औरत जब हमल से हो तो उस हालत में सोहबत करना शरीअते इस्लामी की रू से मना नहीं है और इस पर कोई गुनाह भी नहीं । लेकिन हकीमों के नज़दीक सोहबत न करना बेहतर है कि सोहबत करने से नये हमल के ठहरने का ख़तरा होता है ।
हदीस :- इमामे आज़म अबू हनीफा रजिअल्लाहो अन्हो अपनी मुस्नद में हज़रत इब्ने उमर रजिअल्लाहो अन्हो से रिवायत करते है- “रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने मना फरमाया हामला यानी पेट वाली औरतों से सोहबत की जाए जब तक कि वोह जन न लें अपने पेटों के बच्चे”।(मुस्नदे इमाम आज़ाम, बाब नं. 131, सफा नं. 227 )Hamal ke Dauraan Hambistari karna
इन हामला औरतों से मुराद जिहाद में कैद की गई कनीज़ें है क्यों कि इमामे आज़म रह० से दूसरे तरीक़ से और रिवायत है जिस से साबित होता है कि इससे मुराद कैद की गई औरतें है येह हुक्म अपनी बीवी के लिए नहीं यानी अपनी हामला बीवी से सोहबत कर सकता है ।
ओलमा-ए-किराम फ़रमाते है कि “वोह औरत जिस का हमल ज़िना से हो उस से सोहबत जाइज़ नहीं हॉ जिसका शौहर खुद जानी हो उसे सोहबत करने में हर्ज नही।
हदीस :- हुजूर-ए-अक्दस सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया– “पोशीदा (छूपे) तौर पर अपनी औलाद को कत्ल न करो कसम है उस ज़ात की जिसके कबजे में मेरी जान हैं दूध पिलाने के वक्त में बीवी से सोहबत करना सवार को घोड़े की पीठ पर से गिरा देता है” । ( अबूदाऊद शरीफ, जिल्द 3 बाब नं. 198, हदीस नं. 484 सफा 172, इब्ने माजा, जिल्द 1 बाब नं. 649, हदीस नं. 2083, सफा नं. 560)Hamal ke Dauraan Hambistari karna
बच्चा पैदा होने के बाद जब तक बच्चा दूध पीता है उन दिनों तक हकीम हज़रात सोहबत करने से मना करते हैं। उनके नज़दीक दूध पीते बच्चे की मौजूदगी में बीवी से सोहबत करने से बच्चे को नुकसान है वोह इस तरह कि बच्चा जन्ने के बाद अगर औरत से सोहबत की जाए तो औरत का दूध ख़राब हो जाता है जिस को पीने से बच्चे की सेहत पर असर पड़ता है ।
शरीअत भी हमें ऐसी बातें इख़्तियार करने की हिदायत करती है जो हमारे लिए ही फायदे मन्द हो और उन बातों से मना करती है जिस में हमारे लिए ही नुकसान हो ।
तहकीक येह है कि दूध पीलाने के दौरान औरत से सोहबत करना जाइज़ है और इस हदीस में हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने नसिहतन मना फ़रमाया है आप का यह इरशाद ना जाइज़ या मुमानियत के दरजे में नहीं ।
इस लिए भी कि अगर औरत के दूध पिलाने की वजह से सोहबत करना ना जाइज कर दिया जाता तो मर्दों को इससे तकलीफ होती क्योंकि औरत बच्चे को आम तौर पर दो (2) साल तक दूध पिलाती है और मर्द का दो (2) साल अपने आप को औरत से रोकना मुश्किल होता।
लिहाजा शरीअत ने इसे ना जाइज़ न कहा और सोहबत की इजाज़त दी । जैसा कि “इब्ने माजा” व “मिश्कात शरीफ” की दूसरी एक और हदीस से जाहिर है, वोह हदीस येह है-
हदीस :- नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम फ़रमाते है- “मैं ने इरादा किया था कि दूध पिलाने वाली औरत से सोहबत करने से मना कर दूँ लेकिन फ़ारसी और रूमी भी इस ज़माने में अपनी बीवीयों से सोहबत करते हैं तो उनकी औलाद को कोई नुकसान नहीं पहुँचता ” ।
(मिश्कात शरीफ. जिल्द 2, हदीस नं. 3051, सफा नं. 88 )Hamal ke Dauraan Hambistari karna
लेकिन बेहतर यह है कि उन दिनों बार बार सोहबत न करे और न ही ज्यादा सोहबत करे ।(वल्लाह तआला आलमे)
इन हदीसो को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…