
शमाइल तिर्मिज़ी के अन्दर एक सहाबी हज़रत ज़ाहिर बिन हिज़ाम अश्ञ्जी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का एक वाक़िआ बहुत खूबसूरत अंदाज़ से नक़ल किया गया है। यह देहात के रहने वाले थे। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के पास देहाती तोहफा लाया करते थे।
सब्ज़ी-तरकारी वगैरह जो भी देहात में उनको हासिल होता तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के लिए तोहफे में लाया करते थे। आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उनका तोहफा बहुत खुशी के साथ क़बूल फरमा लिया करते थे और सूरत व शक्ल के ऐतिबार से क़बूले सूरत नहीं थे लेकिन उनकी सीरत और कमाले ईमान आला दर्जे का था। जब यह हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के पास से देहात वापस जाते थे तो आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम भी उनको कुछ तोहफा दिया करते थे।
एक बार मदीना के बाज़ार में हज़रत ज़ाहिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपना सामान बेच रहे थे। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने चुपके से उनके पाछे की तरफ से आकर अचानक उनकी आँखों को बन्द करके दबा लिया, अब तो उनको नज़र नहीं आया और मालूम भी नहीं कि कौन है। उनके ज़हन में यह बात है कि आम लोगों में से कोई है, ज़ोर-ज़ोर से शोर मचाकर कहने लगे कि यह कौन है, मुझे छोड़ दो कन्खियों से हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को देखकर पहचान लिया।
जब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को पहचान लिया तो बजाए छोड़ दो कहने के अपनी पीठ को हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के सीने से चिपका दिया कि महबूबे हक़ीक़ी के सीने से मेरे बदन का लग जाना खैर व बरकत है। इसके बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम कहने लगे कौन ख़रीदेगा? तो हज़रत ज़ाहिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने कहा या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम! अगर आप मुझे बेचेंगे तो निहायत घाटा होगा, मुझ जैसे बसूरत को बेचने से क्या पैसा मिल सकेगा, तो इस पर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फरमाया कि आप अल्लाह के यहाँ कम क़ीमत और सस्ते नहीं हैं बल्कि अल्लाह के नज़दीक आप बड़े क़ीमती हैं।
खूबसूरत वाक़िआ:-दिल को आईना बना ले।
इस वाक़िए से हर शख़्स को इबरत हासिल करने की ज़रूरत है कि अल्लाह और उसके रसूल की मुहब्बत का मदार इंसानों के दिलों पर है जिसने तक़वे का आला मक़ाम हासिल कर लिया है उसने हुब्बे खुदा और हुब्बे रसूल का भी आला मक़ाम हासिल कर लिया। हदीस में आता है कि हज़रत उसामा रजियल्लाहु तआला अन्हु बहुत काले थे मगर हज़रात सहाबा में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को हज़रत उसामा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की मुहब्बत सबसे ज़्यादा थी। एक बार हज़रत आईशा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा से फरमाया कि तुम उससे मोहब्बत करो क्योंकि मैं उससे मुहब्बत करता हूँ। (शामाइल तिर्मिज़ी, पेज 16)
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….