Hazrat Owais Karni ka waqia.
हज़रत ओवैस करनी को खैर-उल-तबीईन कहा जाता है. ये लकब उन्हें खुद हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अता फरमाया।
वह यमन के रहने वाले थे, जब आप छोटे थे, उसी वक्त हज़रत ओवैस करनी के वालिद का इंतेकाल हो गया था। मां ने पाला और जिम्मेदारी संभाली, जब हज़रत ओवैस करनी ने होश संभाला तो उन्होंने अपनी मां को मीबार और नाबीना पाया।
इसके बाद से ओवैस करनी ने अपनी मां की देखभाल और खिदमत को अपना फरीज़ा बना लिया, अपनी मां की इसी सेवा और खिदमत की वजह से हज़रत ओवैस करनी को हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की बारगाह में मकबूलियत मिली।Hazrat Owais Karni ka waqia.
हज़रत ओवैस करनी की गिनती सफे अव्वल की ताबीईन में होती है, उन्हें हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जमाना तो पाता था ,लेकिन वह हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की जियारत न कर सके, हज़रत उमर रजि० का कबूले इस्लाम।
इसकी वजह से ये बयान की जाती है कि उनकी मां काफी बीमार और नाबिना थीं और वह उन्हें छोड़ कर सफर नहीं कर सकते थे, इसलिए हज़रत ओवैस करनी ताबीई हैं, सहाबी नहीं।
हज़रत मोहम्मद (स.व)ने सहाबियों को हज़रत ओवैस करनी से मिलने का हुक्म दिया था।
हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत ओवैस करनी का जिक्र करते हुए अपने सहाबियों को हुक्म दिया था कि तुम में से जो भी ओवैस करनी से मिले,
उनसे दुआ कराए. एक रिवायत के मुताबिक, मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत उमर फारूक (र.अ) को खास तौर पर हुक्म दिया है कि जब तुम ओवैस करनी से मिलो तो उन्हें मेरा सलाम कहना, और कहना कि वह तुम्हारे लिए मगफिरत कि दुआ करे, क्योंकि वह कबीला रबीया और मुजर के बराबर लोगों की शफाअत करेगा।Hazrat Owais Karni ka waqia.
एक रिवायत ये भी है कि अमीर अल-मुमिनिन, हज़रत उमर फारूक (र.अ)और अमीर अल-मुमिनिन हज़रत अली (र.अ) दोनों को हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत ओवैस करनी से तलबे दुआ का हुक्म दिया था और बाद में दोनों साहिबान ने हजरत ओवैस करनी से दुआ करवाई।
हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस दुनिया से रुख्सत के करीब दस साल बाद तक हज़रत ओवैस करनी की तलाश जारी, हज़रत अबु बक्र सिद्दीक (र.अ)का दौर गुजर गया, लेकिन हज़रत ओवैस करनी को नहीं तलाश किया जा सका, Zakaat ka Bayan
रिवायत में आया है कि फिर जब हज़रत उमर फारूक रजि अल्लाह उन्हु का दौरान आया तो उन्होंने हज़रत बिलाल बिन रिबाह को हजरत ओवैस करनी की तलाश का हुक्म दिया।Hazrat Owais Karni ka waqia.
हजरत बिलाल बिन रिबाह हजरत ओवैस कर्नी से मिले, उन्होंने कहा: हे ओवैस, हज़रत उमर फारूक आपसे मिलना चाहते हैं, जिस पर हज़रत ओवैस करनी हजरत उमर और सैयदे अली अली मुर्तजा से मिले।
जब हज़रत उमर फारूक से ओवैस करनी की मुलाकात हुई तो उन्होंने ओवैस करनी से कहा- ऐ ओवैस, तुम अल्लाह के रसूल के पास क्यों नहीं गए? जवाब में हज़रत ओवैस कर्नी ने कहा: आप दोनों (हजरत उमर और हज़रत अली) ने अल्लाह के रसूल से मुलाकात की,
फिर हज़रत ओवैस करनी ने सवाल किया कि बताए कि उहुद की लड़ाई के दिन अल्लाह के रसूल के कौन से दांत शहीद हुए थे, फिर ओवैस करनी ने कहा कि चूंकि मुझे पता नहीं था कि अल्लाह के रसूल (स.व) के कौन से दांत शहीद हुए,
इसलिए मैंने अपने सारे दांतों को तोड़ दिया, तब जाकर मुझे करार आया. हज़रत ओवैस करनी की ये बातें सुनकर हज़रत अली और हज़रत उमर फारूक दोनों ज़ारो कतार रोने लगे।Hazrat Owais Karni ka waqia.
इस्लाम की तारीख में हज़रत ओवैस करनी को मां की खिदमत, अताअत और हुस्नौ सुलूक के हवाले से भी खास शोहरत हासिल है
रिवायत है कि मोहम्मद ﷺ ने कहा कि जब लोग जन्नत में जा रहे होंगे तो हज़रत ओवैस करनी भी चलेंगे उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा बाक़ियों को जाने दो और ओवैस करनी को रोक लो, उस वक़्त हज़रत ओवैस करनी परेशान हो जाएंगे और कहेंगे कि ऐ अल्लाह!
मुझे दरवाजे पर क्यों रोक लिया गया तो अल्लाह फरमायेगा कि पीछे देखो जब पीछे देखेंगे तो पीछे करोड़ों-अरबों की तादाद में जहन्नमी खड़े होंगे तो उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा! कि ओवैस तेरी एक नेकी ने मुझे बहुत खुशकिया है ”मां” की खिदमत ”तू उंगली से इशारा कर जिधर तेरी उंगली फिरती जाएगी तेरे तुफ़ैल से इनको जन्नत में दाखिल करता जाऊंगा..! एक मां को गुनहगार बेटे की वसीयत।
रिवायतों में आया है कि ओवैस करनी ने अल्लाह के रसूल का जमाना तो पाया लेकिन अपनी बूढ़ी और बीमार मां को छोड़ कर कभी मदीना नहीं आ सके और मां की जिंदगी तक भरपूर उनकी खिदमत करते रहे।Hazrat Owais Karni ka waqia.
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…