21/08/2025
20250801 164858

सौदा दुनिया का या आख़िरत का? Sauda duniya Ka ya aakhirat ka.

Share now
Sauda duniya Ka ya aakhirat ka.
Sauda duniya Ka ya aakhirat ka.

दो शख़्स आपस मे शरीक थे । उनके पास आठ हज़ार अशर्फियाँ जमा हो गईं, एक चूंकि पेशा हरफे से वाक़िफ था और दूसरा नावाक़िफ था इसलिए उस जानने वाले ने नावाक़िफ से कहा कि अब हमारा निबाह मुश्किल है, आप अपना हक़ लेकर अलग हो जाइये, आप काम काज से नावाक़िफ हैं।

चुनांचे दोनों ने अपने अपने हिस्से अलग-अलग कर लिए और अलग-अलग हो गये। फिर उस हरफे वाले ने बादशाह के मर जाने के बाद उसका शाही महल एक हज़ार दीनार में ख़रीदा और अपने साथी को बुलाकर उसे दिखाया और कहा बतलाओ मैंने कैसी चीज़ ख़रीदी ? उसने बड़ी तारीफ की और यहाँ से बाहर चला, अल्लाह तआला से दुआ की और कहा खुदाया! इस मेरे साथी ने तो एक हज़ार दीनार का क़सर दुनयवी ख़रीद लिया है और मैं तुझसे जन्नत का महल चाहता हूँ।

मैं तेरे नाम पर तेरे मिस्कीन बन्दों पर एक हज़ार दीनार ख़र्च करता हूँ। चुनाँचे उसने एक हज़ार दीनार अल्लाह की राह में ख़र्च कर दिए। फिर उस दुनियादार शख़्स ने एक ज़माने के बाद एक हज़ार दीनार ख़र्च करके अपना निकाह किया दावत पर उस पुराने साथी को भी बुलाया और उससे ज़िक्र किया कि मैंने एक हज़ार दीनार ख़र्च करके इस औरत से शादी की है। उसने उसकी भी तारीफ की।

बाहर आकर अल्लाह तआला की राह में एक हज़ार रुपये दिए और अल्लाह तआला से अर्ज़ कि की ऐ बारे इलाही! मेरे साथी ने इतनी ही रकम खर्च करके यहाँ की एक औरत हासिल की है और मैं इस रकम से तुझसे हुरे ऐन चाहता हूँ और फिर वह रक़म अल्लाह की राह में सदका कर दी। फिर कुछ मुद्दत के बाद उस दुनियादार ने उसको बुलाकर कहा कि दो हज़ार के दो बाग़ मैंने ख़रीदे हैं, देख लो कैसे हैं?

उसने देखकर बहुत तारीफ की और बाहर आकर अपनी आदत के मुताबिक़ जनाब बारी तआला में अर्ज़ कि की खुदाया! मेरे साथी ने दो हज़ार के दो बाग़ यहाँ के ख़रीदे हैं। मैं तुझसे जन्नत के दो बाग़ चाहता हूँ और यह दो हज़ार दीनार तेरे नाम पर सदका हैं। चुनांचे इस रकम को मुस्तहिक़ों में तक़्सीम कर दिया फिर जब फरिश्ता उन दोनों को फौत करके ले गया, उस सदका करने वाले को जन्नत के महल में पहुँचा दिया,

खूबसूरत वाक़िआ:-चुगलखोरी का नुक्सान।

जहाँ पर एक हसीन औरत भी उसे मिली और उसे दो बाग़ भी दिए गये और वह नेमतें मिली जिन्हें खुदा तआला के अलावा और कोई नहीं जानता, तो उस वक़्त अपना वह साथी याद आ गया। फरिश्ते ने बतलाया कि वह तो जहन्नम में है और तुम अगर चाहो तो झाँककर उसे देख सकते हो। उसने जब उसे जहन्नम के अन्दर जलता देखा तो उससे कहा कि क़रीब था कि तू मुझे भी चकमा दे जाता और यह तो रब तआला की मेहरबानी हुई कि मैं बच गया।

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *