एक शेर और लोमड़ी का वाक्या।Ek Sher aur lomdi ka waqia.
Tibbe Nabvi Dawao ka nuskha.
हुजूरे अक्दस (स.व)ने इर्शाद फ़रमाया कि ऐ अल्लाह के बन्दो ! तुम लोग दवाएं इस्तिमाल करो इस लिये कि अल्लाह तआला ने एक बीमारी के सिवा तमाम बीमारियों के लिये दवा पैदा फ़रमाई है ।
लोगों ने अर्ज़ किया कि या रसूलल्लाह ! वोह कौन सी बीमारी है जिस की कोई दवा नहीं है ? आप ने इर्शाद फ़रमाया कि वोह “बुढ़ापा ” है।
हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.अ)ने रिवायत की है कि हुजूर (स.व)ने फ़रमाया कि तुम लोग जिन जिन तरीक़ों से इलाज करते हो उन में सब से बेहतर चार तरीक़ए इलाज हैं :Tibbe Nabvi Dawao ka nuskha
सऊत :- नाक के जरीए दवा चढ़ाना, लदूद : मुंह के किसी एक जानिब से दवा पिलाना, हिजामह: किसी उज्व पर पुछना लगवा कर खून निकलवा देना, मशी: जुल्लाब लेना ।कुव्वत (ताक़त) की बरबादी।
बाज़ दवाएं खुद हुजूर (स.व)ने इस्तिमाल फ़रमाई हैं और बाज़ दवाओं के औसाफ़ और उन के फ़वाइद से अपनी उम्मत को आगाह फ़रमाया है । हम यहां उन में से तबर्रुकन चन्द दवाओं का ज़िक्र बयान करते हैं ताकि हमारी इस मुख़्तसर किल्प में ” तिब्बे नबवी” के अहम बाब से महरूम न रह जाएं।
इषमद (सुए सियाह सुरमा) :-
हुजूरे अकरम (स.व)ने इस के बारे में इर्शाद फ़रमाया कि तुम लोग इषमद को इस्ति’ माल में रखो येह निगाह को तेज़ करता है और पलक के बाल उगाता है ।
हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास(र.अ)का बयान है कि हुजूरे अक्दस (स.व)के पास एक सुरमा दानी थी जिस में इषमद का सुरमा रहता था और आप (स.व)सोने से पहले हर रात तीन तीन सलाई दोनों आंखों में लगाया करते थे।Tibbe Nabvi Dawao ka nuskha
हिना (मेहंदी ):- हुजूर (स.व)के कोई फुन्सी निकलती या कांटा चुभ जाता तो आप उस पर मेहंदी रख दिया करते थे। औरतों की बीमारियाँ नुस्खे और रुहनी इलाज।
अल हब्बतुस्सौदाउ (कलोंजी जिस को शोनेज़ भी कहते हैं और ‘जगह इस को मुंगरीला भी कहा जाता है) : हुजूर(स.व)ने इर्शाद फ़रमाया कि इस के इस्तिमाल को लाज़िम पकड़ो क्यूं कि इस में मौत के सिवा सब बीमारियों से शिफा है ।
अत्तल्बीनह:- (आटा, पानी, शहद, तेल मिला कर हरीरा की तरह बनाया जाता है) हुजूर(स.व)के घर वालों में जब कोई शख्स जाड़ा बुखार में मुब्तला होता था तो आप (स.व)इस तआम के तैय्यार करने का हुक्म देते थे और फ़रमाते थे कि येह खाना ग़मगीन आदमी के दिल को तक्विय्यत देता है और बीमार दिल से तक्लीफ़ को इस तरह दूर कर देता है जिस तरह तुम लोग पानी से अपने चेहरों के मैल कुचैल को दूर कर देते हो।Tibbe Nabvi Dawao ka nuskha
अल असल (शहद) :- हुजूर(स.व)की खिदमत में एक शख्स ने आ कर शिकायत की, कि इस के भाई को दस्त आ रहे हैं आप (स.व)ने फ़रमाया कि उस को शहद पिलाओ। फिर वोह दोबारा आया और कहने लगा कि दस्त बन्द नहीं होते । इर्शाद फ़रमाया कि उस को शहद पिलाओ। सूरते इन्जाल यानी मनी का निकलते रहना।
फिर वोह तीसरी बार आ कर कहने लगा कि दस्त का सिल्सिला जारी है। आप (स.व)ने फिर शहद पिलाने का हुक्म दिया उस ने कहा कि येह इलाज तो मैं कर चुका हूं। आप (स.व)ने इर्शाद फ़रमाया कि अल्लाह तआला सच्चा है और तेरे भाई का पेट झूटा है उस को शहद पिलाओ उस ने जा कर शहद पिलाया तो वोह शिफ़ायाब हो गया ।
हुजूरे अक्दस (स.व)ने इर्शाद फ़रमाया कि जो शख्स हर महीने में तीन दिन सुबह के वक्त शहद चाट लिया करे उस को कोई बड़ी बला न पहुंचेगी।
इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…