इमाम ग़ज़ाली रहमतुल्लाहि अलै. ने लिखा है कि नान नफ्के के अलावा औरतों की कम- अक्ली, -कमज़ोरी, मिनाज की तेजी वगैरह का ख़्याल रखते हुए उनसे रहम का बर्ताव करना, उनके नाज़ उठाना और उनसे पहुंची तक्लीफ का बर्दाश्त करना भी वाजिब है।
अल्लाह तआला ने इनके हक की कितनी बड़ाई की है फ़रमाया ‘वआशिरुहुन्न बिलमारूफ़ — औरतों के साथ अच्छे ढंग से जिंदगी बसर करो’ और अल्लाह ने इनके हक की कितनी बड़ाई की है — कहा है-वे औरतें तुम से शरई तौर पर एक किस्म का मज़बूत अहद ले चुकी हैं
और कैसे प्यारे लफ्ज़ों में कहा, और पास बैठने वालों के साथ यानी बीवी के साथ भी एहसान करो क्योंकि उन्होंने तुमसे बहुत सख़्त और मज़बूत वादा लिया है,
और आप (स.व)ने अपने आखिरी’ ‘हज्जतुलविदा” में कैसे दुख भरे अल्फाज़ में फरमाया था और बार-बार कहा था कि इनके साथ नेकी से पेश आते रहना।
रसूलुल्लाह सल्ल. ने फ़रमाया, ‘जो शख्स अपनी औरत की बुरी आदतों पर सब्र करेगा, उसको अय्यूब अलै. के बराबर अज्र मिलेगा और जो औरत अपने शौहर की बुरी आदतों पर सब्र करेगी उसको हज़रत आसिया रज़ि. के बराबर सवाब मिलेगा।Aurat ke Huqooq.
हज़रत अनस रज़ि. फरमाते हैं रसूलुल्लाह सल्ल. ने फरमाया, सब से ज़्यादा ईमान वाला वह शख़्स है जो अपनी औरत के साथ नर्मी व मुहब्बत का बर्ताव करे और तुम में बेहतर वह शख़्स है जो अपनी औरत के साथ बेहतर हो,
चुनांचे मैं सब से ज़्यादा मुकम्मल ईमान वाला हूं क्योंकि मैं अपनी औरतों के साथ सब से ज़्यादा मेहरबानी और भलाई से पेश आता हूँ।
हज़रत उमर रज़ि. जो सख्त मिजाज के थे, फरमाते थे कि मोमिन को चाहिए कि अपने घर में बच्चों की तरह रहे और अपनी कौम में मर्द बन कर रहे।
एक हदीस है जिसे की तशरीह इमाम गज़ाली रह. ने इस तरह बयान की है कि अल्लाह तआला ऐसे शख़्स से, जो अपने खानदान के लिए सख़्त दिल हो, सख्ती से बात करता हो और अपने आप पर घमण्ड करता हो, दुश्मनी रखता है।
ऐसा शख्स जन्नत में न जाएगा।Aurat ke Huqooq.
हुजूर सल्ल. ने फरमाया ‘जो शख्स अपनी बदखुल्की (बुरे अखलाक व बुरी आदतों से अपने खानदान को दुख व तकलीफ पहुंचाएगा, अल्लाह तआला उसकी तौबा और अच्छे काम कुबूल नही फरमाएगा।
हज़रत आइशा रजि. से रिवायत है कि अरब की ग्यारह औरतें जमा हुईं और हर एक ने अपने-अपने मर्द (शौहरों) के हालात और सुलूक के बारे में बताया।
ग्यारहवीं औरत ने जिसका नाम उम्मेज़र था अपने शौहर अबूज़र की बहुत तारीफ की और कहा कि मैं बकरियों वाले गरीब घर की बेटी हूं मैं बहुत ही दुख और तकलीफ में थी, लेकिन अबूज़र ने मुझे ऊंटों वाली, घोड़ों वाली, बाग़ों वाली, खेती वाली, माल वाली,Aurat ke Huqooq.
जानवरों वाली और महलों वाली बना दिया दूध के मटके के मटके बिलोए जाते हैं। ज़ेवरों से मेरे कान टूट गये, जेवरों से मुझे लाद दिया और वह खाने खिलाए कि चर्बी से मेरे बाजू भर गए। मुझ को बहुत खुश किया।
मैं भी बहुत खुश हो गई। मैं टर्राती हूं, बकती हूं, मगर वह बुरा नहीं मानता और न कभी बुरा ही कहता है मैं अपने घर भर की मालिक हूं जिस तरह चाहती हूँ, खर्च करती हूं उसमें ज़रा सी रोक-टोक नहीं करता।
लौंडियां हर वक़्त मेरी खिदमत में लगी रहती हैं। मैं बिल्कुल बेफिक्र रहती हूं। अबू जर ने फरमाया है कि उम्मेजर खूब खा और अपने ख़ानदान को भी खिला । हुजूर सल्ल. ने यह किस्सा सुन कर फरमाया, मैं अपनी बीवियों के लिए ऐसा ही हूं जैसे उम्मेजर के लिए अबूज़र ।
लेकिन उसमें यह एक ऐव था कि वह तालिक था मैं तालिक’ नहीं हूं। और हुजूर सल्ल. ने फ़रमाया, ऐ मुसलमानों न तो अल्लाह की बंदियों (औरतों) को मारो और न बुरा-भला कहो।Aurat ke Huqooq.
हरदम पाबंदी लगा कर नाक में दम कर देना, दिल को ठेस पहुंचाना, और सख्ती से बात करना भी जुल्म और तकलीफ देता है और समाजी ज़िन्दगी को बिगाड़ता है।
लकीत बिन सबरा ने- रसूलुल्लाह सल्ल. से कहा कि मेरी बीवी की ज़बान गन्दी है वह गाली गलोच से बात करती है। और एक शख़्स ने कहा कि मेरी औरत छूने वाले हाथ को नहीं रोकती ।
आप सल्ल. ने फरमाया उस को नसीहत कर उस शख़्स ने जवाब दिया यो या रसूलल्लाह नसीहत करते-करते थक गया। आप ने फ़रमाया, ‘उस को मार कर रोक, मगर लौंडियों की तरह मत मारना ।
उसने फिर कहा या रसूलल्लाह, ‘मार कर भी तंग आ गया।’ आपने फ़रमाया ‘तलाक दे दो।’ उसने कहा या रसूलल्लाह औलाद वाली है और उसका मेरा साथ पुराना है’आपने फ़रमाया तो फिर सब्र कर।
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…