गुस्ल पाँच चीज़ों से फर्ज़ होता है यानी इन पाँच चीज़ों में से कोई एक भी सूरत पाई जाए तो गुस्ल करना फ़र्ज़ है । अब हम आप को हर एक के बारे में तफसील से बताते हैं ।
(1) मनी के निकलने से से :- मर्द ने औरत को छुआ या देखा या औरत का सिर्फ ख़्याल लाया और मज़े के साथ मनी (धातु, विर्य) निकली तो गुस्ल फ़र्ज़ हो गया। चाहे सोते में हो या जागते में ।
उसी तरह औरत ने मर्द को छुआ या देखा या उस का ख्याल लाई और लज्जत (मजे) के साथ मनी निकली तो औरत पर भी गुस्ल फ़र्ज़ हो गया । इन तमाम बातों का हासिल येह है कि अगर मज़े के साथ मनी (धातु) निकली चाहे औरत से निकले या मर्द से तो गुस्ल फर्ज हो जाता है ।Gusl kab Farz hota hai.
(2) एहतलाम होने से :- यानी सोते में मनी का निकलना जिसे “नाईट फाल” कहते हैं उससे भी गुस्ल फ़र्ज़ हो जाता हैं येह मर्द और औरत दोनों को होता है । चुनानचे हदीसे पाक में है–
हज़रत उम्मे सलीम रजि अल्लाहो तआला अन्हा ने रसूले करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम से पूछा – “या रसूलुल्लाह ! अल्लाह तआला हक बात बयान करने में नहीं शर्माता जब औरत को एहतलाम ( नाईट फाल ) हो जाए यानी मर्द को ख़्वाब में देखे तो उस के लिए भी गुस्ल ज़रूरी है” ? सरकार ने इरशाद फ़रमाया “अगर मनी (धातु) की तरी देखे तो गुस्ल करे” ।
(बुखारी शरीफ, जिल्द 1, बाब] नं. 195, हदीस नं. 275, सफा नं. 193, तिर्मिजी शरीफ, जिल्द 1 बाब नं. 89, हदीस नं. 114, सफा न. 130)Gusl kab Farz hota hai.
मसअला : रोज़े की हालत में था और एहतलाम (नाईट फाल) हो गया तो रोजा नही टूटा लेकिन गुस्ल फ़र्ज़ हो गया । (बहारे शरीअत व कानूने शरीअत वगैरा )
(3) सोहबत करने से :- मर्द ने औरत से सोहबत किया, और अपने ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) को औरत को शर्मगाह में दाखिल किया चाहे मजे (Sex) के साथ या बिना मज़े के साथ दाखिल करे और इन्जाल हो या न हो यानी मर्द की मनी निकले या न निकले सिर्फ औरत की शर्मगाह में ऊजू-ए-तनासुल को दाखिल कर देने से ही मर्द व औरत दोनों पर गुस्ल फर्ज़ हो गया ।
(बुख़ारी शरीफ, जिल्द 1 बाब नं. 201, हदीस नं. 284, सफा नं. 195)
(4) हैज़ के बाद :- औरत को जो हैज़ (माहवारी) का खून आता है उसके बन्द हो जाने के बाद औरत को गुस्ल करना फर्ज है । (कानूने शरीअत, fजल्द 1, सफा नं. 38 )
(5) निफास के बाद : औरत को बच्चा जन्ने के बाद जो खून शर्मगाह से आता है उसे “निफास” कहते है इस खून के बन्द हो जाने के बाद औरत को गुस्ल करना फ़र्ज़ है निफास का इन पाँच चीज़ों से गुस्ल फर्ज़ हो जाता हैं ।Gusl kab Farz hota hai.
