हमबिस्तरी के चन्द आदाब।Hambistari ke chand Aadab.

Hambistari ke chand adaab

मज़हबे इस्लाम हमारी हर जगह हर हाल में रहनुमाई करता हुआ नज़र आता है यहाँ तक कि मियाँ, बीवी, के आपसी तअल्लुकात में भी एक बेहतरीन दोस्त व रहनुमा बन कर उभरता है और हमारी भरपूर रहनुमाई करता है ।

यहाँ हम शरई रोशनी में सोहबत (हमबिस्तरी) करने के चंद . आदाब बयान कर रहे हैं जिसे याद रखना और उस पर अमल करना हर शादी शुदा मुसलमान मर्द व औरत पर ज़रूरी है।

सोहबत तन्हाई में करें :- आज कल सड़कों पर, सिनेमा हाल में और बागिचो में खुले आम कुछ पढ़े लिखे कहलाने वाले मॉडर्न (Modern) इन्सान्, इन्सानी शक्ल में जानवर नज़र आते है जो सड़कों व बागीचों में ही वोह सब कुछ कर लेते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिये।Hambistari ke chand Aadab.

लेकिन अलहम्दुलिल्लाह हम मुसलमान है और अशरफुल मखलूकात है इस लिए हम पर जरूरी है कि हम इस्लाम का हुक्म माने और गैरों की नकल से बचे वरना एक जानवर और हम में क्या फर्क रह जाएगा,

लिहाज़ा याद रखिये सोहबत हमेशा तन्हाई में ही करे और ऐसी जगह करे जहाँ किसी के आने का कोई खतरा न हो । और सोहबत के वक्त कमरे में अंधेरा कर दे रौशनी में हरगिज सोहबत न करे ।

मस्अला :- जहाँ कुरआने करीम की कोई आयते करीमा कागज़ या किसी चीज़ पर लिखी हुई हो अगरचे उपर शीशा (कॉच) हो, जब तक उस पर गिलाफ न डाल लें वहाँ सोहबत करना या बरहेना (नंगा) होना बेअदबी है ।
(फतावा-ए-रज़वीया, जिल्द 9 सफा 258)Hambistari ke chand Aadab.

हुजुर गौसे आज़म रजि अल्लाहो तआला अन्हो की “गुन्यतुत्तालेबीन” में और आला हज़रत इमाम अहमद रजा रजिअल्लाहो अन्हो की “मलफ़ूजात” में है— “जो बच्चा समझता है और दूसरों के सामने बयान कर सकता है उस के सामने सोहबत करना मकरूह यानी शरीअत में ना पसंद व ना जाइज़ है”।

मस्अला :- किसी की दो बीवीयाँ हो तो एक बीवी से दूसरी बीवी के सामने सोहबत करना जाइज़ नहीं । मर्द को अपनी बीवी से पर्दा नहीं तो एक बीवी को दूसरी बीवी से तो पर्दा फर्ज है और शर्म व हया जरूरी है ।

सोहबत से पहले वज़ू करना:-
सोहबत करने से पहले वुज़ू कर लेना चाहिये इस के बहुत से फायदे है जिन में से चन्द हम यहाँ बयान करते है–
(1) अव्वल तो वज़ू करने से सवाब मिलता है ।

(2) सोहबत से पहले वजू करने की हिक्मत एक यह भी है के मर्द और औरत दोनों में यह एहसास पैदा हो की सोहबत हम सिर्फ अपनी हवस को मिटाने या मजा लेने के लिए नहीं कर रहे है बल्कि नेक सालेह औलाद पैदा करना मकसद है, और किसी भी वक्त यादे इलाही से हमें गाफिल नहीं होना चाहिए ।

(3) मर्द बाहर के कामों से और औरत घर के कामों की वजह से दिन भर के थके मान्दे होते हैं, थका जिस्म दूसरे को फायदा नहीं पहुँचा सकता लिहाज़ा वज़ू कर लेने से चुस्ती और कुव्वत ( ताकत) में इजाफा होता है ।

(4) दिन भर के काम की वजह से चेहरे पर गन्दगी और जरासीम (किटानू) मौजूद रहते हैं जब मर्द और औरत सोहबत करते हैं और बोस व किनार (चुम्मन) करते हैं तो येह जरासीम मुँह में जा सकते है जिस से आगे बीमारियों के पैदा होने का ख़तरा होता है ऐसे सैकड़ों फायदे हैं जो वज़ू कर लेने से हासिल होते हैं ।Hambistari ke chand Aadab.

नशे की हालत में सोहबत:- शरीअते इस्लामी में हर किस्म का नशा हराम है और
शराब को तो तमाम बुराईयों की माँ बताया गया है। दो हदीसे पाक का हासिल है,
हदीस “जिस ने शराब पी गोया उस ने अपनी माँ के साथ जिना किया ।

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि व सल्लम फरमाते है– “शराब पीते वक्त शराबी का ईमान ठीक नहीं रहता” ।Hambistari ke chand Aadab.
हदीस :- आका सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम और फ़रमाते है “शराबी अगर बगैर तौबा मरे तो अल्लाह तआला के हुज़ूर इस तरह हाज़िर होगा जैसे कोई बुत पूजने वाला”।

हदीस :- हज़रत अबू हुरैरहलाह तआला अन्हो से रिवायत
है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैह व सल्लम ने इरशाद फरमाया- “जो जिना करे या शराब पीये अल्लाह तआला उससे ईमान खींच लेता है जैसे आदमी अपने सर से
कुर्ता खींच ले । (हाकिम संफ हवाला फूलावा एरवी जिल्द 10. सफा 47)

हदीस= हज़रत अबू उमामा (र.अ)से रिवायत है कि रसूलुल्लाहल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया- “अल्लाह तआला फरमाता है कसम है मेरी इज्जत की जो मेरा कोई बन्दा शराब का एक घूँट भी पीयेगा मैं उसको उतना ही पीप पीलाउँगा ।Hambistari ke chand Aadab.

हकीमों और डाक्टरों ने कहा है- “नशे की हालत में सोहबत करने से रेहुमेटीक पैन (Rehumetic pain) नामी बीमारी पैदा हो जाती हैं और औलाद अपाहिज (लगड़ी लूली) पैदा होती है” । अल्लाह तआला मुसलमानों को शराब और दूसरे किस्म के नशे से नफरत अता फरमाए ।

इन हदीसो को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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