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15/10/2025
अमीर मुआविया और मुल्के शाम। 20250510 012553 0000

अमीर मुआविया और मुल्के शाम। Ameer Muabiya aur Mulke sham.

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Ameer Muabiya aur Mulke sham.
Ameer Muabiya aur Mulke sham.

मुल्क शाम में हज़रत अमीर मुआविया रजिअल्लाहु अन्हु ने किसी तरह हज़रत उस्मान शहीद का खून आलूद पैरहन और आपकी अहलिया की कटी हुयी उंगली मदीना से हासिल कर ली थी और उनको दमिश्क की जामा मस्जिद में मिम्बर के ऊपर अवेजाँ करा दिया था, लोग जमाअत दर जमाअत आते थे और इन चीज़ों को देखकर ज़ार व कतार रोते थे।

हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु का कसिद जब अमीर मुआविया के नाम ख़त लेकर पहुँचा तो उन्होंने तीन माह तक कासिद को दमिश्क में महज़ इस लिए रोक रखा ताकि वह अपनी आँख से अवाम के इस जोश व खरोश को देख ले जो हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के खिलाफ लोगों में पैदा था।

अमीर मुआविया को हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने शाम से माजूल करने का परवाना सुहेल इब्न हनीफ के हमराह भेजा था, लिंखा था कि मैं तुमको माजूल करता हूँ और सुहैल इब्न हनीफ को शाम का गवर्नर बनाता हूँ। लेकिन अमीर मुआविया ने उन्हें शाम में घुसने नहीं दिया।

और वह शाम की सरहद तबूक ही से वापस चले आये। फिर दोबारा हजरत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने जब अपना कासिद भेजते हुए एक तरफ तो सैय्यदना अमीर मुआविया से हुक्म अदूली का जवाब तलब किया था और दूसरी जानिब उनसे बैअत का मुतालबा किया गया था।

अमीर मुआविया ने इस ख़त की कोई परवाह नहीं की और तीन महीना बाद हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के कासिद के हमराह अपने क़ासिद को हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के ख़त का जवाब देकर रवाना कर दिया। इस कासिद ने अमीर मुआविया का सर बन्द लिफाफा हज़रत को पहुँचा दिया और हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने जब लिफाफा खोला तो उसमें कुछ भी न था यानी बिल्कुल खाली था।

बस यह ही अमीर मुआविया का जवाब था। हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु सब कुछ समझ गये और उन्हें यकीन हो गया कि अब शाम का इलाका जंग के बगैर जेर नहीं हो सकता। लेहाज़ा अमीर मुआविया के मुकाबले के लिए हजरत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने जंगी तैयारियाँ शुरू कर दीं।

तारीख के मुताअले से पता चलता है कि हज़रत मुआविया को बलवाइयों ने जाकर यह इत्तेला दी थी कि अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने अपनी खिलाफत के लिए हज़रत उस्मान गनी रजियल्लाहु अन्हु को शहीद करवाया है और अमीर मुआविया को इस बात का यकीन इस लिए और भी हो गया क्योंकि कातिलाने उस्मान हजरत अली ही के साथ थे।

अलगरज़ अमीर मुआविया से यह इज्तेहादी ख़ता हुई थी वरना हक़ हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु ही के साथ था।

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें। ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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