अब इस के अलावा चन्द और ज़रूरी मस्अले है जिन का हर मुसलमान को जानना और याद रखना ज़रूरी है ।
मनी :- मनी (विर्य) वोह है जो शहवत (मज़े) के साथ निकलती है
मजी :- वोह है जो बगैर मज़े के ऐसे ही बेफ़ुज़ूल बेकार ही “उज़ू- ए-तनासुल” (लिंग) पर चीपचीपा सा माद्दा निकलता है ।
वदी :- गाढे पेशाब को कहते है ।
मनी के निकलने से गुस्ल फर्ज़ होता है जबकि मज़ी, और वदी के निकलने से गुस्ल फर्ज़ नहीं होता लेकिन वुज़ू टूट जाता है।Gusl kab Farz hota hai.
1 मस्अला :- अगर मनी इतनी पतली पड़ गई के पेशाब के साथ या वैसे ही कुछ क़तरे बगैर शहवत (मजे) के निकल आए तो गुस्ल फ़र्ज़ न हुआ लेकिन वुज़ू टूट जाएगा । (कानूने शरीअत, जिल्द 1, सफा नं. 38)
बीमारी से मनी निकलना :- किसी ने बोझ उठाया या ऊँचाई से नीचे गीरा या बीमारी की वजह से बगैर शहवत (Sex के बिना ही) बगैर किसी मज़े के साथ मनी निकल गई तो गुस्ल फर्ज़ न हुआ लेकिन वुज़ू टूट गया ।
(कानूने शरीअत, जिल्द 1, सफा नं. 38)
पेशाब के साथ मनी निकलना :- अगर किसी ने पेशाब किया और मनी निकली तो अगर उस वक़्त ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) में तनाव (टाईट पन ) था तो गुस्ल फ़र्ज़ हो गया । और अगर तनाव नहीं था और बगैर मज़े के पेशाब के साथ मनी निकली तो गुस्ल फर्ज़ न हुआ । (फतावा-ए-आलमगीरी)Gusl kab Farz hota hai.
किस पर गुस्ल फर्ज हुआ :-
मर्द और औरत एक ही बिस्तर पर सोए लेकिन सोहबत (हमबिस्तरी ) नही किया और सुबह बेदार होने के बाद बिस्तर पर धब्बा (दाग) पाया । मर्द और औरत दोनों को याद नहीं के दोनों में से किसे एहतलाम (नाईट फाल) हुआ है
तो अब उस धब्बे (दाग) को देखे अगर वोह धब्बा लम्बा और सफेद और गन्दा सा है तो मर्द पर गुस्ल फर्ज हुआ यानी वोह धब्बा मर्द की मनी का है और अगर धब्बा गोल, पत्ला, और पीले रंग, का है तो औरत पर गुस्ल फर्ज़ हुआ यानी वोह मनी औरत की है ।
मस्अला :-मर्द व औरत एक बिस्तर पर सोए बेदारी के बाद बिस्तर पर पानी पाई गई और उनमें से किसी को एहतलाम याद नहीं ! एहतियात येह है कि दोनों गुस्ल करे यही सही है । (बहारे शरीअत, जिल्द 1, हिस्सा नं. 2, सफा नं. 21 )
सोहबत के बाद मनी निकलना :- किसी औरत ने अपने शौहर से सोहबत की सोहबत के बाद गुस्ल किया फिर उस की शर्मगाह से अगर उस के शौहर की मनी निकली तो उसपर गुस्ल वाजिब न होगा लेकिन वुज़ू जाता रहेगा ।
( बहारे शरीअत, जिल्द नं. 1 हिस्सा नं. 2, सफा नं. 22 )Gusl kab Farz hota hai.
