31/05/2025
हज़रत अली की शुजाअत व इल्म व फज़्ल। 20250509 005734 0000

हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु की शुजाअत व इल्म व फज़्ल। Hazrat Ali Raziallahu anhu ki sujaat ilm va fazl.

Share now
Hazrat Ali Raziallahu anhu ki sujaat ilm va fazl.
Hazrat Ali Raziallahu anhu ki sujaat ilm va fazl.

शुजाअत व दिलेरी में सारे अरब में कोई भी हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु का मुकाबला नहीं कर सकता था। आपकी गैर मामूली जुर्रात ही की बिना पर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने असद उल्ला यानी शेरे खुदा का खिताब दिया था।

जंगे ओहद में आपके सोलह ज़ख्म आये थे। जंगे खैबर में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आपको झण्डा देते हुए पेशनगोई की थी कि खैबर अली के ही हाथ फतह होगा। और आपकी यह पेशनगोई हर्फ ब हर्फ दुरूस्त साबित हुई. । हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु की बहादुरी के कारनामों से तारीखें भरी पड़ी हैं।

जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजियल्लाहु अन्हु का बयान है कि जंगे खैबर में आपने अपनी पीठ पर खैबर का दरवाजा उठा लिया और मुसलमान उसपर चढ़कर किले के अन्दर दाखिल हो गये और खैबर को फतह कर लिया। जब आपने इस दरवाज़े को फेंक दिया तो चालीस आदमी उसे घसीट कर दूसरी जगह डाल सके।

इब्न असाकर रावी हैं कि हज़रत अली करमल्लाहो वजहहू ने जंगे खैबर में किला खैबर का दरवाज़ा उठाकर बहुत देर तक हाथ में रखा और उससे ढाल का काम लिया। और जिस वक्त किला फतह हो गया तो उसे फेंक दिया।

इल्म व फज़्ल :-

हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु का दरजा इल्म व फज़्ल में भी बेहद बुलन्द है अभी इससे पहले वह हदीस गुजरी है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया मैं इल्म का शहर हूँ अली उसके दरवाज़े हैं।

आप अपने ज़माने के सबसे बड़े सहर बयान, मोकर्रिर और बेनज़ीर खतीब हुए हैं। शरई मसाएल के हल में आप अपना जवाब नहीं रखते थे। सईद बिन मुसय्यिब कहते हैं हज़रत उमर रजियल्लाहु अन्हु के पास जब पेचीदा मसायल आ जाते थे और हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु इत्तेफाक से उस वक्त मौजूद न होते थे तो हज़रत उमर फारूक रजियल्लाहु अन्हु खुदा से पनाह माँगा करते थे। मोबादा कहीं मसला गलत तय न हो जाये।

तिर्मिज़ी ने यह रिवायत की है कि जब नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सहाबियों में मवाखात यानी भाई चारा कराया तो हज़रत अली करमल्लाहो वजहहू रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास रोते हुए आये और अर्ज़ किया या रसूलल्लाह आपने तमाम सहाबियों में तो भाई चारा करा दिया और मैं यूँ ही रह गया। इस पर रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि तुम दुनिया व आखिरत में मेरे भाई हो।

रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु से बेहद मोहब्बत थी चुनान्चे इरशादे रसूल है जिसका मैं दोस्त हूँ उसके अली भी दोस्त हैं। नमाज़े जनाज़ा पढ़ने का तरीक़ा। Namaje janaza padhne ka tarika.

हज़रत अली इन्तेहाई सादगी पसन्द थे आप ख़लीफा होने के बाद भी ग़रीबाना ज़िन्दगी गुज़ारने में रूहानी लज़्ज़त महसूस फरमाते थे। आप इन्तेहा दरजा के सदाकत शआर थे। सियासी जोड़ तोड़ से आपको सख़्त नफरत थी और सियासी जोड़ तोड़ से गुरेज़ करने ही की वजह से आपको अपने दौरे ख़िलाफत में बड़ी बड़ी दुशवारियों का सामना करना पड़ा।

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *