16/06/2025
हज़रत उमर ने एक गरीब की डिलिवरी में मदद की। 20250613 020247 0000

हज़रत उमर ने एक गरीब की डिलिवरी में मदद की। Hazrat Umar ne ek Garib ki delivery mein madad ki.

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Hazrat Umar ne ek Garib ki delivery mein madad ki.
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हज़रत उमर रजियल्लाहु तआला अन्हु का अपनी बीवी को ज़चगी में ले जाना :

अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारूक रजियल्लाहु तआला अन्हु अपने ख़िलाफत के ज़माने में बसा औकात रात को चौकीदारी के तौर पर शहर की हिफाज़त भी करते थे। एक मर्तबा इसी हालत में एक मैदान में गुजर हुआ, देखा कि एक खेमा वालों का बना हुआ लगा हुआ है, जो पहले वहां नहीं देखा था।

उसके करीब पहुंचे तो देखा कि एक साहब वहां बैठे हैं और खेमे से कुछ कराहने की आवाज़ आ रही है। सलाम करके उन साहब के पास बैठ गये और दरियाफ्त किया कि तुम कौन हो ? उन्होंने कहा, एक मुसाफिर हूं, जंगल का रहने वाला हूं। अमीरुल मोमिनीन के सामने कुछ अपनी जरूरत पेश करके मदद चाहने के वास्ते आया हूं। दरियाफ्त फ़रमाया कि यह खेमे में से कैसी आवाज आ रही है। इन साहब ने कहा, मियां जाओ, अपना काम करो।

आपने इसरार फ़रमाया कि नहीं बता दो, कुछ तक़्लीफ की आवाज है। इन साहब ने कहा औरत की विलादत का वक़्त करीब है, दर्दे जेह हो रहा है। आपने दरियाफ्त फ़रमाया कि कोई दूसरी औरत भी पास है। उन्होंने कहा, कोई नहीं।

आप वहां से उठे और मकान तशरीफ ले गये और अपनी बीवी उम्मे कुल्सूम रजियल्लाहु तआला अन्हा से फरमाया कि एक बड़े सवाब की चीज मुकद्दर से तुम्हारे लिए आई है। उन्होंने पूछा, क्या है ? आपने फ़रमाया, एक गांव की रहने वाली बेचारी तन्हा है उसको दर्द जेह हो रहा है। उन्होंने इरशाद फ़रमाया कि हां, हां तुम्हारी सलाह हो, तो मैं तैयार हूं और क्यों न तैयार होती कि यह भी आखिर हज़रत सैयदा फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा की ही साहबजादी थीं।

हजरत उमर रजियल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया कि बिलादत के वास्ते जिन चीजों की जरूरत पड़ती हो, तेल गूदड़, वगैरह, ले लो और एक हांडी और कुछ घी और दाने वगैरह भी साथ ले लो। वह लेकर चलीं। हजरत उमर रजियल्लाहु तआला अन्हु खुद पीछे-पीछे हो लिये।

वहां पहुंचकर हज़रत उम्मे कुल्सूम रजियल्लाहु तआला अन्हा तो खेमें चली गयीं और आपने आग जलाकर उस हांड़ी में दाने उबाले, और घी डाला। इतने में विलादत से फरागत हो गई। अन्दर से हजरत उम्मे कुल्सूम रजियल्लाहु तआला अन्हा ने आवाज़ देकर अर्ज़ किया, अमीरुल मोमिनीन ! अपने दोस्त को लड़का पैदा होने की बशारत’ दीजिए।

अमीरुल मोमिनीन का लफ़्ज़ जब उन साहब के कान में पड़ा तो वह बड़े घबराये। आपने फ़रमाया घबराने की बात नहीं। वह हांडी खेमे के पास रख दी कि उस औरत को भी कुछ खिला दें। हज़रत उम्मे कुल्सूम रजियल्लाहु तआला अन्हा ने उसको खिलाया। इसके बाद हांडी बाहर दे दी। हजरत उमर रजियल्लाहु तआला अन्हु ने उस बहू से कहा कि लो तुम भी खाओ, रात भर तुम्हारे जागने में गुजर गई। इसके बाद अहिलया को साथ लेकर घर तशरीफ ले आये और उन साहब से फरमा दिया कि कल आना तुम्हारे लिए इंतिजाम कर दिया जायेगा।हज़रत अबू बक्र पर अल्लाह का डर।

हमारे जमाने का कोई बादशाह या रईस नहीं। कोई मामूली हैसियत का मालदार भी ऐसा है, जो गरीब की जरूरत में मुसाफिर की मदद के वास्ते इस तरह बीवी को रात में जंगल में ले जाये और खुद अपने आप चूल्हा धौंक कर पकाए। मालदार को छोड़िए, कोई दीनदार भी ऐसा करता है ?

सोचना चाहिए कि हम जिनके नाम लेवा हैं और उन जैसी बरकात की हर बात में उम्मीदें रखते हैं कोई काम भी हम उन जैसा कर लेते हैं।

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
खुदा हाफिज़…..

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