हज़रत बीबी सारा हज़रत इब्राहिम खलीलुल्लाह की पहली बीवी थी। आप बहुत खूबसूरत और नेक सीरत थी। हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम जब आपको लेकर मिस्र तशरीफ़ लाये, तब उस वक़्त का बादशाह सिनान बिन अलवान था।
जो की एक बहुत बड़ा ज़ालिम फ़िरऔन था। उस वक़्त मिस्र के बादशाह को फ़िरऔन कहा जाता था। उस बादशाह की एक आदत बहुत ख़राब थी की जब भी कोई परदेसी उसके शहर में आता अगर उसकी बीवी खूबसूरत होती तो वह बादशाह उसकी बीवी को अपने महल में रख लेता।
चूँकि हज़रत सारा बड़ी खूबसूरत थी। इसलिए हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को हमेशा फ़िरऔन का डर लगा रहता। कुछ दिनों तक तो वह छुप कर रहे लेकिन बादशाह के जासूसों ने उनका पता लगा लिया।
जब बादशाह के जासूसों ने आपकी खबर बादशाह को दी तो बादशाह ने अपना एक आदमी हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के पास भिजवाकर कहलवाया की हमें मालूम हुआ की तुम्हारे पास एक खूबसूरत औरत है इसलिए तुम फ़ौरन उसे मेरे पास भेज दो अगर मेरा हुक्म नहीं माना तो क़त्ल कर दिए जाओगे।
हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने सारी बात बीवी सारा को बताते हुए कहा की बादशाह की बात नहीं मानेंगे तो दोनों को जान से हाथ धोना पड़ेगा। अगर खुदा को तुम्हारी इज़्ज़त आबरू का ख्याल हैं तो कोई भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ सकेगा।Hazrat Biwi Sara aur Misr ke Badshah ka waqia.
काफी देर सोचने समझने के बाद हज़रत बीबी सारा बादशाह के पास जाने के लिए तैयार हो गयी। क्योंकि उनको और हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को खुदा पर पूरा भरोसा था। फिर हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम और हज़रत बीबी सारा ने 2 रकात नमाज़ अदा की और दुआ के लिए हाथ उठाये और फ़रमाया या इलाही !
मैं तुझ पर और तेरे रसूल पर ईमान लायी हूँ। किसी ज़ालिम काफिर को मेरे ऊपर हावी न होने देना। मेरी इज़्ज़त व आबरू की हिफाज़त करना। फिर नमाज़ और दुआ से फारिग होकर आप बादशाह के शाही नौकर के साथ बादशाह के दरबार पहुंची। हज़रत हलीमा सअदिया रजिअल्लाहु अन्हा का वाक्या।
आपकी खूबसूरती को देखकर बादशाह हैरान रह गया और अपने नापाक इरादों से मुस्कुराता हुआ जैसे ही आपकी तरफ बढ़ा और करीब पहुँचने पर जैसे ही उसने अपने दोनों हाथ हज़रत बीबी सारा की तरफ बढ़ाये, उसी वक़्त उसका दम घुटने लगा और वह ज़मीन पर गिरकर तड़पने लगा और हज़रत बीबी सारा से बड़ी इज़्ज़त से बोला !
खुदा के लिए मुझे इस मुसीबत से बचाइए। मैं आपको हाथ लगाने की गलती कभी नहीं करूँगा। आप हज़रत बीबी सारा ने दरबारे इलाही में अर्ज़ किया या मौला ! अगर यह सच कह रहा हैं तो इसको इस मुसीबत से निजात दिला दे। खुदा ने आपकी दुआ कबूल फ़रमा ली और उस बादशाह का उसी वक़्त दम घुटना बंद हो गया।
फिर कुछ देर बाद वापिस शैतान ने उसका दिमाग बदल दिया और बादशाह फिर वही हरकत करने लगा। 3 बार बादशाह ने ऐसा ही किया। 3 बार अपने अंजाम में नाकाम रहने पर उसे यकीन हो गया की मैं अपने नापाक इरादे में अब कामयाब नहीं हो पाउँगा।
यह औरत कोई अल्लाह वाली मालूम होती हैं और फिर वह बादशाह अपनी हरकत से बाज़ आया और अपनी बेटी हाजरा को आपकी खिदमत के लिए दे कर बड़ी इज़्ज़त से आपको विदा किया।Hazrat Biwi Sara aur Misr ke Badshah ka waqia.
