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15/10/2025
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हश्र के मैदान का पहला लिबास|Hasr ke maidan ka pahla libas.

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Hasr ke maidan ka pahla libas.
Hasr ke maidan ka pahla libas.

सबसे पहले हश्र के मैदान में लिबास हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को पहनाया जाएगा।

बुख़ारी शरीफ में हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की रिवायत है वह फरमाते हैं : आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हमारे दर्मियान तक़रीर करने के लिए खड़े हुए और इरशाद फरमाया कि तुम सबको नंगे पैर, नंगे बदन, ख़त्ना के बगैर जमा किया जाएगा।

इरशादे खुदावन्दी है जैसे हमने पहली मर्तबा बनाया उसी तरह हम दोबार पैदा करेंगे और मख़्लूक़ात में जिसे क़यामत के दिन सबसे पहले लिबास पहनाया जाएगा वह हज़रत इब्राहीम खलीलुल्लाह हैं।

एक और रिवायत में है कि क़यामत में सबसे पहलें हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को दो क़िब्ती कपड़ों का लिबास पहनाया जाएगा। फिर आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को अर्श के दाएं जानिब धारीदार जोड़ा ज़ेबे तन कराया जाएगा।

अब सवाल यह है कि यह एज़ाज सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को अता किए जाने की वजह किया है? तो इस सिलसिले में उलमा के बहुत से अक्वाल हैं।

अल्लामा क़र्तबी ने फरमाया कि वजह यह है कि जब आपको नमरूद ने आग में डालने का हुक्म दिया तो आपको अल्लाह के रास्ते में बेलिबास किया गया, इसकी जज़ा के तौर पर सबसे पहले आपकी लिबास पोशी कराई जाएगी।

अल्लामा हलीमी रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि ने फरमाया कि चूंकि रू-ए-ज़मीन पर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से ज़्यादा ख़ौफ़ करने वाला कोई न था इसलिए आपको लिबास पहनाने में जल्दी की जाएगी. ताकि आपका दिल मुतमइन हो जाए।

और कुछ आसार से यह मालूम होता है कि उस दिन लोगों पर फजीलत ज़ाहिर करने के लिए हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के साथ यह मामला किया जाएगा।

और इस एज़ाज़ी मामले से यह लाज़िम नहीं आता कि हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को हमारे आक़ा जनाब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर भी मुतलक फज़ीलत हासिल हो, इसलिए कि आंहज़रत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को जो जोड़ा पहनाया जाएगा वह हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के जोड़े से शानदार होगा, तो अगरचे उलूवियत न हो लेकिन उसकी उम्दगी आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के मक़ाम व मर्तबे का पता देती है। (फत्तुल बारी, हिस्सा 14, पेज 468)

अज़ाबे क़ब्र का एक अजीब वाक़िआ।

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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