अल्लाह अपने बन्दो को मां से ज्यादा मुहब्बत करता है IAllah apne Bando ko Maa se Ziyada Muhabbat karta hai.

Allah apne bando ko maa se ziyada mohabbat karta hai

अल्लाह रब्बुल-इज्जत को अपनी मखलूक से इतनी मुहब्बत है कि अल्लाह अपने बन्दों पर हद से ज्यादा मेहरबान और नर्मी करने वाले है इसी लिए कुरआन मजीद से इसकी गवाही मिलती है।

सुनिये और ज़रा दिल के कानों से सुनिये। कुरआन मजीद गवाही दे रहा है। गजवा-ए- उहुद (उहुद की जंग) में सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम से एक भूल हुई।

चन्द सहाबा को नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पहाड़ी पर खड़ा किया था जब फतह हुई काफिर पीछे हटने लगे तो ये समझे कि ड्यूटी मुकम्मल हो गयी गलत फहमी की बिना पर नीचे उतर आये खालिद बिन वलीद रज़ियल्लाहु अन्हु उस वक्त तक मुसलमान नही हुए थे।Allah apne Bando ko Maa se Ziyada Muhabbat karta hai.

उन्होंने मौका पाकर पीछे से हमला किया। मुसलमान दोनों तरफ से घिर गये और काफिरों के दरमियान में आ गये कई सहाबा शहीद हुए नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को भी पत्थर लगा, दाँत मुबारक शहीद हुए आपके जिस्म से खून निकल आया आप इस बात पर बहुत गमगीन थे बड़े-बड़े रुतबे वाले सहाबा शहीद हुए थे और बहुत बड़ी तादाद तो जख्मी थी। अल्लाह के नामों के 21 खास वजीफे।

सैदुश्शु-हदा हज़रत हमज़ा रज़ियल्लाहु अन्हु भी शहीद हुए थे। जो नबी अलैहिस्सलाम के गमगुसार थे चुनांचे जब नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मदीना में आये तो आप खामोश थे। गमगीन थे सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम से कलाम नहीं कर रहे थे।

अब जरा देखिये कुरआन मजीद को अल्लाह रब्बुल-इज्जत को नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की यह नाराज़गी पसन्द न आयी कि वह अपने सहाबा से क्यों नाराज़ है जैसे माँ को बच्चों से किसी की नाराज़गी पसन्द नहीं आती अल्लाह तआला ने सिफारिश फरमा दी। फरमायाः ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उन्हें माफ फरमा दीजिए। उनके लिए आप इस्तिगफार कीजिए में खुद भी उन्हें माफ कर दूंगा और उन्हें मश्विरे में शामिल कर लीजिए।Allah apne Bando ko Maa se Ziyada Muhabbat karta hai.

तो देखो अल्लाह रब्बुल इज्जत मोमिनों की सिफारिश फरमाते हैं।

अल्लाह तआला को यह बरदाश्त न हुआ कि मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम से क्यों नाराज हैं। एक मौके पर सिद्दीके अकबर रज़ियल्लाहु अन्हु अपने एक रिश्तेदार से नाराज हुए उन्होंने हजरत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा के बोहतान के बारे में सच समझ लिया था। गलत फहमी दिल में आ गयी थी। सिद्दीके अकबर रज़ियल्लाहु अन्हु ने दिल में सोचा । मैं हर महीने उनको कुछ पैसे देता हूँ इमदाद के तौर पर न मैं वह ताल्लुक रखूँगा न मैं इमदाद भेजूंगा।

रब्बे करीम ने बोहतान लगाने वाले मुनाफिकों को डाँट पिलाई। जो सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम उन की बातों में आ गये थे उनको भी फटकार लगाई। खुद डॉट-डपट कर ली मगर सिद्दीके अकबर रज़ियल्लाहु अन्हु को नाराज न होने दिया फरमाया उनको चाहिए कि उनको माफ करें उनके साथ मुहब्बत का ताल्लुक रखें क्या ये नहीं चाहते कि अल्लाह उनको माफ कर दें। हज़रत आइशा रजि० पर तोहमत। 

सिद्दीके अकबर रज़ियल्लाहु अन्हु ने जब ये आयतें सुनी तो आपने दिल से भी माफ कर दिया और आईन्दा उनको दोगुना महीना देने का इरादा फरमा लिया।

तो सोचने की बात है कि जिस तरह मां भी खुद डॉट-डपट कर लेती है किसी को औलाद को डाँटने का मौका नहीं देती। यूँ लगाता है कि अल्लाह रब्बु इज्जत को भी ईमान वालों के साथ ऐसी ही मुहब्बत है।Allah apne Bando ko Maa se Ziyada Muhabbat karta hai.

खुद नाराज हो गये, डॉट लिया, लेकिन अपने महबूब सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नाराज़गी पसन्द न आयी उनको फरमा दिया कि आप उनको माफ फरमा दीजिए। हज़रत सिद्दीके अकबर रज़ियल्लाहु अन्हु की नाराज़गी पसन्द न आयी उनको भी समझा दिया कि माफ कर दो, क्या तुम नहीं चाहते कि तुम्हें अल्लाह माफ कर दे।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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