
मौलाना रोम रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि ने एक अजीब वाकिआ लिखा है कि एक अत्तार ने एक तोती पाली हुई थी। उसकी दुकान पर जब ग्राहक आते तो उसकी तोती सलाम करती, जैसे मैना सलाम करती है और आने वाले से पूछती कि तेरा क्या हाल है?
लिहाज़ा लोग दूर दूर से आते कि हमें इत्र तो लेना ही है, किसी और से लेने के बजाए फलां दुकान पर चलते हैं, थोड़ी देर तोती से बातें भी करेंगे, मज़ा भी लेंगे और खुशबू भी ख़रीद लाएंगे। लिहाज़ा उस अत्तार की दुकान पर ग्राहकों का रश ज़्यादा होने लगा। उसके पास दूर दूर से आते। कई दफा बच्चे माँ से ज़िद करके कहते कि वहाँ चलो तो वे बच्चों को लेकर वहाँ आते। इस तरह अत्तार का काम खूब चल रहा था।
एक दिन उस अत्तार ने अपनी दुकान तो बंद कर दी मगर उस तोती को पिंजरे में बंद करना भूल गया। रात को तोती बैठी हुई थी। कहीं से उसने बिल्ली की आवाज़ सुनी। जब मियाऊँ की आवाज़ सुनी तो तोती पर डर ग़ालिब हो गया। वह फड़फड़ाई, कभी इधर गिरी, कभी उधर गिरी। हर तरफ शीशे की चीजें और शीशे का सामान रखा हुआ था। शीशियाँ एक दूसरे पर गिरीं तो शोर पैदा होने से तोती और घबराई।
उड़ी तो इधर-उधर टकराई तो और शीशियाँ गिरीं तो काफी नुकसान हुआ। सुबह के वक़्त जब अत्तार ने देखा कि उसकी दुकान का बहुत सा सामान जाए हो गया तो उसे बड़ा अफसोस हुआ। उसने तोती को पकड़कर उसके सर पर इतने जूते मारे कि उसके सर के कुछ बाल उतर गए और वह गंजी हो गई।
अब तोती को महसूस हुआ कि इसने तो मुझे बहुत मारा तो तोती चुप हो गई। अत्तार ने अपनी आदत के मुताबिक काम शुरू कर दिया। लेकिन अब एक फ़र्क था कि जब कोई ग्राहक आत तो अत्तार चाहता कि यह तोती बात करे मगर तोती बातचीत न करती। बड़ा ज़ोर लगाया, बड़ी कोशिश की कि किसी तरह यह तोती बात करे ताकि लोग आएं और यह उनका दिल लुभाए मगर तोती बात ही नहीं करती थी।
जब कलाम ही न किया तो कुछ महीनों के बाद लोगों ने आना छोड़ दिया। आहिस्ता आहिस्ता ग्राहक कम हो गए यहाँ तक कि कारोबार बिल्कुल ठप्प हो गया। अब उसको एहसास हुआ कि ओ हो मुझे इसकी कदर न थी। मैंने तो ज़रा सी बात पर इसको मारा यहाँ तक कि उसके सर के बाल भी उखड़ गए और यह गंजी हो गई, इसने बोलना छोड़ दिया, मेरा तो कारोबार ही ठप्प हो गया।
अब अत्तार नफ़्ल पढ़ता, दुआएं मांगता कि ऐ अल्लाह! तोती को बुला दे, तोती को बुला दे मगर तोती बोलती नहीं थी। अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गईं खेत । इस मिसाल को अपनी जिंदगी में देखिए। कहीं शौहर अपनी बीवी को तंग करते फिरते हैं। जब वह ज़रा नाराज़ होती हैं तो दिल को कुछ होता है। अल्लाह करे कि बोल पड़े। कई औरतें हैं जो अपने शौहरों को नाराज़ करती हैं।
जब वह बोलना बंद कर देता है तो फिर रोती फिरती हैं। तावीज़ लेती फिरती हैं, हज़रत ! तावीज़ दें हमारा शौहर हमारे साथ ठीक नहीं है। भाई इस तोती की पहले कदर क्यों न की। खैर यह तो बीच में बात आ गई। तो मौलाना रोम रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि फरमाते हैं कि वह आदमी बड़ी दुआएं मांगता मगर तोती बात ही नहीं करती। इसी तरह वक़्त गुज़रता रहा। अब उसने सबक सीखा कि मुझे इस तोती की पहले ही कदर करनी चाहिए थी, मैंने इसकी नाकदरी की और इस वजह से आज मेरा कारोबार ठप्प हो गया।
एक दिन एक फ़कीर आया। जिसके सर पर बाल न थे। तोती ने फकीर को देखा तो फौरन बोल उठी। कहने लगी आपने भी अपने मालिक के शीशों को तोड़ा था? तो वह तोती अपने ही पर अंदाज़ा करने लगी कि मैंने क्योंकि अपने मालिक के शीशों को तोड़ा और मुझे गंजा बना दिया गया तो यह जो सामने गंजा फ़कीर है शायद उसने भी अपने मालिक के शीशों को तोड़ा होगा।अल्लाह तआला की अज़ीम नेमत।
मौलाना रोम रहमतुल्लाहि ताअला अलैहि फरमाते हैं इससे एक सबक और मिला कि हर अदमी को दूसरे को अपने ऊपर क्यास करता है। जो अपने दिल में बात होती है वह समझता है कि शायद कि दूसरे के दिल में भी यही बात है और अक्सर आप देखेंगे कि यही चीज़ झगड़े का सबब बन जाती है।
सिफारिश करेंगे और उसकी सिफारिश करने वाला कोई न होगा। इसलिए यह बांझ औरत है। यह गोया तसल्ली के बात कर दी कि जिस औरत का छोटा बच्चा फौत हो दुखः तो उसको भी होता है मगर उसको तसल्ली हो जाती है कि चलो मैं इस बच्चे को लड़कपन या जवानी में नहीं देख सकी लेकिन क्यामत के दिन यह मेरी सिफारिश तो करेगा।
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
खुदा हाफिज़…..