घर आकर जब आपने सारी कहानी सुनाई तो हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने खुदा का शुक्र अदा किया। कुछ ही दिनों बाद आप बीवी सारा और हाजरा यानी बादशाह की बेटी को लेकर मिस्र से बैतुल मुक़द्दस की तरफ चले गए। अभी तक आपके औलाद नहीं थी। फिर भी बेटे की बशारत मिली थी।
एक दिन आपकी बीवी हज़रत सारा आपसे कहने लगी ! मुझे तो औलाद की अब कोई उम्मीद नहीं रही इसलिए आप हाजरा से निकाह कर लीजिये। अल्लाह का वादा शायद उन्हीं से पूरा हो।
हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने हज़रत हाजरा से निकाह कर लिया और अल्लाह ने एक साल के बाद आपको एक बेटा अता फ़रमाया। जिसका नाम इस्माइल रखा गया ।
हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की आदत थी की आप मेहमानो को साथ लेकर खाना खाया करते थे। इत्तेफ़ाक़ से 15 दिन तक आपके यहाँ जब कोई मेहमान नहीं आया तो आपको बड़ी फ़िक्र हुई। आप उसी फ़िक्र और मेहमानों के इंतज़ार में घर के बाहर बैठ गए। एक अजीब वाक्या|कुरआन शरीफ का असर।
थोड़ी देर बाद 3 आदमी दिखाई पड़े आप बड़े खुश हुए। आपने उनका शानदार इस्तेकबाल फ़रमाया और उनके सामने खाना पेश फ़रमाया। जब मेहमानों के हाथ खाने के और बढ़े तो आपको बड़ी हैरानी हुई। मेहमानों ने आपसे कहा !
आप डरिये मत हम इंसान नहीं बल्कि फ़रिश्ते है। एक का नाम जिब्राइल दूसरे का नाम इस्राफील और तीसरे का नाम मिकाइल हैं। हम हज़रत लूत अलैहिस्सलाम की कौम को उनकी सरकशी की सजा देने के लिए जा रहे हैं और आपको खुशखबरी सुनाने आये हैं की आपकी पहली बीवी हज़रत सारा के पेट से एक लड़का पैदा होगा।
हज़रत सारा वही पर पीछे बैठी हुई थीं और यह बात सुनकर हंसने लगी और फ़रमाया मैं 90 साल की और मेरे शौहर 120 साल के हो चुके हैं। अब क्या मेरे लड़का होगा ? फरिश्तों ने फ़रमाया ! क्या अल्लाह की कुदरत पर आपको तअज्जुब हैं?Hazrat Biwi Sara aur Misr ke Badshah ka waqia.
अल्लाह की रहमत व बरकत से कभी ना उम्मीद नहीं होना चाहिए। इतना कहकर फ़रिश्ते चले गए और हज़रत सारा बेटे का इंतज़ार करने लगी। चुनांचे एक साल के बाद अल्लाह ने उन्हें बेटा अता फ़रमाया। जिनका नाम इस्हाक़ रखा गया।
हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम वह खुशनसीब पैगम्बर हैं। जिनके दोनों बेटे नबी हुए। इसलिए आपको अबुल अम्बिया कहा जाता हैं। हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने 195 साल की उम्र पायी और हज़रत सारा ने 127 साल की उम्र पायी।
अल्लाह रबबूल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे,हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम (स.व) से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे,आमीन।
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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…