
अबु अब्दुल्लाह हकीम तिर्मिज़ी रहमतुल्लाहि अलैहि ने अपनी किताब नवादिरूल उसूल में यह बात ज़िक्र की है कि सहाबा की जमाअत के पास आकर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मदीने की मस्जिद में फरमाया कि पिछली रात मैंने अजीब बातें देखीं, देखा कि मेरे एक उम्मती को अज़ाब-ए-क़ब्र ने घेर रखा है आख़िर उसके वुज़ू ने आकर उसे छुड़ा लिया।
मैंने एक उम्मती को देखा कि शैतान उसे वहशी बनाये हुए है लेकिन अल्लाह के ज़िक्र ने आकर उसे छुटकारा दिलाया, एक उम्मती को देखा कि अज़ाब के फरिश्तों ने उसे घेर रखा है, उसकी नमाज़ ने आकर उसे बचा लिया, एक उम्मती की देखा कि प्यास के मारे हलाक हो रहा है जब हौज़ पर जाता है धक्के लगते हैं उसका रोज़ा आया और उसने उसे पानी पिला दिया और आसूदा कर दिया।
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक और उम्मती को देखा कि अम्बिया हलके बांध बांधकर बैठे हैं यह जिस हलके में बैठना चाहता है वहां वाले उसे उठा देते हैं उसी वक़्त उसका गुस्ल-ए-जनाबत आया और उसका हाथ पकड़ कर मेरे पास बिठाया, एक उम्मती को देखा कि चारों तरफ से उसे अंधेरा घेरे हुए है और ऊपर नीचे से भी वह उसमें घिरा हुआ है कि उसका हज और उमरा आया और उसे अंधेरे में से निकाल कर नूर में पहुंचा दिया,
एक उम्मत को देखा कि वह मोमिनों से कलाम करना चाहता है लेकिन वह उससे बोलते नहीं उसी वक़्त सिल-ए-रहमी आई और ऐलान किया कि इससे बातचीत करो, चुनांचे वह बातचीत करने लगे। एक उम्मती को देखा कि वह अपने मुँह पर से आग के शोले हटाने के लिए हाथ बढ़ा रहा है, इतने में उसकी खैरात आई और उसके मुँह पर पर्दा और ओट हो गई और उसके सर पर साया बन गई, आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक उम्मती को देखा कि अज़ाब के फरिश्तों ने उसे हर तरफ से क़ैद कर लिया है, लेकिन उसका नेकी का हुक्म और बुराई से मना करना आया और उनके हाथों से उसे छुड़ाकर रहमत के फरिश्तों से मिला दिया।
आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक उम्मती को देखा कि घुटनों के बल गिरा हुआ है और खुदा में और उसमें हिजाब है उसक अच्छे अख़लाक़ आये और उसका हाथ पकड़ कर अल्लाह के पास पहुंचा आए, आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक उम्मती को देखा कि उसका नामा-ए-आमाल उसके बाँए तरफ से आ रहा है लेकिन उसके ख़ौफ़-ए-खुदा ने आकर उसे उसके सामने कर दिया,
आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक उम्मती को मैंने जहन्नम के किनारे खड़ा देखा, उसी वक़्त उसका खुदा से कपकपाना आया और उसे जहन्नम से बचा ले गया, मैंने अपने उम्मती को देखा कि उसे औंधा कर दिया गया है कि जहन्नम में डाल दिया जाए, लेकिन उसी वक़्त ख़ौफ़-ए-खुदा से उसका रोना आया और उन आँसुओं ने उसे बचा लिया, मैंने एक और उम्मती को देखा कि पुल-ए-सिरात पर लुढ़कनियाँ खा रहा है कि उसका मुझ पर दुरूद पढ़ना आया और हाथ थामकर सीधा कर दिया और वह पार उतर गया।
खूबसूरत वाक़िआ:-कुरआन पढ़ने की एक ख़ास फज़ीलत।
एक को देखा कि जन्नत के दरवाज़े पर पहुँचा, लेकिन दरवाज़ा बन्द हो गया, उसी वक़्त ला इला-ह इल्लल्लाह की शहादत पहुंची, दरवाज़े खुलवा दिया और उसे जन्नत में पहुंचा दिया। क़र्तबी रहमतुल्लाहि अलैहि इस हदीस को ज़िक्र करके फरमाते हैं कि यह हदीस बहुत बड़ी है, इसमें उन मख़्सूस आमाल का ज़िक्र है जो मख्सूस मुसीबतों से निजात दिलवाने वाले हैं।(तफ्सीर इब्ने कसीर, हिस्सा 3, पेज 71-72)
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….