हज़रत अबी बिन काब रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से हुजूर अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पूछते हैं कि किताबुल्लाह में सबसे अज़मत वाली आयत कौन-सी है? हज़रत अबी बिन काब जवाब देते हैं कि खुदा तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ही को उसका सबसे ज़्यादा इल्म है।
आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फिर यही सवाल करते हैं, बार- बार सवालात पर जवाब देते हैं कि आयतुल कुर्सी हज़रत अबी बिन काब रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मेरे यहाँ खजूर की एक बोरी थी, मैंने देखा कि उसमें खजूरें रोज़ बरोज़ घट रही हैं। एक रात मैं जागता रहा और उसकी निगरानी करता रहा, मैंने देखा कि एक जानवर लड़के की तरह आया। मैंने उसे सलाम किया उसने मेरे सलाम का जवाब दिया। मैंने कहा तू इंसान है या जिन्न ?
उसने कहाः मैं जिन्न हूँ। मैंने कहाः ज़रा हाथ तो दे। उसने हाथ बढ़ा दिया। मैंने हाथ अपने हाथ में लिया तो कुत्ते जैसा था और उस पर कुत्ते जैसे बाल थे। मैंने कहाः क्या जिन्नों की पैदाइश ऐसी है? उसने कहाः तमाम जिन्नात में से ज़्यादा कुव्वत वाला मैं ही हूँ। मैंने कहाः भला तू मेरी चीज़ चुराने पर दिलेर क्यों हो गया? उसने कहाः तू सदके को पसन्द करता है, हमने कहा हम क्यों महरूम रहें।
उनके शर से बचने का तरीक़ा।
मैंने कहाः तुम्हारे शर से बचाने वाली कौन-सी चीज़ है? उसने कहा आयतुल कुर्सी। सुबह को मैं सरकार-ए-मुहम्मदी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम में हाज़िर हुआ तो मैंने रात का सारा वाक़िआ बयान किया। आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमायाः ख़बीस ने यह बात तो बिल्कुल सच कही। (इब्ने कसीर)
तशरीह :- आज मुसलमानों में तिलावत का शौक़ निकल गया। ग़लत चीज़ों ने घर में जगह कर ली। बरकत निकल गई। आज हम रमज़ान का चाँद देखकर कुरआन खोलते हैं और ईद का चाँद देखकर बन्द कर देते हैं। अब आईंदा साल मुलाक़ात होगी।
हुजूर अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया: अगर तू रात को बिस्तर पर जाकर इस आयत को पढ़ ले तो खुदा तआला की तरफ से तुझ पर हाफिज़ मुक़र्रर होगा और सुब्ह तक शैतान तेरे क़रीब भी न आ सकेगा।
(बुखारी शरीफ)
खूबसूरत वाक़िआ:-एक अनोखा इश्तिहार।
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….