
शेखैन ने हज़रत उमर रज़ियल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि मैंने अपने रब की मुवाफेकत की तीन बातों में यानी जैसे मैंने चाहा मेरे रब ने वैसे ही किया।
(1) मैंने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम काश हम मकामे इब्राहीम को मुसल्ला बना लेते इस पर ये आयत नाज़िल हुयी। “वत्तख़जू मिम् मकामे इब्राहीमा मुसल्ला”
(2) और मैंने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आप की अजवाज के पास नेक व बद सभी आते हैं तो आप उन्हें परदे का हुक्म फरमाते तो यह आयते हेजाब नाज़िल हुई।
(3) नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की औरतें गैरत में इकटठा हुयीं तो मैंने कहा अगर वह तलाक़ दे दे तो उनका रब उनसे बेहतर अज़वाज उन्हें अता कर दे चुनान्चे इसी तरह की आयत नाज़िल हुई।
(4) मुस्लिम ने एक रिवायत नकल की है जिसमें यह है कि बद्र के कैदियों के बारे में भी मेरे ही राय ही की मवाफेक्त फरमाई गयी।
(5) अल्लामा नूदी ने तहजीब में तहरीम ख़म्र यानी शराब की हुरमत ज्यादा किया है।
(6) और इब्न अबी हातिम ने अपनी तफ्सीर में हज़रत अनस रजिअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कहा कि उमर ने कहा मेरे रब ने चार बातों में मवाफेकत फरमाई। यह आयत नाज़िल हुई। “वलक़द खलकनल इन्साना मिन सुलालतिम मिन तीन।” तो जब इसका नुजूल हुआ तो मैंने कहा “फतबारकल्लाहो अहसनल खालेकीन”।
(7) आपकी मर्जी यह थी कि आप अब्दुल्लाह इब्न ओबई के जनाजे की नमाज़ न पढ़ें चुनान्चे आयत नाज़िल हुई “वला तुसल्ले अला अहदिम मिनहुम माता अबदा”।
(8) ये आयत “या अइयोहल लज़ीना आमनू ला तकरबुस्सलात”।
(9) “सवाउन अलैहिम अस्तगफरता लहुम” ।
(10) बद्र की लड़ाई में आपने खुरूज का मशविरा दिया तो यह आयत नाजिल हुई। “कमा अखरजका रब्बोका मिम बैतेका” ।
(11) किस्सये अफक में जब आपने फरमाया “सुबहानका हाज़ा बोहतानुन अज़ीम” चुनान्चे इस तरह की आयत नाज़िल हुई ।
(12) “ओहिल्ल लकुम लैलतस सेयामिर रफस”
(13) इब्न अब्दुर्रहमान बिन इब्न लैला से रिवायत है एक यहूदी ने हज़रत उमर से मुलाकात की और कहा जिब्रईल जिनका तज़केरा तुम्हारे साहब करते हैं तो वह हमारे दुश्मन हैं तो आप ने उस से फरमाया “मन काना अदूवल्लाहे वमलाएकतेही वरोसोलेही वजिबरील मीकाल फइन्नल्लाहा अदूवल काफ़िरीन” तो इस आयत का नजूल उमर की ज़बान पर हुआ।
(14) दो आदमी नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के पास मोकदमा लाये। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फैसला फरमा दिया। इसमें एक शख्स को यह फैसला नागवार हुआ और वह अपना मोकदमा उमर इब्न ख़त्ताब के पास ले गया। जब यह दोनों वहाँ पहुँचे तो दूसरे साथी ने कहा, ऐ उमर मेरे लिए अल्लाह के रसूल ने फैसला फरमा दिया तो उमर ने कहा क्या ऐसा हुआ। उसने कहा हाँ, फरमाया ठहरों यहाँ तक मैं आता हूँ और तलवार ले कर आये और उसकी गरदन उड़ा दी और इस पर यह आयते करीमा नाज़िल हुई। “फला वरब्बोका लायूमेनून”।
(15) आयते इस्तीज़ान भी आप ही की राय के मवाफिक नाज़िल हुई।
(16) सुल्लतुम मिनल अव्वलीना व सुल्लतुम मिनल आखिरीन।
(17) الشيخ والژيخته اذا زينا
की तिलावत का उठ जाना।
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।
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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।
खुदा हाफिज…