अल्लाह तआला इरशाद फरमाते हैं:
तर्जुमाः नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने (वह्य लाने वाले) फरिश्ते को एक और बार भी (असल सूरत में) देखा ‘सिद्रतुल-मुन्तहा’ के पास, उसके पास ‘जन्नत-मावा’ है। (सूरः नज्म आयत 13-15)
फायदाः ‘सिद्रतुल-मुन्तहा’ ‘सिद्रह’ बेरी के पेड़ को कहते हैं
और ‘मुन्तहा’ के मायने हद और इन्तिहा के हैं। चुनाँचे हदीसों में आया है कि यह सातवें आसमान पर एक बेरी का पेड़ है, अल्लाह की तरफ से जो अहकाम और रिज़्क वगैरह आते हैं वे पहले ‘सिद्रतुल-उन्तहा’ तक पहुँचते हैं फिर वहाँ से फरिश्ते ज़मीन पर लाते हैं।
इसी तरह से जो आमाल ऊपर जाते हैं वो भी सिद्रतुल-मुन्तहा तक पहुँचते हैं, फिर वहाँ से ऊपर उठा लिए जाते हैं। दुनिया में इसकी मिसाल डाकखाने जैसी समझ लें कि खतों का आना-जाना वहाँ से होता है। इसी मुकाम की तरफ इशारा करते हुए अल्लाह तआला ने यह भी फरमाया “अिन्दहा जन्नतुल् मञ्वा” यानी उसके पास ही “जन्नतुल्-मञ्वा” है। “मञ्वा” के मायने रहने की जगह के हैं। चूँकि जन्नत नेक बन्दों के रहने की जगह है इसलिए उसे जन्नतुल्-मञ्वा फरमाया है। (बयानुल् कुरआन 11-72)
अल्लाह तआला इरशाद फरमाते हैं: तर्जुमाः और तुम्हारा रिज़्क़ और जो तुम से (जन्नत का) वायदा किया गया, आसमान में (ऊपर) है। (सूरः ज़ारियात आयत 22)
मशहूर ताबिई मुफस्सिर हज़रत मुजाहिद रहमतुल्लाहि अलैहि ‘व मा तू-अदून’ से जन्नत मुराद लेते हैं और फरमाते हैं कि हमने इस आयत की तफ्सीर के बारे में आलिमों से यही पढ़ा है।
(हादिल अरवाह पेज 96)
खूबसूरत वाक़िआ:-जन्नत की राह
हदीस :- हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मैंने अल्लाह तआला की मख़्लूक में सबसे ज़्यादा शान वाले नबी हज़रत अबुल-कासिम यानी हुजूरे पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सुना है कि आपने इरशाद फरमायाः “बेशक जन्नत आसमान में है”। (हादिल् अर्वाह पेज 96)
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….
