज़ल है, उससे जवांमर्दी के जौहर नुमायां होते हैं, इन्सान अपनी जिस्मानी बनावट के लिहाज़ से पोशीदा है लेकिन अपने अखलाक के लिहाज से ज़ाहिर व नुमायां है।
बाज़ मुहक्केकीन ने कहा है कि अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल ने अपने रसूल हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को मोजजे करामतें और बहुत से फ्ज़ाएल खास तौर पर अता फरमाए लेकिन उन फजाएल में से किसी एक की ऐसी तारीफ नहीं की जैसे के आप के अखलाक की फरमाई यानी इरशाद फरमायाः बिला शुब्हा आप अजीम अखलाक पर फाएज़ हैं।Husne Akhlak ki fazilat.
बाज़ मुहक्केकीन का कौल है कि अल्लाह तआला ने आप के खुल्क की यह तारीफ इस लिए फरमाई कि आप ने दोनों जहान बख़्श दिए और खुदा पर ही इकतेफा किया। यह भी कहा गया है कि खुल्के अज़ीम यह है कि कमाले मारफ्ते इलाही की बिना पर किसी से झगड़ा न किया जाए न कोई उससे झगड़ा करे यानी न किसी से अपना हक मांगे कि उसके बाइस झगड़ा करना पड़े और न किसी की हक तलफी करे कि उसके बाइस दूसरा उससे झगड़े।
बाज़ हज़रात ने खुल्के अजीम की तारीफ यह की है कि हक की मारफत के बाद दूसरे लोगों के बुरे अखलाक उस पर असर अंदाज़ न हों। हजरत अबू सईद ख़ज़ाज़ ने फ़रमाया कि आदमी के इरादा के सामने अल्लाह के सिवा कोई न हो उसका इरादा अल्लाह की रज़ा के तहत हो हज़रत जुनैद रहमतुल्लाह अलैह ने फरमाया कि मैंने हारिस मुहासबी को कहते हुए सुना है कि हम ने तीन चीज़ों को खो दिया है। इस्लाम के वाजिबात व फराइज़।
पहला कुशादा रवी व हिफ़्ज़े आबरू, दूसरा बगैर ख़यानत के खुश कलामी, तीसरा वफाये अहद के साथ दोस्ती का निभाना। बाज़ हज़रात का कौल है कि खुल्के हुस्न यह है कि तुम से जो चीज़ दूसरे को पहुंचे उसको तुम हकीर समझो। दूसरों से जो कुछ तुम को मिले उसको अज़ीम समझो। बाज़ कहते हैं कि हुस्ने खुल्क यह है कि तुम अपनी तरफ से दूसरों को ईज़ा न दो और दूसरों की तरफ से पहुंचने वाले दुख को बरदाश्त करों।Husne Akhlak ki fazilat.
हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इरशाद:
हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सहाबा किराम से इरशाद फ़रमाया तुम्हारे माल में सब लोगों के ख़र्च की यकीनन गुंजाइश नहीं होगी लेकिन खन्दा पेशानी और हुस्ने खुल्क में तो उनकी समाई कर लो।
अल्लाह तआला के साथ हुस्ने खुल्क यह है कि तुम उस के अवामिर को बजा लाओ और ममनूआत को तर्क कर दो और आम हालत में बगैर किसी इस्तेहकाक सवाब के उस की इताअत करो और बगैर तरद्दुद के अपने तमाम मुकद्देरात को उसी के सुपुर्द करो और बगैर किसी शिर्क के उसको एक तसलीम करो और बगैर किसी शक के उसको वादा में सच्चा जानो।
हज़रत जुन्नून मिसरी से किसी ने दरयापत किया कि सबसे ज्यादा अंदोहनाक हालत किस शख्स की है, फरमाया उसकी जो सबसे बद सुल्क हो। हज़रत हसन बसरी रजिअल्लाहु ताअला अन्हु अल्लाह तआला के इस इरशादः अपने कपड़ों को पाक रखिये, की तफसीर करते हुए कहा कि यानी अपने खुल्क को अच्छा (पाकीजा) कर लो।
बाज़ लोगों ने आयतः और अल्लाह तआला ने तुम को जाहिरी और बातिनी दोनों किस्म की नेमतें पूरी पूरी अता की हैं, की तफसीर में बयान किया है कि जाहिरी नेमत तो आजाए जिस्मानी की सेहत व तन्दरुस्ती है और बातिनी नेमत अखलाक की पाकीजगी है।
हज़रत इब्राहीम अदहम का इरशाद
हज़रत इब्राहीम अदहम से दरयाफत किया गया कि क्या आप दुनिया में कभी खुश हुए? फ़रमाया हां दो मरतबा ऐसा हुआ पहली मर्तबा तो उस वक्त जब कि में बैठा हुआ था कि एक कुत्ता आया और मुझ पर पेशाब कर दिया, दूसरी बार उस वक्त जब में बैठा था तो एक आदमी आया उसने मेरे तमांचा मारा।
रिवायत है कि हज़रत ओवैस करनी को जब लड़के देखते तो आप को ईट मारते, आप उनसे कहते अगर पत्थर मारते ही हो तो छोटे छोटे पत्थर मारो ताकि मेरी पिंडलियां इन बड़े पत्थरों और ईंटों से लहु लहान न हो जाए और मैं नगाज न पढ़ सकूं।Husne Akhlak ki fazilat.
