31/05/2025
हज़रत गौस पाक और शैतान। 20250518 160243 0000

हज़रत गौस पाक और शैतान। Hazrat Gaus pak aur Shaitan.

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Hazrat Gaus pak aur Shaitan.
Hazrat Gaus pak aur Shaitan.

हज़रत गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने एक बार देखा कि एक नूर चमका है जिस से आसमान तक रौशनी फैल गई, फिर उस नूर से एक सूरत नमूदार हुई, और उसमें से आवाज़ आई, ऐ अब्दुल कादिर !

मैं तुम्हारा रब हूँ, मैं तुम पर बहुत खुश हूँ जाओ मैंने आज से हर हराम चीज़ तुम पर हलाल कर दी हज़रत गौसे अज़म ने यह बात सुन कर फ़रमाया “अउजु बिल्लाहि मिनश-शैतानिर्रजीम” आप का इतना फरमाना था कि वह नूर जुलमत में बदल गया और वह सूरत एक धूवाँ सा बन गई,

और फिर आवाज़ आई ऐ अब्दुल कादिर! मैं शैतान हूँ तुम मेरे इस दाव से अपने इल्म व फज़्ल की वजह से निकल गए वर्ना मैं इस दाव से सत्तर तरीक़ को गुमराह कर चुका हूँ (बहजतुल-असरार अल-शैख़ नूरूद्दीन अबूल-हसन अल-शाई स.120)

शैतान बड़ा भैयार व मक्कार और फरेब कार है, लोगों को गुमराह करने लिए मुख्तलिफ भेस बदल कर आता है हत्ता कि ‘खुदा’ भी बन जाता है उस के दाव और फ्रेब से बचने के लिए इल्म व फज़्ल दरकार है, बिगैर इल्म व फ़ज़्ल से तरीक़त के मैदान में कदम रखना सहल नहीं, बअज बे इल्म अहले तरीक़ इस जाल में फंस जाते हैं,

आज अगर कोई बराए नाम “पीर” नमाज, रोजा वगैरह अहकामे शरीअत को गैर ज़रूरी बताए और दिल की नमाज़, दिल का रोज़ा या दिल की दाढ़ी किस्मके अलफाज़ सुनाता फिरे तो समझ लीजिए यह शैतान के इसी दाव में आ चुका है अगर उसे इल्म हासिल होता तो वह शैतान के उन असबाक पर कान न धरता और “अऊजु बिल्लाह” पढ़ कर शैतान मलऊन को भगाता,कश्ती-ए-नूह और शैतान। Kashti-e-nooh aur Shaitan.

और उसे बताता कि यह दिल की नमाज़ वगैरह कोई चीज़ नहीं, नमाज़ वही है जो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पढ़ी सहाबा किराम ने पढ़ी, अहले बैत ने पढ़ी और जो इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु ने तहे तेग पढ़ी, एक ढाड़ी मुंडे ने कहा कि दाढ़ी दिल की चाहिए, एक साहिब ने कहा, पीर साहिब ! मुर्ग की हडडीयां तक चबा जाने के लिए तो आप ढाड़ी मुंह की चाहिते हैं और ढाड़ी मुँह की नहीं दिल की बताते हैं अगर ढाड़ी दिल में होनी चाहिए तो ढाड़ी भी दिल मे होनी चाहिए,

अगर ढाड़ी का मुँह में होना ज़रूरी है तो ढाड़ी का भी मुँह पर होना ज़रूरी है ऐसे गुमराहों से यह भी कहा जा सकता है कि पीर साहिब रोटी भी तन्नुरी न खाया करें, नूर की खाया करें, देखें फिर पीर साहिब पर क्या गुज़रती है खूब याद रखिए कि ऐसे लोग खुद भी गुमराह और दूसरों को भी गुमराह करने वाले हैं, मुत्तअबे शरीअत पीर हमारे लिए सरापा नूर हैं और खिलाफे शरीअत चलने चलाने वाले बराए नाम पीर शैतानी फुतूर है।

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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