
क़यामत के दिन के बारे में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु ताअला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि उस दिन तमाम लोगों को जमा किया जाएगा हर शख़्स अपने आमाल के बक़द्र पसीने में डूबा हुआ होगा, किसी का पसीना पाँव तक, किसी का पेट तक, किसी का मुंह तक आया होगा।
उस दिन के बारे में कुरान पाक में आया है कि जिस दिन आदमी अपने भाई से अपनी मां से अपने बाप से अपनी बीवी से, और अपनी औलाद से भागेगा, क्यूंकि उन में से हर एक को उस दिन अपनी ऐसी फ़िक्र पड़ी होगी कि एक दुसरे का होश नहीं होगा।
एक हदीस में अल्लाह के नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तअला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि सात लोग ऐसे हैं जिनको अल्लाह तआला इस दिन अपने अर्श के साए में जगह देंगे जिस दिन अल्लाह के साए के अलावा कोई और साया नहीं होगा ।
(1) आदिल यानी इन्साफ करने वाला बादशाह, जिसने अपनी रिआया में इंसाफ के साथ हुकूमत की होगी।
(2) नौजवान जिस ने अपनी पूरी उम्र अल्लाह तआला की इबादत में गुजार दी। जवानी ऐसी होती है कि जिस्म ताक़त से भरा होता है और दिल में बड़ी तमन्नाएँ होती हैं, इन्सान का दिल उसको ख्वाहिशें पूरी करने को कहता है और इसी का शैतान पूरा फ़ायदा उठाता है और ग़लत कामों में लगा देता है।
लेकिन ऐसे वक्त को जो शख़्स शैतान की बजाय अल्लाह तआला की इबादत में गुजारता है और हर लम्हे दूकान में हो या मकान में शरीअत के बताये गए हुक्म के हिसाब से ही चलता है तो क़यामत में उसे अर्श का साया नसीब होगा।
(3) वो शख़्स जो मस्जिद से दिल लगाये रखता है यानि नमाज़ के वक्त का ख्याल रखता है दुनिया के कामों में लगकर भी वो नमाज़ से गाफिल नहीं होता, बल्कि दुनिया के कामों को इस तरह पूरा करता है कि नमाज अदा करने में ये काम रुकावट न बने।
(4) वो दो लोग जो अल्लाह तआला के लिए दोस्त बने यानि वो लोग जो अल्लाह के वास्ते आपस में दोस्ती और मोहब्बत रखते हैं जब मुलाकात होती है तो उन की बातचीत ऐसी होती है कि दीन के काम को आगे बढ़ाया जाए और जब जुदा होते है तब भी इसी हाल में होते हैं दीन का काम अंजाम दिया जाए।
(5) वो खुशनसीब शख्स जो ज़िना (बदकारी) करने से बचे। जिसको कोई हंसीन व खूबसूरत औरत गुनाह करने के लिए बुलाये और वह यह कहकर उस औरत के पास न जाये कि मैं अल्लाह से डरता हूँ यानि अल्लाह का इतना डर कि मौक़ा मिलने के बावजूद भी गुनाह करने से बचे ।
खूबसूरत वजीफा :- सूरह कौसर का खास वजीफा।
(6) वो शख़्स जो छुपा कर सदक़ा करे यानि ऐसा शख़्स जो इतना छुपा कर खर्च करे कि दायें हाथ से सदका दिया तो बाएं हाथ को भी खबर न हो मतलब ये है कि सदका लोगों को बताने और जताने के लिए और दिखावे के लिए न करें बल्कि सिर्फ अल्लाह की रजा हासिल करने के लिए करें।
(7) वो शख़्स जो तन्हाई में अल्लाह को याद करके रोये वो शख़्स जो जब भी अकेला होता है तो अल्लाह तआला की बड़ाई और अहसान को याद करके रोता है या अपने गुनाहों को याद करके रोता है और अल्लाह से माफी मांगता है।
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….