वलीमें का दावत कभी इन्कार मत करना।Walime ka Dawat kabhi inkar mat karna.
वलीमा करना सुन्नते मौकेदाह हैं । जान बुझ कर वलीमा न करने वाला सख्त गुनाहगार है।(कीम्या-ए-सआदत, सफा नं. 2611) वलीमा येह है कि सुहाग रात की सुबह को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और मोहल्ले के लोगों को अपनी हैसियत के मुताबिक दावत करे, दावत करने वालों का मकसद सुन्नत पर अमल करना हो ।(कानूने शरीअत, जिल्द … Read more