
किताबों में एक दिलचस्प और अजीब वाकिआ लिखा है कि एक औरत निहायत ही पाक दामन और नेक थी। वह चाहती थी कि मुझे नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत नसीब हो। वह दरूद शरीफ भी बहुत पढ़ती थी। लेकिन जियारत नहीं होती थी।
उनके शौहर बड़े अल्लाह वाले थे। एक दिन उन्होंने अपने शौहर से अपनी तमन्ना ज़ाहिर की कि मेरा दिल चाहता है कि मुझे भी नबी अलैहिस्सलाम की ज़ियारत नसीब हो लेकिन कभी यह शर्फ नसीब नहीं हुआ। इसलिए आप मुझे कोई अमल ही बता दें जिसके करने से मैं ख़्वाब में नबी अलैहिस्सलाम की ज़ियारत की सआदत हासिल कर लूँ।
उन्होंने कहा मैं आपको अमल तो बताऊँगा लेकिन आपको मेरी बात माननी पड़ेगी। वह कहने लगी आप मुझे जो बात कहेंगे मैं वह मानूंगी। वह कहने लगे कि अच्छा तो बन संवरकर दुल्हन की तरह तैयार हो जाओ। उसने कहा, बहुत अच्छा। चुनाँचे उसने गुस्ल किया, दुल्हन की तरह बन संवरकर बैठ गई तो वह साहब उनके भाई के घर चले गए और जाकर उससे कहा देखो, मेरी कितनी उम्र हो चुकी है।
और अपनी बहन को देखो कि वह क्या बनकर बैठी हुई है। जब भाई घर आया और उसने अपनी बहन को दुल्हन के कपड़ों में देखा तो उसने उसे डांटना शुरू कर दिया कि तुम को शर्म नहीं आती। क्या यह उम्र दुल्हन बनने की है? तुम्हारे बाल सफेद हो चुके हैं।
तुम्हारी कमर सीधी नहीं होती और बीस साल की लड़की बनकर बैठी हो। अब जब भाई ने डांट पिलाई तो उसका दिल टूटा और उसने रोना शुरू कर दिया। यहाँ तक रोते-रोते सो गई। अल्लाह की शान देखिए कि अल्लाह रब्बुलइज़्ज़त ने उसे उसी नींद में अपने महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत करवा दी, सुब्हानअल्लाह ।
वह ज़ियारत करने के बाद बड़ी खुश हुई। लेकिन शौहर से पूछा कि आपने वह अमल बताया नहीं जो आपने कहा था और मुझे ज़ियारत तो वैसे ही हो गई। वह कहने लगे, अल्लाह की बंदी! यही अमल था। क्योंकि मैंने तेरी जिंदगी पर गौर किया। मुझे तेरे अंदर हर नेकी नज़र आई। तेरी ज़िंदगी शरिअत व सुन्नत के मुताबिक नज़र आई।
अलबत्ता मैंने यह महसूस किया कि मैं क्योंकि आपसे प्यार व मुहब्बत की ज़िंदगी गुज़ारता हूँ इसलिए आपका दिल कभी नहीं टूटा। इस वजह से मैंने सोचा कि जब आपक दिल टूटेगा तो अल्लाह तआला की रहमत उतरेगी और आपकी तमन्ना को पूरा कर दिया जाएगा। इसीलिए मैंने एक तरफ आपको दुल्हन की तरह बन संवरकर बैठने को कहा और दूसरी तरफ आपके भाई को बुलाकर ले आया।सच्ची दुआ की कुबूलियत।
उसने आकर आपको डांट पिलाई जिसकी वजह से आपका दिल टूटा और अल्लाह तआला की ऐसी रहमत उतरी कि उसने आपको अपने महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत करवा दी, अल्लाह अकबर ।
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।
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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।
खुदा हाफिज…