नापाक के लिए कौन सी बातें हराम हैं :- जिस को नहाने (गुस्ल ) की ज़रूरत हो, उस को मस्जिद में जाना, काबे का तवाफ करना, कुरआने करीम छूना, बे देखे या जुबानी पढ़ना या किसी आयत का लिखना, या ऐसी अंगूठी छूना या पहेन्ना जिस पर क़ुरआन की कोई आयत या अदद या हुरूफ़े मुकुत्तआत (Arbic ) लिखे हुए हो,
दीनी किताबें, जैसे हदीस व तफसीर और फिकह वगैरा की किताबें छूना येह सब हराम है । अगर कुरआने करीम जुज़दान में हो या रोमाल व कपड़े में लिपटा हो तो उस पर हाथ लगाने में हर्ज नहीं ।
अगर क़ुरआन की कोई आयत, कुरआन की नियत से न पढ़ी सिर्फ तबर्रुक के लिए, बिस्मिल्लाह, अलहमदुलिल्लाह या सूरए फातिहा या अयतल कुर्सी या ऐसी ही कोई आयत पढ़ी तो कुछ हर्ज नहीं। इसी तरह दुरूद शरीफ भी पढ़ सकते है । (कानूने शरीअत, जिल्द 1, सफा नं. 38)Gusl kab Farz hota hai.
नापाक का झूठा :- ना पाक आदमी, और हैज़ व निफास वाली औरत का झूठा पाक है। इसी तरह उसका पसीना या थूक किसी कपड़े या जिस्म से लग जाए तो ना पाक नही होंगा । (बुखारी शरीफ़, जिल्द 1, सफा नं. 193, कानूने शरीअत, जिल्द 1. सफा नं. 46)
नापाक का नमाज़ पढ़ना :- रात में सोहबत की हो तो, नमाज़े फजर से पहले और अगर दिन में सोहबत की होतो अगली नमाज़ से पहले गुस्ल कर लें ताकि नमाज़ कज़ा न हो जाए ।
और ज़्यादा वक्त तक ना पाकी की हालत में रहना न पड़े । गुस्ल की हाजत है और अगर गुस्ल करता है तो फजर की नमाज़ क़ज़ा होती है यानी नमाज का वक्त खत्म हो जाएगा तो ऐसी हालत में “तयम्मुम” कर के नमाज घर पर ही पढ़ ले ।
इस से अदा नमाज़ पढ़ने का ही सवाब मिलेगा ) उस के बाद गुस्ल कर के नमाज़ लौटा दें। (यानी दोबारा वही नमाज पढ़े)
(अहकामं शरीअत जिल्द 2, सफा नं. 172)
जिस घर में ना पाक हो :- अक्सर मर्द और औरतें झूठी शर्म व हया से गुस्ल नहीं करते और ना पाकी की हालत में कई कई दिन गुजार देते हैं यह बहुत ही बड़ी नाहुसत व जाहिलाना तरीका है।
हदीसे पाक में है जिस घर में ना पाक मर्द या औरत हो उस घर में रहमत के फरिश्ते नहीं आते उस घर में नहुसत व बे बरकती आ जाती है करोबार व रिज़्क से बरकत दूर हो जाती है और ग़रीबी और मुफलिसी का कब्जा हो जाता है । अल्लाह महफूज रखें।
गुस्ल से पहले बाल काटना : गुस्ल करने से पहले ना पाकी की हालत में ना पाक सोहबत करने से हुआ हो या एहतलाम से हुआ हो शर्मगाह के बाल, बगल के बाल, सर के बाल, नाक के बाल वग़ैरा न काटे और न ही नाखून काटे,
कि येह मकरूह है और इस से सख्त बुरी बीमारियों के हो जाने का भी खतरा है । (कीम्या-ए-सआदत, 267, कानूने शरीअत, जिल्द 2, सफा नं. 211)
एक ज़रूरी मस्अला :-बुध के दिन नाखुन कतरवाने से हदीस में मना किया गया है । हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम इरशाद फ़रमाते है—बुध के दिन नाखुन न कतरा करो के इस से कोड़ होने का ख़तरा है । कोड़ एक ख़तरनाक बीमारी है जिस में जिस्म पर सफ़ेद दाग पड़ जाते है|Gusl kab Farz hota hai.
इसको को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…