एक मां को गुनहगार बेटे की वसीयत।Ek Maa ko Gunahgar bete ki Wasiyat.

Ek Maa ko Gunahgar bete ki Wasiyat

हसन बसरी रह० का दौर है। आपकी एक शागिर्द जो बाकायदा आपका दर्स सुनने के लिए आया करती थी। उसका एक बेटा था। मियाँ का अच्छा कारोबार था। यह नेक औरत थी, इबादतगुज़ार औरत थी। बाकायदा दर्स सुनती और नेकी पर जिंदगी गुज़ारती थी। इस बेचारी की जवानी में शौहर चल बसा। उसने दिल में … Read more