एक रिवायत है कि एक शख़्स अहनफ बिन कैस के पीछे पीछे उनको गालियां देता जाता था जब हज़रत अपने कबीला के क़रीब पहुंच गए तो ठहर गए और फरमाया ऐ शख्स ! अगर तेरे दिल में कुछ और बाकी रह गया हो तो उसे भी कह डाल ऐसा न हो कि आगे बढ़ कर कोई नादान शख्स तेरी गालियां सुने और तुझे गालियां देने लगें तो उस वक्त तुझे अफसोस होगा।
हज़रत हातिम असम से कहा गया कि इन्सान हर एक की बात बरदाश्त कर लेता है आप ने फरमाया हां मगर अपने नफ़्स के सिवा। रिवायत है कि अमीरूल मोमीनीन हज़रत अली इब्ने अबी तालिब ने अपने गुलाम को आवाज दी, उसने कोई जवाब नहीं दिया, आप दूसरी फिर तीसरी बार आवाज़ दी तब भी उसने कोई जवाब नहीं दिया,
आप उसके पास गए तो उसको लेटे हुए देखा आपने फ़रमाया ऐ गुलाम क्या तू सुन नहीं रहा है, तो उसने कहा हां मैं सुन रहा हूं, आपने फ़रमाया फिर तूने जवाब क्यों नहीं दिया, उसने कहा मुझे आप की सजा का तो कोई डर ही नहीं था इस लिए मैंने जवाब देने में सुस्ती की, आप ने फरमाया जा तू अल्लाह के लिए आज़ाद है।
बाज़ हज़रात का कौल है कि हुस्ने खुल्क यह है की तुम लोगों के साथ रहते हुए भी उनसे बेगाना रहो। बाज़ का ख़्याल यह है कि हुस्ने खुल्क यह कि मख़लूक की तरफ जो जुल्म तुम पर किया जाए उसको बरदाश्त कर लो और उनका हक बगैर तंगदिली और नागवारी के अदा करते रहो। इंजील में मौजूद है: मेरे बन्दे मुझे याद रख, जब तू गुस्सा में हो, मैं तुझे अपने गज़ब के वक़्त अपनी रहमत के साथ याद रखूंगा।
मालिक बिन दीनार से किसी औरत ने कहा ऐ रियाकार ! आपने उसको जवाब दिया कि तुमने मेरा वह नाम पा लिया जिसे अहले बसरा भूल चुके थे।
हज़रत लुक्मान अलैहिस्सलाम ने दुनिया में अपने बेटे से फरमाया ऐ मेरे प्यारे बेटे तीन किस्म के लोग इन तीन मौकों पर पहचाने जाते हैं, (1) हलीम और बुर्दबार गुस्सा के वक़्त (2) बहादुर जंग के मौका पर (3) दोस्त हाजत और ज़रुरत के वक़्त । हज़रत गौसे पाक का अक़ीदा ।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तआला से अर्ज किया कि इलाही! मेरी तुझ से यह दरख्वास्त है कि मेरे बारे में वह कुछ न कहा जाए जो मुझ में मौजूद नहीं है यानी मुझ पर बोहतान तराशी न हो जवाब आया कि यह हम ने अपने लिए जब नहीं किया तो तेरे लिए कैसे करूं।
अल्लाह रबबूल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे,हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे,आमीन।
इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…